मंत्रीजी अपने कैबिन से निकलकर गांव में पहुंचे तो पता चला कि विकास की तस्वीर वैसी नहीं है, जैसी अफसर उन्हें दिखाते रहे हैं। तालाब-बावड़ी सूखे पड़े हैं, बर्बाद फसलों का मुआवजा मिला नहीं और बिजली कंपनी बेतहाशा बिल वसूल रही है। किसानों ने सरकार के पुराने वादे याद दिलाए तो बगलें झांकने पर मजबूर हो गए। पहले आश्वासन का सहारा लिया फिर अफसरों पर बरस पड़े।