दूसरी मशीनों की तुलना में यह है फायदा
एम्स के निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि लीनियर एक्सीलरेटर में कैंसर के अलावा दूसरी कोशिकाओं (सेल) को नुकसान कम पहुंचता है, जबकि कोबाल्ट व अन्य मशीनों से सिकाई करने पर बिना कैंसर वाली सेल को भी उतनी ही नुकसान पहुंंचता है। इससे मरीज की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि इस मशीन के बाद जनवरी से को प्लाक रेडियोथैरेपी भी शुरू की जाएगी। इससे आंखों के कैंसर की जांच की जाती है।
आईसीयू की तर्ज पर बनाया
सुल्तानिया अस्पताल में अत्याधुनिक हाई डेफिनेशन यूनिट (एचडीयू) की शुरुआत की गई। बुधवार को इस यूनिट को शुरू किया गया। यहां पर प्रसूताओं के लिए 10 बेड लगाए गए हैं। इस अत्याधुनिक यूनिट को आईसीयू की तर्ज पर बनाया गया है। अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक इस यूनिट में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम, आईसीयू बेड, मल्टी पैरामॉनीटर, पल्स आक्सीमीटर, वेंटिलेटर व अन्य सुविधाएं रहेंगी। पूरे समय एक डॉक्टर तैनात रहेगा। यहां अभी आइसीयू में मात्र छह बेड की व्यवस्था थी।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है आईसीयू
इस यूनिट में प्रसूताओं के लिए फाउलर बेड लगाए गए हैं। दो वेंटिलेटर पहले से हैं दो और वेंटिलेटर खरीदने की तैयारी है। संक्रमण से बचाने के लिए भी यूनिट में एयर कर्टन लगाए गए हैं। यूनिट के लिए दो पीजी चिकित्सकों को नियुक्त किया गया है। यहीं नहीं इस यूनिट के लिए अलग से नर्सिंग स्टाफ की भर्ती की गई है।