– विवाहघरों पर दिया ध्यान
सांसद निधि से सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों में 12-12 लाख रुपए से विवाह घर बनाए गए हैं। उन पर आरोप लगते रहे हैं कि उनका ध्यान छतरपुर जिले की विधानसभा सीटों पर अधिक रहता है। उन्होंने गल्र्स स्कूलों में 68 शौचालय बनाए हैं। सांसद ने पहली बार ग्राम पंचायतों को ट्रैक्टर-ट्रॉली और टैंकर दिए गए हंै। सांसद निधि से क्षेत्र में निर्माण कार्यों को तवज्जो दी गई है।
– सदन में रहे सक्रिय
संसद में सवाल पूछने के मामले में हाल ही किए गए एक सर्वे में खटीक देश में चौथे स्थान पर रहे थे। बालश्रम में पीएचडी हासिल करने वाले खटीक मंत्री बनने के पहले तक लोकसभा में 354 प्रश्न पूछे। 195 बहस में हिस्सा लिया। इसके साथ ही उनके द्वारा प्राइवेट बिल बालश्रम को लेकर पेश किया गया। सदन में उपस्थिति करीब 96 प्रतिशत रही है। गांवों में चौपालों के आयोजन और सादगी की छवि उनकी बड़ी पूंजी है।
सांसद निधि से सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों में 12-12 लाख रुपए से विवाह घर बनाए गए हैं। उन पर आरोप लगते रहे हैं कि उनका ध्यान छतरपुर जिले की विधानसभा सीटों पर अधिक रहता है। उन्होंने गल्र्स स्कूलों में 68 शौचालय बनाए हैं। सांसद ने पहली बार ग्राम पंचायतों को ट्रैक्टर-ट्रॉली और टैंकर दिए गए हंै। सांसद निधि से क्षेत्र में निर्माण कार्यों को तवज्जो दी गई है।
– सदन में रहे सक्रिय
संसद में सवाल पूछने के मामले में हाल ही किए गए एक सर्वे में खटीक देश में चौथे स्थान पर रहे थे। बालश्रम में पीएचडी हासिल करने वाले खटीक मंत्री बनने के पहले तक लोकसभा में 354 प्रश्न पूछे। 195 बहस में हिस्सा लिया। इसके साथ ही उनके द्वारा प्राइवेट बिल बालश्रम को लेकर पेश किया गया। सदन में उपस्थिति करीब 96 प्रतिशत रही है। गांवों में चौपालों के आयोजन और सादगी की छवि उनकी बड़ी पूंजी है।
सादगी वाले नेता का मंत्री बनने का पता चला तो खुशी हुई थी कि वे चौपाल से आगे निकलकर क्षेत्र का समुचित विकास करेंगे। जिस विभाग के वे मंत्री हैं, उसी क्षेत्र में हालात खराब हैं।
– अशोक चौबे, टीकमगढ़
– अशोक चौबे, टीकमगढ़
अपेक्षित विकास न होना और कोई बड़ी योजना न आ पाना ये दर्शाता है कि हमारे सांसद की केंद्र के मंत्रियों से ट्यूनिंग नहीं है। काम करवाए भी तो विधायक स्तर के। कृषि आधारित सूखे से जूझते बुंदेलखंड में कोई बड़ा उद्योग स्थापित होने या काम शुरू होने से आने वाले समय में लोगों की जिंदगी और क्षेत्र के विकास में जरूर फर्क पड़ता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
निशा गुप्ता, छतरपुर
निशा गुप्ता, छतरपुर
चुनाव आने वाले हैं तो खजुराहो-इंदौर एक्सप्रेस का झुनझुना सुनाई दे रहा है। मीडिया से पता चला कि यह ट्रेन फरवरी से चलनी है, लेकिन रेलवे अफसरों की तैयारी ही नहीं है।
– नवाब खान, टीकमगढ़
– नवाब खान, टीकमगढ़