
मिस्टर बंटाधार, पप्पू पास हो जाएगा, उल्लू, महामूर्ख जैसे शब्दों का इस्तेमाल सदन में नहीं कर पाएंगे विधायक
भोपाल। मिस्टर बंटाधार, पप्पू पास हो गया जैसे ऐसे शब्द हैं, जो चुनाव में खूब सुर्खियों में रहे। राज्य में दिग्विजय के 10 साल के शासनकाल के आखिरी मौके पर हुए विधानसभा चुनाव में तो भाजपा ने मिस्टर बंटाधार को लेकर कैंपेन भी चलाया। आखिरकार सत्ता परिवर्तन हुआ। लेकिन सदन में अब विधायक इस शब्द का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। विधायकों के लिए लागू आचार संहिता में इस शब्द को असंसदीय घोषित किया गया है। विधानसभा सचिवालय ने इसी तरह के कुल 1560 असंसदीय शब्दों को असंसदीय शब्दों की श्रेणी में शामिल किया गया है। रविवार को विधानसभा के सभागार में इन शब्द संग्रह पुस्तक का विमोचन किया गया। इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचेतक डॉ. गोविंद ङ्क्षसह शामिल रहे।
1654 से अब तक शब्दों का संग्रह -
विधानसभा सचिवालय ने वर्ष 1954 से लेकर वर्ष 2021 तक सदन की कार्यवाही में इस्तेमाल हुए असंसदीय शब्दों को छांटकर इसमें शामिल किया गया है। विधायकों को यह पुस्तक प्रदान की जाएगी। साथ ही उनसे आग्रह किया जाएगा कि वे सदन में अपनी बात रखते हुए इसका इस्तेमाल न करें।
इन प्रमुख शब्दों को माना असंसदीय -
झूठ, झूठा, उल्लू का प_ा, चार सौ बीस, धोबी के कुत्ते की तरह, मुर्ख, बेशर्म, बेईमान, तानाशाह, मनमानी, धोखाधड़ी, निकम्म्मे, चोर, पागल, पुलिस के कुत्ते, बकवास, भ्रष्ट, शैतान, लफंगा, हरामखोर, गुण्डागर्दी, ब्लैकमेल, बदमाश, उचक्का, हिजड़ा, चवन्नी छाप, ढोंगी, पाखण्डी,चुडैल, टुच्चा, हिस्ट्रीसीटर, बेवकूफी, नमक हराम, उल्लू, निठल्ले, महामूर्ख, चोर, भ्रष्ट, गुलाम, चमचे, चाटुकारिता, मक्कारी, यार, मिर्ची लगाना, भ्रष्टाचारी, हत्यारा, गोबर गणेश, धोखेबाज, धिक्कार, टुच्चे, रखैल, खलनायक, चंगु मंगु, दादागिरी, पप्पू पास हो जाएगा, नौटंकी, घोटाला, पप्पू, यह पप्पू कौन है, माई का लाल, फर्जी पत्रकार, डीलिंग, लफड़ा, नंगा नांच, चमचागिरी, कमीशनखोरी, वेबकूफ, टटपुंजिया, सेटिंग, बंदरवाट, कालाबाजारी, कांव कांव, मिस्टर बंटाधार
ये मुहावरे और कहावतें भी असंदीय शब्दों में शामिल -
चोर की दाढ़ी में तिनका, चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए, ये घडिय़ाली आंसू बहा रहे हैं, अलीबाबा चालीस चोर, छाती में मूंग दलना, 900 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली, आपको मिर्च क्यों लग गई, भैंस के आगे बीन बजाना, बैल बुद्धि, पाप का घड़ा, चोर मचाए शोर, यह लोग कितनी बार थूक कर चाटेंगे।
अब ट्रांसफर उद्योग नहीं चलेगा -
राज्य में सरकार किसी भी दल की रही हो, तबादलों पर सवाल खड़े होते रहे हैं। यहां तक कि तबादला उद्योग के आरोप भी लगे। फरवरी 2019 में सदन में उल्लेख हुआ कि अब ट्रांसफर उद्योग नहीं चलेगा, कमाने दो, बहुत साल बाद आए हैं, किन्तु उद्योग ....। जुलाई 2019 में सरकार पर आरोप लगे कि आप कुत्तों तक के ट्रांसफर कर रहे हैं, कुत्ते के लिए भी नहीं छोड़ा है, मध्यप्रदेश में ट्रांसफर उद्योग स्थापित हो गया है, रेट तय हो गए हैं। रविवार को विमोचित हुई पुस्तिका में इनका उल्लेख है। इन सभी वाक्यों, शब्दों को असंसदीय मानते हुए विमोलोपित कर दिया गया है।
Published on:
09 Aug 2021 01:08 am
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