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बड़ी खबर: इस चाल में फंस सकते हैं भाजपा के दिग्गज! कांग्रेस के लिए राहुल ने लिए इंटरव्यू

दोनों ही पार्टियां लगातार चुनाव जीतने के लिए नई रणनीतियों का सहारा...

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भोपाल। लंबे समय से सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही कांग्रेस ने एक बार पुन: अपनी पुरानी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। ये वहीं पुरानी रणनीति है जिसके दम पर पूर्व में भी कांग्रेस चुनाव में अपने झंड़े गाड़ चुकी है।

दरअसल मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को चुनाव होने हैं, ऐसे में राजनीतिक गहमागहमी तेज हो गई है। दोनों ही पार्टियां लगातार चुनाव जीतने के लिए नई रणनीतियों का सहारा ले रहीं हैं। इसी सब के बीच कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में जीत का परचम फहराने के तहत भाजपा के दिग्गज नेताओं को धराशायी करने का इरादा कर लिया है।

सामने आ रही जानकारी के अनुसार पार्टी इस बार फिर 1990 की वो ही रणनीति दोहराने जा रही है। जिसमें विरोधी दिग्गज नेताओं के खिलाफ चर्चित चेहरा उतार कर उन्हें उनके ही क्षेत्र में पटकनी दे सके।

जानकारों की माने तो कांग्रेस की यह रणनीति बीजेपी के दिग्गज नेताओं को परेशानी में डाल सकती है। बताया जाता है इसी के तहत दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कई नए और चर्चित चेहरों से मुलाकात कर उनका इंटरव्यू भी लिया है।

दरअसल, कांग्रेस इस बार मध्यप्रदेश में भाजपा के खिलाफ पनप रही एंटी इनकंबेंसी को भुनाने के जगह उसके दिग्गज नेताओं का घेराव करने की रणनीति तैयार कर रही है।

वहीं जानकारों की मानें तो इस बार भाजपा की रणनीति थी कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को उनके घर पर ही घेरा जाए, लेकिन कांग्रेस की इस पुरानी रणनीति के चलते भाजपा पेसोपेश में आ गई है।

जानकारी के अनुसार कांग्रेस का यह फॉर्मूला 1990 में पार्टी के वरिष्ठ नेता डीपी राय ने तैयार किया था। कांग्रेस बीजेपी के दिग्गज नेताओं को चुनाव में हराने और उनके क्षेत्र में ही उन्हें रोकने के लिए नए चेहरों पर दांव लगाएगी।

इससे कांग्रेस को भले जीत न मिले, लेकिन वह बीजेपी के हाई प्रोफाइल नेताओं को उनके क्षेत्र में नजरबंद करने में कामयाब जरूर हो जाएगी। जिसका फायदा उसे चुनाव प्रचार में दूसरी सीटों पर मिल सकेगा।

वहीं जानकार मानते हैं कि भाजपा अब तक इसी पेसोपेश में है कि कांग्रेस का कौन से बड़े नेता चुनाव में उतरने जा रहे हैं, जिन्हें उन्हीं के क्षेत्र में घेरा जा सके, लेकिन अब तक कांग्रेस की ओर से ये साफ नहीं किए जाने के कारण भाजपा के लिए अपनी रणनीति पर काम करना मुश्किल हो रहा है।

आजमाया हुआ फॉर्मूला

राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार इन दिनों भाजपा को चुनावी दंगल में पटखनी देने के लिए कांग्रेस हर तरीका आजमा रही है। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। कांग्रेस पूर्व में भी इस तरह की रणनीति पर काम कर चुकी है।

उस समय भी तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा के खिलाफ कांग्रेस ने मौजूदा नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को उतारा था। पटवा उनके क्षेत्र में हारे तो नहीं थे, लेकिन उन्हें जीत के लिए पूरा जोर लगाना पड़ा था। जिसका नतीजा यह हुआ था कि वह अपने क्षेत्र के सिवा किसी दूसरे उम्मीदवार के लिए प्रचार में नहीं जा सके।

भाजपा ने भी चला था ये दांव...
कांग्रेस से सीख लेकर भाजपा ने भी यही दांव 2003 में आजमाया था। छग से विभाजन के बाद मध्यप्रदेश के पहले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ शिवराज सिंह चौहान ने राघौगढ़ से चुनाव लड़ा था।

शिवराज भी अपनी चाल में कामयाब हुए थे, वह चुनाव तो नहीं जीते, लेकिन उन्होंने सिंह को उनके क्षेत्र में ही सीमित कर दिया था। शिवराज तब दो सीटों पर चुनाव लड़े थे।

वह उनकी पारंपरिक सीट बुधनी से चुनाव जीते थे। शिवराज के दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने से यह हुआ कि जीत का प्रतिशत काफी हद तक कम हो गया था। वहीं 2013 में सुरखी सीट से युवा उद्यमी पारुल साहू ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और विधायक गोविंद सिंह राजपूत को दो बार विधानसभा चुनाव में 141 मतों से हराया था।

यह होंगे सीएम शिवराज के प्रतिद्वंदी!...
ऐसा माना जा रहा है कि सपा से दामन छुड़ा कर कांग्रेस में आए युवा नेता अर्जुन आर्य को कांग्रेस इस बार बुधनी सीट से सीएम शिवराज सिंह के खिलाफ उतार सकती है।

किसान आंदोलन में अहम भूमिका में रहे आर्य किसानों और आदिवासियों के साथ लंबे समय से काम कर रहे हैं। उनकी स्थानीय लोगों में काफी अच्छी पकड़ है।

वहीं, व्यापमं घोटाले में फंसे पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के खिलाफ कांग्रेस सिरोंज सीट से युवा नेता रजत गौर को मैदान में उतार सकती है। शर्मा को इस बार टिकट मिलने की प्रबल संभावना है।

जबकि कहा जा रहा है कि मंत्री गोपाल भार्गव के लिए भी इस बार जीत की राह इतनी आसान नहीं होगी। चर्चाओं के अनुसार उनके विरुद्ध युवा नेत्री ज्योति पटेल कांग्रेस के लिए नई उम्मीद की किरण साबित हो सकती हैं। पटेल शिक्षित हैं और उनके साथ ओबीसी और कुर्मी समाज का बड़ा जनाधार है। कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार घोषित कर सकती है।

नेताओं के इंटरव्यू...
सामने आ रही जानकारी के अनुसार कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दिनों दिल्ली में इन नेताओं से मुलाकात कर इनके इंटरव्यू लिए हैं। वहीं इस दौरान एक और चेहरा भोपाल की दक्षिण-पश्चिम सीट से मंत्री उमा शंकर गुप्ता के खिलाफ सामने आया है। इसके तहत कांग्रेस अमित शर्मा को उतार सकती है।

वहीं, आगर सीट से एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष विपिन वानखेड़े को टिकट मिल सकता है। जबकि गोविंदपुरा सीट से मौजूदा पार्षद गिरीश शर्मा का भी नाम आगे है। प्रदेश की कुछ ऐसी सीटें भी है जहां से कांग्रेस बीते 30 साल में सिर्फ एक या फिर दो बार ही जीत पाई है। इन सीटों को लेकर भी कांग्रेस में काफी मंथन हुआ है।