इधर, स्कूल शिक्षा विभाग सितम्बर से इसका शेड्यूल बनाने में जुट गया है। हालांकि इन कक्षाओं को खोलने से पहले अब तक पूर्व की कक्षाओं का कोई फीडबैक नहीं लिया गया है। बता दें कि लंबे समय से निजी स्कूल संचालक पूरी तरह स्कूल खोलने का दबाव बना रहे हैं।
दो मांगें रखी थीं
50 फीसदी क्षमता का फार्मूला
यदि पहली से आठवीं तक की कक्षाएं होती हैं तो वह भी शुरुआत में 50 फीसदी क्षमता से लगेंगी। यानी हफ्ते में एक या दो दिन प्रति कक्षा को लगाया जाएगा। वहीं स्कूल प्रबंधन अभिभावकों के जोखिम पर ही बच्चों को बुलाएंगे। हालांकि क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी के निर्णय के तहत ही स्कूल खोले जा सकेंगे।
अभी सप्ताह में दो दिन लग रहीं क्लास
अभी 9वीं व 10वीं कक्षाएं सप्ताह में एक-एक दिन और 11वीं व 12वीं की कक्षाएं सप्ताह में दो-दो दिन लग रही हैं, लेकिन स्कूलों ने अभिभावकों के जोखिम पर ही बच्चों को स्कूल भेजने की लिखित घोषणा पत्र लाना अनिवार्य किया ह। इस कारण अधिकतर अभिभावक बच्चों को नहीं भेज रहे हैं।
अभी तक बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं
फिलहाल देश में बच्चों के लिए कोई कोरोना वैक्सीन नहीं है। उस पर अक्टूबर में प्रदेश में तीसरी लहर आने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि स्कूल संचालकों का तर्क है कि अभी कोरोना केस बिल्कुल कम हैं। कहीं भी ज्यादा केस नहीं मिल रहे हैं। इस कारण स्कूल पूरी तरह खोले जाना चाहिए।