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मध्यप्रदेश पुलिस ई- एफआइआर व्यवस्था को करेगी अपडेट

- पुलिस मकहमा अब अन्य अपराधों में भी ई- एफआइआर लागू करने की तैयारी में

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अपराध होने पर एफआइआर दर्ज करवाने के लिए थानों के चक्कर लगाने के बजाय मप्र पुलिस ने दो साल पहले ई- एफआइआर की सुविधा शुरू की थी। जिसे अब पुलिस मकहमा अपडेट करने की तैयारी में है। दरअसल अभी तक ई- एफआइआर के जरिए 15 लाख रूपए से कम कीमत के वाहनों की चोरी के अलावा सामान्य चोरी यानी एक लाख रूपए तक के सामान या नकदी राशि की चोरी की एफआइआर दर्ज होती है। लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर अन्य अपराधों में भी लागू करने की योजना बनाई जा रही है।

पुलिस मुख्यालय में एक्सरसाइज जारी

पुलिस मुख्यालय में ई- एफआइआर व्यवस्था को कैसे अपडेट किया जाएगा इसको लेकर एक्सरसाइज जारी है। क्योंकि पिछले दो साल की प्राप्त शिकायतों पर जब रिसर्च किया गया तो लोगों ने बैंकिंग फ्रॉड जैसे- ओटीपी, नेटबैंकिंग और लिंक भेजकर फ्रॉड करने जैसी शिकायतें बहुतायत मात्रा में आई है। इसलिए शिकायतों के आधार पर इस माड्यूल को और अपडेट करने की तैयारी की जा रही है।

अजीबोगरीब शिकायतों की भी भरमार

ई- एफआइआर में अजीबोगरीब शिकायतों की भी भरमार है। लोग खाना बनाने के बरतन चोरी से लेकर मंदिर की घंटी, साइकिल, बैटरी, मोटर पंप और केबल- तार जैसी चोरी की शिकायतें कर रहे हैं।

ई- एफआइआर की शिकायत सबसे बड़े और छोटे जिले

सबसे बड़े जिले- जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल शहरी, शिवपुरी, सागर और छतरपुर

सबसे छोटे जिले- बुरहानपुर, श्योपुर, उमरिया, डिंडौरी, सीधी और सिंगरौली

तीन राज्यों के बाद एमपी में शुरू हुई व्यवस्था

ई- एफआइआर की व्यवस्था शुरू करने वाला सबसे पहला राज्य दिल्ली है। इसके बाद राजस्थान और उत्तरप्रदेश ने इस व्यवस्था को शुरू किया था। फिर चौथे राज्य के रूप में मध्यप्रदेश ने साल 2021 में ई- एफआइआर की व्यवस्था शुरू की थी।

ग्राफिक्स

अभी तक ई- एफआइआर से कुल 6800 शिकायतें प्राप्त हुई।

साल 2022 में कुल 3200 शिकायतें की गई।

साल 2023 में थोड़ा आकड़ा बढ़कर 3600 शिकायतों तक पहुंचा।

कुल प्राप्त शिकायतों में 50 प्रतिशत से ज्यादा शिकायतें वाहन चोरी की।

लोगों में बढ़ी है जागरूकता
ई- एफआइआर को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। साल 2022 के मुकाबले 2023 में इस सुविधा का लाभ लेने वालों का आंकड़ा बढ़ा है। इसलिए अब ई- एफआइआर के मामले में अन्य अपराधों में इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी है।

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चंचल शेखर, एडीजी, एससीआरबी