इस संबंध में डॉ. राजकुमार का कहना है कि पौधे किसे अच्छे नहीं लगते। ये आपकों आॅक्सीजन देते हैं, आपके पर्यावरण के अहम हिस्से हैं। आपको फल फूल सब्जी और तो और दवा तक देते हैं।
नर्सरी से आप भी काफी सूखबसूरत पौधे लाते ही होंगे। लेकिन यहां हम एक खास तरह के पौधे के बारे में बता रहे हैं। जो न केवल खूबसूरत है बल्कि आपके लिए काफी फायदेमंद भी है।
डॉ. राजकुमार के अनुसार इस पौधे को कई नामों से जाना जाता है। जैसे पणपुट्टी, भष्मपथरी, पत्थरचट्टा व पाषाणभेद आदि। असल में इस पौधे का वैज्ञानिक नाम bryophyllum pinnatum है। कहा जाता है कि पत्थरचट्टा या पाषाणभेद का इस्तेमाल या सेवन करने से किडनी की पथरी और प्रोस्टेट ग्रंथि से संबंधित किसी भी तरह की बीमारी का सटीक रूप से ठीक हो सकती है।
औषधीय गुण:
पत्थरचट्टा कई प्रकार के प्राकृतिक और औषधीय गुणों bryophyllum pinnatum medicinal properties से भरपूर होता है। यही वजह है इसका प्रयोग बाहरी और आंतरिक दोनों तरीकों से किया जाता है।
जब आप पत्थर चट्टा का पौधा खाते हो तो हम आपको बता दें कि इसका स्वाद नमकीन व खट्टा होता है। कई बार तो ये पौधा बहुत ही स्वादिष्ट भी लगता है। इस पौधे की तासीर सामान्य रहती है। जिसके कारण आप किसी भी मौसम में इसका सेवन कर सकते हैं।
इस पौधे को अपने घर में उगाने का बहुत ही आसान सा तरीका है। यदि आप इसके पत्तों को केवल जमीन में डाल देते हैं तो यह कुछ समय बाद वहां पर उगना शुरू हो जाएगा।
आयुर्वेदक में इस पौधे के सेवन का विशेष नियम है। जैसे की इस पौधे के केवल दो ही पत्तों को तोड़कर और इसे साफ करके इसका सेवन सुबह उठकर खाली पेट गरम पानी के साथ करना चाहिए। और जब आप ऐसा रोज करेंगे तो इससे पथरी कुछ ही दिनों में पूरी तरह से टूटकर खत्म हो जाएगी।
यदि आपको पेट में दर्द हो रहा हो तो आप थोड़ा सा पत्थरचट्टा का रस निकालें और फिर उसमें थोड़ा सा अदरक का चूर्ण यानि की सौंठ को मिला लें और फिर इसका सेवनPatharchatta in stomach pain in hindi करें। एैसा करने से पेट दर्द से राहत मिलती है।
जिन लोगों को पित्ताशय में पथरी हो वे पत्थरचट्टा के दस पत्ते लें और फिर उन्हें कूट पीसकर उसकी लगुदी यानि पेस्ट बना लें। फिर इसमें अजवायन के दस पत्तों से बने चूर्ण को मिला लें और फिर एक चम्मच गोखरू फिर इसमें डाल दें। और खाली पेट सुबह कम से कम तीन से चार दिनों तक इसका सेवन करें।
यदि ये उपाय आप से ना हो तो केवल दिन में कम से कम तीन बार आप पत्थरचट्टा पौधे के पत्तों का सेवन जरूर करते रहें। घाव व बहारी चोट:
यदि किसी कारण से हमें चोट, घाव, फोड़े व फुंसी हो जाए तो आप केवल पत्थरचट्टे के पत्तों को अच्छे से पीसकर उन जगहों पर लगाएं। इससे ये चीजें आसानी से ठीक हो जाएंगी। साथ ही आपको राहत भी मिलेगी।
यदि पेशाब वाले रास्ते में पथरी हो तो आप पथरचट्टा पौधे के दस पत्ते लें और और इन्हें एक गिलास पानी के साथ मिलाकर रोज इसका सेवन खाली पेट करें। माना जाता है कि ऐसा लगातार किए जाने से केवल दस से पंद्रह दिनों में पथरी टूटकर पेशाब के रास्ते Patharchatta uses in urine stone निकल जाती है।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि मूत्र संबंधी अन्य रोगों में भी ये पत्थरचट्टा कारगर उपचार करता है।
यदि आपको पेशाब करते हुए जलन महसूस होती हो। या पुरूषों में प्रोस्टेट संबंधी समस्या हो अथवा महिलाओं में सफेद प्रदर की समस्या उन सभी में पत्थरचट्टा पौधा Patharchatta ke fayde peshab ki jalan meiबहुत ही लाभदायक माना जाता है।
आप पत्थरचट्टे का इस्तेमाल गठिया की समस्या को दूर करने के लिए भी कर सकते हो। इसका सेवन करना इन रोगों में राहत देता है। ठंडक देता है
शरीर की गरमी को शांत करके ठंडक पहुंचाने का काम करता है। ये पौधा। इसके अलावा लीवर और किडनी को भी दुरूस्त बनाता है।
पेट में छाले की वजह से घाव बनना पेट का अल्सर कहलाता है। एैसे में आप पत्थरचट्टेक का सेवन जरूर करें। कॅल्यूसीस का उपचार
इस समस्या का भी कारगर उपचार है पत्थरचट्टा।
यदि बालों पर रूसी अधिक हो तो आप जरूर पत्थरचट्टे का सेवन करें। इससे ये समस्या आसानी से दूर हो जाती है। सिर दर्द
सिर में दर्द हो तो आप इस पौधे के पत्ते का सेवन पानी के साथ करें।
यदि कान में दर्द हो तो भी पत्थरचट्टा बहुत ही फायदेमंद होता है। इन बातों का रखें खास ध्यान:
सभी जानते हैं कि जब शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है तो फिर यह पथरी का रूप धारण कर लेती हैं जिसकी वजह से इंसान को दर्द भी अधिक होता है। लेकिन पत्थरचट्टा में मौजूद गुण इस कैल्शियम के बढ़े हुए प्रभाव को कम कर देते हैं।
जब भी आप इसका इस्तेमाल करें तो बिना साफ व धोए हुए फलों का सेवन ना करें। साथ ही चावलों का भी। ये एक तरह का परहेज भी है।
ब्लड प्रेशर के मरीजों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
आप जब कभी भी पत्थरचट्टा पौधे का सेवन करें तो जरूर इस बात का ख्याल रखें की इसके सेवन के बाद आप एक घंटे तक कुछ ना खाएं अथवा पीयें। जरूर से ज्यादा आप इस पौधे का सेवन ना करें।