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metro rail project : कंस्ट्रक्शन कंपनी को चाहिए 3 एकड़ जमीन

एम्स से सुभाष नगर रूट के आसपास जगह की तलाश, गर्डर कास्टिंग सहित मटेरियल तैयार करने बनेगा यार्ड

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metro rail project : सिविल कंस्ट्रक्शन करने वाली कंपनी को चाहिए 3 एकड़ जमीन

भोपाल. मेट्रो रेल के पहले फेज का सिविल वर्क करने वाली कंपनी को सरकार एम्स से सुभाष नगर के बीच करीब 3 एकड़ जमीन फेब्रीकेशन यार्ड बनाने के लिए देगी। 277 करोड़ रुपए के इस टेंडर पर दिलीप बिल्डकॉन ने सबसे कम दर पर बोली लगाई है। एमपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन से जारी चर्चा में कंपनी ने मटेरियल और कांक्रीट गर्डर कास्टिंग के लिए प्रपोज्ड साइट के आसपास यार्ड बनाने के लिए जमीन भी मांगी है। कॉर्पोरेशन ने इस मामले में एक्सपर्ट पैनल के साथ बैठक कर प्रस्ताव बनाना शुरू कर दिया है। कॉर्पोरेशन के मुताबिक जल्द ही जिला प्रशासन को प्रस्ताव भेजकर जमीन उपलब्ध कराने कहा जाएगा।

स्मार्ट सिटी ऑफिस में दफ्तर

एमपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का नया दफ्तर जल्द ही गोविंदपुरा स्मार्ट सिटी सेल की नई बिल्डिंग के दूसरे फ्लोर पर शिफ्ट होगा। प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल के निर्देश के बाद यहां फर्नीशिंग का काम पूरा हो चुका है। इससे पहले मेट्रो रेल का दफ्तर कृषि भवन में शिफ्ट होने वाला था, लेकिन स्मार्ट सिटी सेल की नई बिल्डिंग में जगह मिलने के बाद फैसला बदला गया। मेट्रो रेल का सेटअप अभी नगरीय प्रशासन संचालनालय के कक्षों से संचालित हो रहा है।

अक्टूबर 2017 में टेंडर तो फरवरी में वर्कऑर्डर क्यों?

भोपाल. मोतिया तालाब की दीवार पेंटिंग के लिए दोहरे भुगतान मामले में निगम प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। इसमें प्रमुख सवाल है कि पेंटिंग को लेकर अक्टूबर 2017 में टेंडर जारी किए गए थे। इसके लिए नवंबर 2017 में ठेकेदार तय कर दिया तो फिर वर्कऑर्डर फरवरी 2018 को यानी तीन महीने बाद क्यों दिया गया? हालांकि झील संरक्षण प्रकोष्ठ के संतोष गुप्ता ने जवाब दिया कि दीवार की बजाय उन्होंने रैलिंग की पेंटिंग और कुछ रिपेयरिंग वर्क का काम दिया था। दीवार का काम सिविल वालों ने किया, इसलिए दोहरे भुगतान का सवाल नहीं है।

इस पूरे मामले में जांच के बाद कार्रवाई की जा रही है। निगम के अपर आयुक्त स्तर के अफसर को जांच का जिम्मा दिया गया है। गौरतलब है कि मोतिया तालाब मामले में सिविल ने आनंदसिंह और झील प्रकोष्ठ ने मिलिंद पचौरी को करीब डेढ़-डेढ़ लाख रुपए का अलग-अलग भुगतान कर दिया था। एक काम के लिए अलग-अलग भुगतान पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।