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Mahanaryaman Scindia Interesting Story: आसमां में ऐसे सितारे कम ही होते हैं, जो अपनी चमक से न सिर्फ आसमान बल्कि जमीन को भी इतना रोशन कर देते हैं कि नई राहें बना देते हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी एक ऐसा ही सितारा है, जिसके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं है, लेकिन फिर भी वो भाग्य पर नहीं कर्म पर विश्वास करता बल्कि कर्म उसके दिल में बसता है। यही कारण है कि एक शाही परिवार से होते हुए भी वह अपना खुद का काम करता है।
हम बात कर रहे हैं महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के सुपुत्र महाआर्यमन (महानार्यमन सिंधिया) की। आपको जानकर हैरानी होगी कि महलों का राजा और शाही अंदाज में नजर आने वाला ये युवराज आज सब्जियां भी बेचता है और अपना खर्च निकालता है।
patrika.com पर जानते हैं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महानार्यमन की लाइफ स्टाइल के बारे में...।
ग्वालियर के शाही खानदान के युवा वारिस महानार्यमन सिंधिया ने 4000 करोड़ रुपए के जयविलास पैलेस की भव्यता को पीछे छोड़कर अपने हाथों से मेहनत की मिट्टी को शाही ताज पहनाया। यह कहानी है एक ऐसे शहजादे की, जो सब्जियां बेचकर नई पीढ़ी को प्रेरित करता है। लेकिन उनकी यह यात्रा सिर्फ उद्यमिता तक सीमित नहीं है, यह उनकी शिक्षा, जीवनशैली और दिल की पसंद का भी एक खूबसूरत चित्र है।
महानार्यमन की जड़ें गहरे ज्ञान से जुड़ी हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई दून स्कूल, देहरादून से पूरी की है। जहां वे स्कूल प्रीफेक्ट जैसे नेतृत्वकारी पद पर रहे। इसके बाद, उन्होंने अमेरिका की मशहूर येल यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। उनका ज्ञान का सफर यहीं नहीं रुका। बल्कि उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस के समर स्कूल में मध्य पूर्व और वैश्विक राजनीति का अध्ययन भी किया। यह शिक्षा उनके लिए सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं थी, बल्कि एक ऐसा आधार थी, जिसने उन्हें दुनिया को समझने और बदलने की ताकत दी। भूटान के राजा जिग्मे नामग्याल वांगचुक के साथ इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने मानवता की गहरी सीख ली, जो आज उनके काम में झलकती हुई नजर आती है।
जयविलास पैलेस की 400 कमरों वाली भव्यता में रहते हुए भी महानार्यमन की जीवनशैली में एक अनोखी सादगी नजर आती है। वे एक तरफ शाही विरासत के वारिस हैं, तो दूसरी तरफ एक युवा उद्यमी, जो ग्वालियर की गलियों में किराना दुकानों पर अपने स्टार्टअप की बात करते आसानी से दिखाई दे जाते हैं। उनकी दिनचर्या में मेहनत और जुनून का संगम है, चाहे वह ‘माईमंडी’ के लिए सब्जी विक्रेताओं के साथ काम करना हो या ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष के रूप में खेल को बढ़ावा देना हो। वे अपने दादाजी स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की याद में 12 किलोमीटर की मैराथन दौड़ते हैं, जिसमें हजारों लोग एकता के लिए शामिल होते हैं। उनका यह अंदाज बता देता है कि वे शाहीपन को दिल से जीते हैं, लेकिन हमेशा जमीन से जुड़े रहते हैं।
महानार्यमन के दिल में संगीत बसता है। उन्हें खाने का भी बेहद शौक है। बचपन में वे शेफ बनने का सपना देखते थे और इंटरनेट से रेसिपीज़ सीखकर प्रेक्टिस भी करते थे। आज भी वे खाना बनाने का शौक रखते हैं, चाहे वह बिरयानी हो या जापानी व्यंजन। उनकी ‘प्रवास’ नामक सांस्कृतिक पहल, जिसमें संगीत, कला और भोजन का संगम है, उनकी इस पसंद को साफ दिखाता है।
प्रकृति से उनका गहरा लगाव है, उन्होंने अपने परिवार के छत्रियों के आसपास की ज़मीन को जैविक खेती के लिए बदला, जहां वे मौसमी सब्जियां और फल उगाते हैं। क्रिकेट उनका एक और जुनून है और वे मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए एक लीग शुरू करने की योजना भी बना रहे हैं।
महानार्यमन की एक खास बात यह है कि वे सत्ता या राजनीति की चकाचौंध से दूर रहना ही पसंद करते हैं। जहां उनके पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति के शिखर पर हैं, वहीं महानार्यमन कहते हैं कि - राजनीति बदलाव का जरिया हो सकती है, पर मैं अभी इसमें नहीं आना चाहता। वे मानते हैं कि एक व्यक्ति अकेले भी बड़ा बदलाव ला सकता है, जैसे महात्मा गांधी ने किया। उन्हें दिखावा या बनावटीपन बिल्कुल पसंद नहीं, वे असली मेहनत और सच्चे रिश्तों को तरजीह देते हैं।
2022 में अपने दोस्त सूर्यांश राणा के साथ शुरू किया गया ‘माईमंडी’ स्टार्टअप (MY Mandi startup) महानार्यमन की दूरदर्शिता का प्रतीक है। यह एक ऐसा मंच है, जो सब्जी विक्रेताओं और ठेले वालों को जोड़ता है, ताकि ताजा उत्पाद सस्ते और आसान तरीके से लोगों तक पहुंचें। यह सिर्फ व्यवसाय नहीं, बल्कि एक मिशन है, किसानों और मेहनतकशों के चेहरों पर मुस्कान लाने का।
उनकी यह पहल न केवल उनकी उद्यमशीलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि शाही खून में मेहनत और बदलाव की ताकत कितनी गहरी है। महानार्यमन सिंधिया का यह सफर हमें सिखाता है कि असली शाहीपन ताज में नहीं, बल्कि दिल और कर्मों में बसता है। वे एक ऐसे युवा हैं, जो अपनी शिक्षा, सादगी और जुनून से नई मिसाल कायम कर रहे हैं।
Updated on:
05 Apr 2025 05:05 pm
Published on:
05 Apr 2025 04:33 pm
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