साउथ अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञ प्रोजेक्ट चीता से जुड़कर देश में चीतों को फिर से बसाने के जिस तरह से सहयोग कर रहे हैं। उसी तरह से बिग कैट एलायंस देशों में कैट प्रजातियों को बढ़ाने के लिए भारत ने उनसे समझौता किया है।
भोपाल। बाघ और तेंदुआ स्टेट मध्यप्रदेश भारत सरकार के इस प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। मध्यप्रदेश में जहां 785 बाघ हैं, वहीं तेंदुआ की संख्या भी 4100 से ज्यादा है। ऐसे में मध्यप्रदेश के विशेषज्ञ विश्व के अलग-अलग देशों में जाकर इन्हें बचाने के लिए सहयोग करते नजर आएंगे। शनिवार को भारतीय वन प्रबंधन संस्थान में राष्ट्रीय स्तर की बैठक का आयोजन किया गया। इसमें पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव, डीजी फॉरेस्ट चंद्रप्रकाश गोयल सहित देशभर के वन बल प्रमुख और प्रधान मुख्य वन संरक्षक शामिल हुए।
आइएफएस कैडर रिव्यू का प्रस्ताव जल्द केंद्र को भेजें
बैठक में यादव ने कहा कि बाघ संरक्षण में भारत लीडरशिप की भूमिका में है। बिग कैट एलायंस में शेर, बाघ और तेंदुआ संरक्षण में हम अन्य देशों से सांमजस्य कर विशेषज्ञ के तौर पर उनकी मदद करेंगे। मध्यप्रदेश इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। बैठक में भारतीय वन सेवा के कैडर रिव्यू पर भी चर्चा हुई। इसमें वन बल प्रमुखों से कहा गया कि वे राज्य सरकारों से बात कर प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजे ताकि प्रमोशन पॉलिसी को बेहतर बनाया जा सके।
आइआइएफएम-एएआई मिलकर खदान भराव का करेंगे प्रयोग
बैठक में आइआइएफएम, उत्तर प्रदेश वन विभाग और एल्यूमिनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया(एएआई) ने त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत जटिल पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में नवाचार किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर खाली पड़ी खदानों को भरने के लिए रेड मड और फ्लाई ऐश का उपयोग करने के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाएगा। इन्हें भरने के बाद विशेषज्ञों की निगरानी में इस क्षेत्र को उर्वरक बनाकर पौधे-वनस्पति लगाने का कार्य किया जाएगा। यह पायलट स्टडी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में ओबरा वन प्रभाग के डाला वन रेंज में होगी।एएआई की शासी निकाय सदस्य व हिंडाल्को रेणुकूट क्लस्टर के सीओओ नरिसेट्टी नागेश ने कहा कि इससे जंगल बढ़ाने में मदद मिलेगी। 2050 तक कोर जोन और बफर जोन में काम कर नेट कार्बन न्यूट्रिलिटी पर काम करेंगे।
कैंपा फंड के लिए राज्यों को मिलेगा अंतिम मौका
वन संरक्षण अधिनियम में संसोधन कर इसे वन संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम बनाया गया। कई राज्यों ने कैंपा फंड के लिए अभी तक केंद्र सरकार को आवेदन ही नहीं किया था। उन्हें कहा गया कि जल्द ही एक बैठक आयोजित की जाएगी। यदि वे केंद्र को प्रस्ताव नहीं भेजेंगे तो उन्हें फंड नहीं दिया जाएगा। राज्यों को अब अंतिम मौका दिया जा रहा है। हालांकि, मध्यप्रदेश ने मार्च में ही प्रस्ताव भेजकर शासन से करीब 850 करोड़ का फंड हासिल कर लिया है।
एक देश एक परमिट होगा जारी
वन उत्पाद से कमाई करने में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। इस साल वन उत्पाद से करीब 850 करोड़ की आय का लक्ष्य रखा गया है। मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य है जो वन उत्पाद के ट्रांसपोर्ट के लिए ऑल इंडिया परमिट जारी करता है। लेकिन अब भी कई राज्य ऐसे हैं, जो दूसरे राज्यों के परमिट को नहीं मानते। बैठक में तय किया गया कि एक देश एक परमिट नीति को लागू किया जाएगा, जिससे परिवहन आसान हो सके। अभी राज्यों के नियम अलग-अलग होने से व्यापारियों को परेशानी होती है। बैठक में वन क्षेत्र के संरक्षण का मुद्दा भी उठा। इसमें यह बात आई कि विकास कार्यों में जंगल की जमीन छिनने पर राज्यों को अन्य स्थानों पर जमीन दी जाती है, वे इस पर पेड़ तो लगाते हैं, लेकिन इसे प्रोटेक्टेड और रिजर्व एरिया घोषित नहीं करते। इससे बाद में अतिक्रमण का खतरा भी होता है। राज्यों से कहा गया कि वे प्लानिंग बनाकर इस पर काम करें। 2021 से पहले के प्रोजेक्ट को भी जल्द ही प्रोटेक्टेड और रिजर्व एरिया घोषित किया जाए।