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भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) के मुख्य द्वार पर मंगलवार शाम 6 बजे से धरने पर बैठीं जनसंचार विभाग के तीसरे सेमेस्टर की दो छात्राओं ने आखिरकार 20 घंटे बाद बुधवार दोपहर 2 बजे धरना समाप्त कर दिया। विवि प्रबंधन ने विशेष मानवीय आधार वर्ष 2020 में आयोजित होने वाली मई-जून 2020 की परीक्षाओं में थर्ड व फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षाओं में एक साथ बैठने की अनुमति दी है। छात्रा मनु शर्मा व श्रेया पांडेय को यह शपथ पत्र देना होगा कि फोर्थ सेमेस्टर में उनकी उपस्थिति नियमित होगी और वे विवि के नियमों का पालन करेंगी। इसके अलावा दोनों छात्राओं द्वारा जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष संजीव गुप्ता के खिलाफ की गई शिकायत के निराकरण के लिए जांच समिति को प्रकरण भेजा गया है। समिति दोनों छात्राओं और विभागाध्यक्ष का पक्ष जानकर इस मामले में अपनी अनुशंसाएं देगी।
कुछ ऐसा रहा 20 घंटे का घटनाक्रम
यह पूरा मामला 24 दिसम्बर शाम 6 बजे शुरू हुआ, इसके बाद दोनों छात्राओं ने रात 10 बजे एमपी नगर थाने में विभागाध्यक्ष संजीव गुप्ता के खिलाफ शिकायती आवेदन दिया, फिर आकर पूरी रात विवि के मेन गेट के बाहर बैठी रहीं। सुबह 11.45 बजे सांसद प्रज्ञा ठाकुर इन छात्राओं से मिलने पहुंची, 5 मिनट बाद 11.50 बजे एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष विपिन वानखेड़े, प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे और प्रज्ञा गो बैक के नारे लगाने लगे। एनएसयूआई का कहना था कि किसी भी आंतकवादी को शिक्षा के मंदिर में प्रवेश नहीं करने देंगे। आखिरकार दोपहर 12.45 बजे छात्राओं से बातचीत करने के बाद सांसद यहां से वापस चली गईं। इसके बाद दोपहर 2 बजे विवि परिसर में रैक्टर, कुलसचिव की मौजूदगी में एडिशनल एसपी संजय साहू और सीएसपी भूपेन्द्र सिंह ने छात्राओं को समझाइश दी, छात्राओं के मानने पर दोपहर 2.15 बजे विवि प्रबंधन ने परीक्षा व विभागाध्यक्ष के खिलाफ जांच के दो आदेश जारी किए। दोपहर 2.30 बजे सांसद प्रज्ञा ठाकुर दोबारा इन छात्राओं से मिलने पहुंची।
पिछले दो सेमेस्टर में भी छात्राओं की कम थी उपस्थिति
इस मामले विवि प्रबंधन ने बताया कि दोनों छात्राओं ने दो वर्षीय पाठ्यक्रम में नियमित प्रवेश 30 जुलाई 2018 को लिया था। प्रवेश के समय ही संबंधित छात्राओं ने विवि के निर्धारित प्रारूप में घोषणा पत्र प्रस्तुत किया था कि, वह कक्षा में 75% उपस्थिति की अनिवार्यता का पालन करेंगी अन्यथा उनका प्रवेश निरस्त कर दिया जाएगा और उन्हें सेमेस्टर परीक्षा में सम्मिलित होने की पात्रता नहीं होगी। प्रथम सेमेस्टर में इनकी उपस्थिति निर्धारित मापदंडों से कम रही थी , फिर भी छात्रहित में इनको परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई। दूसरे सेमेस्टर में भी इन्होंने मेडिकल आधार पर परीक्षा में बैठने की अनुमति चाही, क्योंकि इनकी कक्षा में उपस्थिति बहुत कम होने के कारण विश्वविद्यालय ने इनका प्रवेश निरस्त किया था। इनके द्वारा शपथपूर्वक पेश करने पर कि अब मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ और ठीक हूं और भविष्य में नियमित रूप से विवि में कक्षाएं अटेंड करूंगी साथ ही अपनी कम उपस्थिति को अतिरिक्त असाइनमेंट्स एवं प्रोजेक्ट द्वारा पूरा करने का प्रयास करूंगी। तब कुलपति की विशेष अनुमति से इन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई थी।
पांच विद्यार्थियों का निरस्त हुआ था प्रवेश, तीन ने लिया पुनप्र्रवेश
तृतीय सेमेस्टर में इन दोनों की उपस्थिति शून्य रही। विभागाध्यक्ष द्वारा जनसंचार विभाग के पांच विद्यार्थियों का प्रवेश निरस्त किया गया। इनमें से तीन विद्यार्थियों ने विवि में 500 रुपए पुनप्र्रवेश शुल्क जमा कर कुलाधिसचिव के अनुमोदन के बाद पुनप्र्रवेश ले लिया। लेकिन इन दोनों छात्राओं ने इस आदेश के परिपालन में पुनप्र्रवेश हेतु विश्वविद्यालय में आवेदन नहीं किया और ना ही अपना परीक्षा फॉर्म भरा। इस बीच इन्होंने विश्वविद्यालय में वरिष्ठ स्तर पर संपर्क भी किया लेकिन कक्षाओं में लगातार अनुपस्थित रहने के उचित कारणों व मेडिकल साक्ष्यों को जमा नहीं किया। 20 दिसंबर 2019 को दोनों छात्राओं ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई।
मानवीय आधार पर छात्राओं की विशेष परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए विवि प्रबंधन ने दो आदेश जारी किए हैं। पहले आदेश में दोनों छात्राओं को अनुमति प्रदान की गई है कि पुनप्र्रवेश लेने पर वे चौथे सेमेस्टर के साथ तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा दे सकती हैं। साथ ही जनसंचार विभाग में उनकी शिकायतों की जांच के लिए यह प्रकरण जांच समिति को भेजा गया है।
- श्रीकांत सिंह, रेक्टर, एमसीयू
Published on:
25 Dec 2019 09:24 pm
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