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डिजिटल लॉकर में नहीं पहुंची अंकसूची

माध्यमिक शिक्षा मंडल और नेशनल सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्र के बीच होता रहा पत्राचार

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भोपाल. प्रदेश में 10वीं और 12वीं की अंकसूचियां चार साल बाद भी डिजिटल लॉकर में नहीं रखी जा सकीं। इस बीच माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) और नेशनल सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्र (एनआइसी) के बीच में कई बार पत्राचार हुआ।

दोनों की आपसी खींचतान के चलते लाखों छात्रों को अपनी अंकसूची और उसके सत्यापन के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। माशिमं यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि सभी अंकसूचियां ऑनलाइन हैं। इन्हें कोई भी निकाल सकता है। एनआईसी को डिजिटल लॉकर की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। इसके माध्यम से सरकारी दस्तावेज ऑनलाइन रखना था।

इसमें रखे जाने वाले सभी दस्तावेज को सत्यापित दस्तावेज की तरह मान्यता भी दी जानी है। माशिमं को सभी विद्यार्थियों की अंकसूचियां लॉकर में रखनी थी। इसमें उसे कुछ भी खर्च नहीं करना था। वह एनआइसी और मेप आइटी से पत्राचार भी करता रहा। इस मामले में माशिम, मैप आइटी और एनआइसी के बीच बैठकें भी हुईं, लेकिन तीनों के अफसर एकराय हो पाए।

- ये है अड़चन
माशिमं गलतियां होने के कारण हर साल सैकड़ों अंकसूचियों में संशोधन करता है। यदि इन्हें डिजिटल लॉकर में रखा गया तो संशोधन के बाद लिंक बार-बार अपलोड करना पड़ेगा। इसके लिए एक अलग से सॉफ्टवेयर तैयार करना पड़ेगा। दोनों विभागों के नेटवर्क लिंक करने के लिए उन्हें सिक्योरिटी फीचर भी तैयार करन पड़ेगा।

- यह होगा फायदा
डिजिटल लॉकर में अंकसूची आने के बाद नौकरियों के लिए आवेदन पर अभ्यर्थियों को सिर्फ रोल नम्बर और लिंक भेजना होगा। अंकसूची का सत्यापन नहीं कराना पड़ेगा। इसके साथ ही गुमने पर भी अंकसूची लॉकर में हर समय सुरक्षित रहेगी।

- ये है मौजूदा व्यवस्था
माशिमं ने सभी अंकसूचियां 2010 से ऑनलाइन कर दी हैं। परीक्षा परिणाम घोषित होते ही इन्हें ऑनलाइन कर दिया जाता है। विद्यार्थी मंडल की वेबसाइट से इन्हें निकाल सकते हैं, लेकिन इसे सत्यापित नहीं माना जाता है। सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरी के आवेदन के लिए विद्यार्थी इस अंकसूची को सत्यापित कराने के लिए राजपत्रित अधिकारी के पास हाते हैं।

जबकि, सरकारी और निजी एजेंसियां अथेंटिफिकेशन के लिए इन्हें निर्धारित शुल्क के साथ माध्यमिक शिक्षा मंडल के पास भेजती हैं। इसके अलावा अंकसूची गुमने पर विद्यार्थियों को डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए मंडल के चक्कर काटने पड़ते हैं। मंडल में हर साल 40 से 50 हजार आवेदन अंकसूचियों के सत्यापन और संशोधन के लिए आते हैं।
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अंकसूची डिजिटल लॉकर में रखने के संबंध एनआइसी से पत्राचार चल रहा है। कुछ टेक्नीकल इश्यू आ रहे हैं। वैसे भी 10वीं-12वीं की अंकसूचियां ऑनलाइन हैं। बच्चे इसे किसी भी समय निकाल सकते हैं।
- अजय सिंह गंगवार, सचिव, माशिमं

इलेक्ट्रॉनिक एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, भारत सरकार और संबंधित विभाग को मिलकर यह काम करना है। मैप आइटी सेतु का काम करती है। दोनों में आपसी सहमति के बाद ही दस्तावेज डिजिटल लॉकर में रखे जा सकते हैं।
- विनय पांडे, सहायक संचालक, मैप आइटी