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भोपाल. मेप-आईटी में विभिन्न श्रेणियों के संविदा आधार पर विषय विशेषज्ञ, आईटी सलाहकारों के काम का मूल्यांकन करने का स्वरुप बदलने से विवाद खड़ा हो गया। अधिकांश सलाहकार, अलग-अलग विभागों में पदस्थ हैं। जिस विभाग में पदस्थ होकर सेवा दे रहे हैं, वहां का विभागाध्यक्ष ही अब तक इनके काम का मूल्यांकन करते आया है, लेकिन हाल ही में मेप-आईटी सीईओ तन्वी सुंद्रियाल ने इस व्यवस्था को अपने हाथों में ले लिया।
उन्होंने अन्य विभागों में कार्यरत सभी सलाहाकारों-विषय विशेषज्ञों के काम का मूल्यांकन, सेवावृद्दि, और वेतनवृद्दि के लिए दिए जाने वले ७० प्रतिशत अंक अपने हाथों में ले लिया, जबकि वे इनके अधीन काम ही नहीं करते हैं। जबकि अब तक जिस विभाग में ये सलाहकार काम कर रहे हैं, उन्हें यह अधिकार दिया गया था कि वे इनके काम का ७० प्रतिशत मूल्यांकन कर मूल विभाग को रिपोर्ट पेश करते थे। इसके बाद ३० फीसदी काम का मूल्यांकन सीईओ द्वारा किया जाता है।
लेकिन तन्वी ने काम का ७० फीसदी मूल्यांकन अपने हाथों में ले लिया और सलाहकारों के पोस्टिंग वाले विभागों को ३० प्रतिशत मूल्यांकन करने का काम दे दिया। इस पर सलाहाकारों का आरोप है कि वे जहां और जिस विभाग में काम कर रहे हैं, वहां के अफसर ही उनके काम का सही मूल्यांकन कर सकते हैं, जिनके अधीन काम नहीं किया वे किस तरह मूल्यांकन करेंगे।
विभागों की रिपोर्ट भी नहीं मानी
वर्ष २०१७-१८ और २०१८-१९ में सलाहकारों ने विभिन्न विभागों में काम किया। इसको लेकर संबंधित विभागों ने सेवावृद्दि, काम की कुशलता-मूल्यांकन और वेतनवृद्दि को लेकर विभागों ने सलाहकारों के पक्ष में सकारात्मक रिपोर्ट बनाकर ७० अंक के साथ मेप-आईटी को भेजी। लेकिन मेप-आईटी प्रबंधन ने इसे भी नहीं माना। अब अपने हिसाब से सभी की अलग-अलग रिपोर्ट तैयार की गई।
इसमें ३० अंक कार्यरत विभागों के माने गए और ७० अंक मेप-आईटी सीईआे ने दिए। इससे कई सलाहकारों की नौकरी खतरे में आ गई। सबसे बड़ी अड़चन यह है कि पूरे साल सीईओ के अधीन जिन्होंने काम ही नहीं किया उनका मूल्यांकन वह कैसे कर सकते हैं। जहां उन्होंने काम किया हैं, संबंधित अधिकारी-विभाग ही इनका सही मूल्यांकन कर सकते हैं, लेकिन करीब आठ साल पूरानी इस व्यवस्था को बदल दिया।
मंत्री तक पहुंचा विवाद
तन्वी के खिलाफ सभी सलाहाकारों ने मोर्चा खोल दिया। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने विभागीय मंत्री पीसी शर्मा को लिखित में शिकायत कर न्याय की मांग की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सीईओ अपने चहेते लोगों को सलाहकार पद पर रखने के लिए सालों से काम करने वाले सलाहाकारों के साथ भेदभाव रवैया अपना रही है। यह भी आरोप लगाया गया है कि संबंधित विभाग ने सलाहकारों के उत्कृष्ठ काम बताने के बाद भी सीईओ ने इसे भी नहीं माना। वेतनवृद्दि में भी कटोती कर दी गई।
मैंने कुछ नहीं बदला। जो व्यवस्था थी, उसे दुरुस्त किया है। मैंने सभी को अपने-अपने प्रेजेंटेशन देने के लिए समय दिया। कुछ सलाहकार बहुत अच्छा काम कर रहे तो कुछ कैसे नौकरी पा गए यह चिंतनीय है। मैंने कुछ सख्ती बरती तो एेसे ही लोगों को तकलीफ हो रही, जो सिस्टम में सिर्फ नौकरी करने के लिए आए हैं। आइटी सलाहकार का काम विभाग को अपडेट करना है, न कि विभाग ने जो काम दिया उस तक ही सीमित रहना है। जो लोग यह काम नहीं कर पा रहे, उन्हें मुझसे तकलीफ हो रही है।
तन्वी सुंद्रीयाल, सीईओ, मेप-आईटी
Published on:
06 Mar 2019 10:04 am
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