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मंत्री गोविंद सिंह बोले 15 साल में विकास हुआ, गांव की हालत बदली अब डकैत भी नहीं रहे

जेलों के अंदर भी अपराध, जूनियर कैदियों को मारपीट कर करते हैं प्रताडि़त ओवर क्राउडिंग के पीछे कहा, पुलिस टारगेट पूरा करने 151 में भेज देती है जेल  

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जांच में लापरवाही के कारण 40 साल गुजारे जेल में, अब मिला 149 करोड़ का मुआवजा

भोपाल। पंद्रह सालों में विकास तो खूब हुआ है। गांव की हालत बदल गई हैं। 95 फीसदी मकान पक्के बन गए हैं। अब डकैत भी नहीं रहे। लेकिन कुछ नहीं बदला तो वो हैं, मप्र की जेल। मप्र की जेलों में ओवर क्राउडिंग (क्षमता से अधिक कैदी) की वजह यह है कि पुलिस अपना टारगेट पूरा करने के लिए निर्दोश को भी जेल भेज देती है। ऐसे कई वाकये मुझे याद हैं, जिनकी सुध-बुध लेने वाला कोई नहीं। यह सबकुछ मैंने जेल के अंदर जाकर देखा और समझा। भिंड-मुरैना-ग्वालियर में हालात यह है कि अपराध एक ने किया, सजा पूरे परिवार के भुगतते हैं। यह बात सहकारिता मंत्री डॉ.़ गोविंद सिंह ने मंगलवार को देशभर से आए डीजी कॉन्फ्रेंस के समापन अवसर पर कही।

बाहरी सामान पर प्रतिबंध हटे, बुजुर्ग कैदियों को रिहाई मिले
मंत्री डॉ.़ सिंह बोले कि जेलों के अंदर भी अपराध होता है। जेलों में हेड़ कैदी जूनियर कैदी को प्रताडि़त करते हैं, उनसे मालिश करवते हैं, वजह रुपए। प्रताडऩा से रुपए मिलते हैं, जिनसे हेड़ कैदी और जेल अफसर मलाई काटते हैं। इस सबकी समीक्षा होनी चाहिए। सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होना चाहिए। अगर सच में जेलों में सुधार और बंदियों के उत्थान का कार्य करना है तो बाहरी सामान पर प्रतिबंद्ध हटे।

बाहरी सामान को परीक्षण के बाद जेल के अंदर दाखिल किया जाए, कैंटीन शुरू करवाई जाए। सन् 1999 के बाद से 70 साल के बुजुर्ग कैदियों की रिहाई पर रोक लगा दी गई है। इस पर पुन: विचार किया जाए, इसकी जेल मुख्यालय स्तर पर समीक्षा की जानी चाहिए। जब 70 साल के बुजुर्ग कैदी ने सजा पूरी कर ली है, तो उसे रिहा कर दिया जाना चाहिए। इससे ओवर क्राउडिंग की समस्या भी हल हो जाएगी और बुजुर्ग कैदी अपने परिवार के समय बिता सकेंगे।

उप्र और बिहार में राजनीतिकरण हावी, केंद्र सरकार एक जैसा एजेंडा बनाए, जो हर देश में लागू रहे
देशभर से आए डीजी ने अपने-अपने राज्यों की जेलों में चल रहे नवाचारों पर व्याख्यान दिए। सबसे ज्यादा तेलंगाना राज्य का नवाचार सभी राज्यों ने अपनाने पर विचार किया है। तेलंगाना राज्य ने 'उन्नतिÓ नाम से एक नवाचार शुरू किया है।

जिसमें वह कैदियों को मनो-वैज्ञानिक तरीके से कुशल प्रेरणा देते हैं। तेलंगाना में करीब पांच हजार ऐसे कैदी थे, जो रिहा होने के बाद महज 75 कैदी ही जेल वापस गए। राजस्थान, उप्र और झारखंड में जैमर व्यवस्था ठीक नहीं है, यहां करोँडों रुपए खर्च कर मोबाइल नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए जेलों में जैमर लगवाए गए, लेकिन वे काम नहीं किए। उप्र और बिहार में सबसे ज्याद राजनीतिकरण हावी है, जहां राजनीति के चलते जेलों की दुर्दशा हो रही है। केंद्र सरकार कुछ ऐसा कदम उठाए, जो देशभर की जेलों पर एक साथ लागू हो। यह बात सभी राज्यों से आए डीजी ने कही।

सन् 1999 के बाद नियम-कानून बदलने पड़े तो सरकार बदलेगी
जेल डीजी कॉन्फ्रेंस के समापन अवसर पर गृह एवं जेल मंत्री बाला बच्चन ने कहा कि जेल डीजी मप्र में जेल सुधार को लेकर फ्री हैं, सरकार से जो चाहिए। वह मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने के बाद उस पर जरूर अम्ल किया जाएगा। सबसे पहले जेलों में बंद 70 साल के बुर्जुग कैदियों को रिहाई पर सरकार विचार करेगी, अगर कानून और नियमों में कोई फेर-बदल किया जाएगा। उस पर भी सरकार पीछे नहीं हटेगी। इसके बाद जेलों में बन रहे प्रोडक्ट को ऑनलाइन बेचने काम करेगी। सभी राज्यों के डीजी के बीच जेल सुधार को लेकर जो उनके राज्यों में नवाचार हुआ है, उसकी एक-एक बुकलेट छपवाकर हम सभी राज्यों को भेजेंगे और उनके नवाचार को अपनाने का प्रयास करेंगे।

मप्र में रिसोर्स की बहुत कमी, झोली फैलाकर मांग रहा हूं
आज मेरे सामने मप्र जेल और सरकार के गृह एवं जेल मंत्री हैं, मैं उनके सामने झोली फेलाकर मांग रहा हूं। मप्र में रिसोर्स की बहुत कमी है। कभी वजट नहीं मिलता, मिलता है तब तक कीमतें बढ़ जाती हैं। सब काम अधूरे रह जाते हैं।

मैं गृहमंत्री को अवगत कराना चाहूंगा कि जेलों में मेडि़कल व्यवस्थाएं नहीं हैं। खुद के साधनों से हम उन्हें पूरा करते हैं। पढ़े-लिखे ट्रेंड कैदियों को कैदियों को कंपाउंडर की ट्रेनिंग दिलाते हैं। कैदियों के उत्थान के लिए कई बार फाइलें भेजी गई, लेकिन सब लटक जाती हैं। इस कमी को पूरा किया जाए। मप्र में विजन 2025 सोचा गया है, उसे पूरा करने के लिए सरकार का साथ चाहिए। यह बात मप्र जेल डीजी संजय चौधरी ने कही।