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190 करोड़ के भवन में इंटीरियर पर 40 करोड़ का खर्चा,

पत्रकारिता विवि के कुलपति ने लगाई रोक, हाऊसिंग बोर्ड को लिखा पत्र

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190 करोड़ के भवन में इंटीरियर पर 40 करोड़ का खर्चा,

भोपाल. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विवि की बिसनखेड़ी के भवन में इंटीरियर के लिए 40 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इस भवन के निर्माण की कुल लागत 190 करोड़ रुपए है। विवि के निरीक्षण पर पहुंचे कुलपति डॉ. दीपक तिवारी को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने इस कार्य पर रोक लगा दी। इसके लिए हाउसिंग बोर्ड को पत्र लिखा है। जानकारी के अनुसार प्रबंधन इंटीरियर के लिए इतनी राशि खर्च करने के पक्ष में नही है।
जानकारों के अनुसार बिशनखेड़ी में बन रही विवि की बिल्डिंग में विद्यार्थियों की सुविधाओं का भले ही ध्यान न रखा गया हो , लेकिन अधिकारियों का पूरा खयाल रखा गया है। यहां कुलपति कार्यालय 4000 वर्गमीटर में प्रस्तावित है। इसके अलावा शिक्षकों एवं अन्य अधिकारियों के लिए जो व्यवस्थाएं की गई हैं, उनमें फिजूलखर्ची अधिक है।

हॉस्टल में शौचालय तक की नही पर्याप्त व्यवस्था

छात्र-छात्राओं के हॉस्टल के लिए 150 कक्ष तैयार किए जा रहे हैं। इसमें 75 कमरे छात्रों और इतने ही छात्राओं के लिए हैं। सूत्रों के अनुसार विद्यार्थियों के लिए पर्याप्त शौचालय तक की व्यवस्था नही की गई है।

इधर, इंटीरियर के काम के लिए अजीब शर्त

यही नही इंटीरियर में किए जा रहे काम में भी अपनों को उपकृत किए जाने की तैयारी की जा रही है। हाउसिंग बोर्ड ने इंटीरियर के लिए ऐसी शर्तें जोड़ दी जो शासन के नियमों में ही नहीं है। 40 करोड़ रुपए के काम के लिए निकाले गए टेंडर में समान प्रकृति के काम के लिए 5 साल तक लगातार 80 करोड़ यानी 400 करोड़ रुपए का टर्नओवर मांग लिया। यही नहीं इंटीरियर वर्क में करीब 10 प्रकार का काम शामिल है, लेकिन सिर्फ फर्नीचर बनाने वाले ही इसमें शामिल हो सकते हैं। जबकि फर्निशिंग, वायरिंग, लाइटिंग, सीसीटीवी कैमरे, ईपीएबीएक्स, नेटवर्र्किंग, प्रोजेक्टर आदि का काम भी इसमें किया जाना है। लोक निर्माण विभाग के नियमानुसार किसी काम की लागत का 50 फीसदी तक टर्न ओवर वाली फर्म और कंपनी इसके लिए पात्र हो सकती है।

वर्जन

बिसनखेड़ी में निर्मित की जा रही विवि की नई बिल्डिंग के निर्माण कार्य को रोकने के लिए हाउसिंग बोर्ड को पत्र लिखा है। यहां इंटीरियर पर खर्च के लिए जरूरत से ज्यादा प्रावधान किया गया है। इन पैसों से विद्यार्थियों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जा सकती हैं।
दीपक तिवारी, कुलपति पत्रकारिता विवि भोपाल