
भोपाल। सोन अभयारण्य में नर घडि़याल गायब हो रहे हैं। वन महकमे ने वन्य प्राणी मुख्यालय को रिपोर्ट देकर कहा था कि यहां नर घडि़याल न होने से इनकी वंशवृद्धि रुकी हुई है।
इसके बाद वन्य प्राणी मुख्यालय ने चंबल अभयारण्य से तीन नर घडि़याल यहां शिफ्ट किए थे, लेकिन अब वे भी नहीं दिख रहे हैं। मैदानी वन्य प्राणी अफसर नर घडि़याल के गायब होने का कारण खोज रहे हैं। इसी बीच सोन अभयारण्य के संचालक ने यहां और नर घडि़याल शिफ्ट करने का आग्रह किया है, जिसे वन्य प्राणी मुख्यालय ने स्वीकार कर लिया है।
वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ की अध्यक्षता वाली कोर कमेटी सोन नदी से नर घडि़याल गायब होने के संबंध में अध्ययन करवा सकती है। वहीं घडि़यालों की वंशवृद्धि प्रभावित न हो इसके देखते हुए यहां एक बार फिर से चार-पांच घडि़याल शिफ्ट करने का निर्णय भी लिया जा सकता है। हालांकि एक साल पहले भी अभयारण्य डायरेक्टर ने उत्तर प्रदेश के कुकरैल अभयारण्य से घडिय़ाल लाने का भी प्रस्ताव मुख्यालय भेजा था। उत्तर प्रदेश सरकार की सहमती नहीं मिलने से बात नहीं बनी।
रेत माफिया के शिकार हो गए घडिय़ाल
सोन अभारण्य में करीब डेढ़ सौ घडिय़ाल थे। इनकी संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। अब इसकी संख्या लगभग 50 के आस-पास पहुंच गई है। रेत के अवैध उत्खनन के चलते घडिय़ालों को अंडे नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि घडि़याल रेत के अंदर अंडे रखते हैं। इसके अलावा नदी में तेज बहाव और बाढ़ आने के कारण घडिय़ाल के बच्चे पानी के साथ बह गए हैं। जंगलों में इधर-उधर भटकरने के कारण घडिय़ालों के कई बच्चे वापस नहीं लौटे। पानी से रेत निकालने के चक्कर में रेत माफियाओं ने बच्चों को मार दिया और कई मछली के जाल में फंसकर मर गए।
फरवरी से जून तक होता है प्रजनन काल
घडिय़ालों के प्रजनन काल का समय फरवरी से जून तक होता है। इसके चलते वाइल्ड लाइफ मुख्यालय इस अभ्यारण में जनवरी में नर घडिय़ाल छोडऩे पर तैयारी कर रहा है। जिससे उनके प्रजनन के लिए अनुकूल और पर्याप्त समय मिल सके। जून के बाद नर घडि़यालों को छोडऩे पर उनके प्रजनन काल का समय समाप्त हो जाएगा।
जनवरी में होगी गणना
संजय गांधी नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि अभयारण्य में घडिय़ालों की गणना जनवरी में की जाएगी। गणना के बाद ही यह तय हो पाएगा कि अभ्यारण्य में घडिय़ालों की संख्या कितनी है। जनवरी में जो चंबल से नर घडिय़ाल छोड़े गए थे उनकी अभी कितनी संख्या है।
चंबल में बढ़ी है घडिय़ालों की संख्या
प्रदेश के चंबल नदी में घडिय़ालों की संख्या बढ़ी है। इसकी मुख्य वजह चंबल से रेत उत्खनन पर प्रतिबंध होना और घडिय़ालों का संरक्षण पर विशेष प्रयास किया जाना बताया जा रहा है। फरवरी 2019 में चंबल नदी में कराई गई गिनती में 1857 घडिय़ाल पाए गए हैं। जबकि 2017 में इनकी संख्या 13 सौ के आस पास थी। वन विभाग के मुताबिक देश में सिर्फ यमुना और उसकी सहायक नदियों में पाए जाने वाले घडिय़ाल को बचाने की कोशिश की जा रही है। घडिय़ालों को प्रदेश और देश की अन्य साफ पानी की नदियों में बसाने की तैयारी चल रही है।
सोन अभयारण्य में चंबल नदी के नर घडि़यालों को शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है। इस पर अंतिम फैसला विभाग करेगा। सोन अभयारण्य से नर घडि़याल गायब हो गए हैं। कितने नर घडि़याल शिफ्टिंग करना है, इस पर अंतिम फैसला सरकार को करना है।
जेएस चौहान, एपीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ मुख्यालय
Published on:
04 Nov 2019 09:46 am
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