scriptगेहूं खरीदने पहले से 110 गुना ज्यादा मिलरों ने दिखाई रूचि | Millers showed interest 110 times more than before to buy wheat | Patrika News

गेहूं खरीदने पहले से 110 गुना ज्यादा मिलरों ने दिखाई रूचि

locationभोपालPublished: Sep 10, 2021 10:59:41 pm

Submitted by:

Ashok gautam

– 6 लाख 45 हजार मीट्रिक टन गेहू खुले बाजार में बेचने जारी की निविदा
– तकनीकी टेंडर में करीब 116 कंपनियों ने हिस्सा लिया

Sufficient ration in POS machine, not even one month's wheat and rice

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भोपाल। प्रदेश के किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं को लेने के लिए पूर्व में जारी निविदा की तुलना में इस बार करीब 110 फीसदी कारोबारियों, मिलरों और कंपनियों ने रूचि दिखाई है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा जारी किए गए तकनीकी टेंडर में करीब 116 कंपनियों ने हिस्सा लिया है। अब इन कंपनियों के दस्तावेजों की जांच पड़ताल की जा रही है, अगले हफ्ते तक निर्धारित मूल्य से ज्यादा कीमत देने वाले कारोवारियों, मिलरों और कंपनियों को गेहूं बेचा जाएगा।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम प्रदेश में 6 लाख 45 हजार मीट्रिक टन गेहूं खुले बाजार में बेचने के लिए निविदा जारी किया है। निगम ने इसके पहले भी निविदा जारी किया था, लेकिन निविदा की शर्ते ऐसी कर दी थी, जिससे छोटे मिलर और कारोबारी निविदा में हिस्सा ही न ले सकें।
इसके साथ ही हिस्सा लेने वाली कंपनियों के नेटर्वथ राशि दो करोड़ रूपए निर्धारित कर दिया था। इससे छोटे मिलर निविदा में हिस्सा ही नहीं ले सकें। इस मामले को पत्रिका ने प्राथमिकता से उठाया। इसके बाद निविदा निरस्त कर दी गई। इसके अलावा निगम ने अपनी गलती मानते हुए दोबारा निविदा जारी किया है, जिसमें सौ से अधिक कंपनियों ने हिस्सा लिया।


गेहूं बेचने 56 लाट बनाया
निगम ने 6 लाख 45 हजार मीट्रिक टन गेहूं बेचने के लिए 56 लाट बनाया गया है। एक लाख में करीब 10 से 11 हजार मीट्रिक टन गेहूं रहेगा। प्रत्येक लाट के लिए अलग बोली लगाई जाएगी। एक क्विंटल की कीमत 1590 रुपए रखी गई है। अधिकतम रेट देने वाली कंपनी को ही गेहूं बेचा जाएगा। बताया जाता है कि बाजार मूल्य के आकलन के बाद ही गेहूं की कीमत तय की गई है।

तीन साल पुराना है गेहूं
बताया जाता है कि तीन साल पहले समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदा गया था। यह गेहूं सरकार ने केन्द्र की बिना अनुमति के खरीदा था। कमलनाथ सरकार और शिवराज सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी केन्द्र सरकार ने गेहूं लेने से मना कर दिया। अब सरकार औने पौने दामों में गेहूं बेचने का प्रयास कर रही है।

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