21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सात चक्रों पर केंद्रित है श्रीयंत्र पर आधारित महालक्ष्मी मंदिर

मानव शरीर में मेरूदंड से लेकर ब्रह्मरंध तक कुल सात चक्र होते हैं, जिनकी ईश्वरीय ऊर्जा का संचालन होता है

2 min read
Google source verification
mahalaxmi temple

सात चक्रों पर केंद्रित है श्रीयंत्र पर आधारित महालक्ष्मी मंदिर

भोपाल. शहर के नेहरू नगर करुणाधाम आश्रम स्थित शहर का महालक्ष्मी मंदिर ईशावास्यम श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, साथ ही यह मंदिर अपने आप में अनूठा भी है। इस मंदिर का निर्माण षटकोण आकार में श्रीयंत्र पर आधारित है जो स्वयंसिद्ध है। इसके साथ ही मानव शरीर में मेरूदंड से लेकर ब्रह्मरंध तक कुल सात चक्र होते हैं, जिनकी ईश्वरीय ऊर्जा का संचालन होता है। इस मंदिर को इन्हीं चक्रों के आधार पर सात खंडों में विभक्त किया गया है। शहर के महालक्ष्मी मंदिर में दिवाली के चलते आकर्षक विद्युत साज सज्जा की गई है। मां महालक्ष्मी का विशेष शृंगार किया जाएगा। मंदिर के सदस्य अजय कोतवाल ने बताया कि सुबह 6 बजे माता रानी का विशेष शृंगार किया जाएगा और नवीन वस्त्र धारण कराए जाएंगे। इसी प्रकार शाम को भी विशेष शृंगार कर नवीन पोशाक धारण कराई जाएगी।

दिवाली पर जगमगाएंगे सैकड़ों दीप
दिवाली पर मंदिर पूरे दिन से लेकर रात 12 बजे तक दर्शनाििथ्दवाली पर जगमगाएंगे सैकड़ों दीप, होगी महाआरती
दिवाली पर मंदिर पूरे दिन से लेकर रात 12 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहेगा। दिवाली पर यहां शाम 6 बजे से विशेष पूजा अर्चना की जाएगी, साथ ही मंदिर परिसर में 1500 से अधिक दीपक जलाए जाएंगे, वहीं सैकड़ों दीपों से महाआरती की जाएगी। महाआरती शाम 7:30 बजे से होगी। दिवाली पर यहां शाम 6 बजे से विशेष पूजा अर्चना की जाएगी, साथ ही मंदिर परिसर में 1500 से अधिक दीपक जलाए जाएंगे, वहीं सैकड़ों दीपों से महाआरती की जाएगी। महाआरती शाम 7:30 बजे से होगी।

इन सात चक्रों के आधार पर तैयार हुआ है मंदिर
- प्रथम खंड करुणेश्वरी मंडपम है, यह मूलाधार चक्र है, जो भौतिक शरीर में स्थित वासनाओं को नियंत्रित करता है। यह चक्र शरीर का माता के समान पोषण करता है, इसका रंग लाल है।
- द्वितीय खंड में ईशावास्यम माता महालक्ष्मी का मंदिर स्वाधिष्ठान चक्र है, जो मानव शरीर में मूलाधार चक्र के ठीक ऊपर स्थित होता है। यह प्रसन्नता, विश्वास, आत्मबल और मानसिक शक्ति बढ़ाता है।
- मंदिर के तीसरे खंड मणिपुर चक्र है। नाम के अनुरूप यह मणि रत्नों का भंडार है। इस चक्र से निर्मलता, विवेक, आत्मविश्वास और आत्मकल्याण जैसे रत्नों की प्राप्ती होती है। मंदिर में इस स्थान पर श्रीयंत्र स्थापित है।
- चतुर्थ खंड अनाहत चक्र की ऊर्जा समुद्र के समान फैली होती है। इस चक्र में हमारी आत्मा का वास होता है। इस चक्र का रंग हरा है।
- मंदिर का पांचवा खंड विशुद्ध चक्र है। यह मानव शरीर में कंठ में स्थित होता है। यह भौतिक, दैहिक और आध्यात्मिक शुद्धि का दाता है। यह नकारात्मक सोच को सकारात्मक में बदलता है। इस चक्र का रंग नीला है।
- मंदिर का छठवां खंड आज्ञा चक्र है। मानस शरीर के दोनों भौहों के माध्य जहां हम टीका लगाते हैं, वहां यह स्थित होता है। आज्ञा चक्र गुरु का स्थान है। इस चक्र का रंग जामुनी होता है।
- ईशावास्यम के सातवें खंड सहस्त्रार चक्र है। इसे ब्रह्मरंध चक्र भी कहते हैं। यह चक्र मनुष्य के शरीर में शीर्ष स्थित होता है। यह चक्र सूर्य के समान तेजस्वी है। यह चक्र मंदिर के शिखर पर स्थित है। इस चक्र का रंग बैंगनी है।