
मोक्ष नृत्य के जरिए की मोक्ष की कामना
भोपाल। शहीद भवन में चल रहे प्रभात गांगुली सांस्कृतिक महोत्सव में रविवार को शहर की युवा ओडिसी नृत्यांगना कल्यानी और वैदेही फगरे की नृत्य प्रस्तुति हुई। इन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत जगन्नाथाष्टकम से की।
यह प्रस्तुति शंकराचार्य कृत पदों पर आधारित थी। इसमें जगन्नाथ का दिव्य रूप, कामना मयूरपंख धारी, स्मितशाली, वनमाली रूप के दर्शन वर्णित थे। पुरी के विश्वविख्यात पर्व रथयात्रा के भी दर्शन प्रस्तुति में हुए।
नृत्यांगना द्रुत में आकर हो जाती है पल्लवित
ओडिसी की इस सुरमयी शृंखला की अगली कड़ी 'पल्लवी' रही। ओडिसी के अंतर्गत पल्लवी शुद्ध नृत्य का एक अंश है, जिसमें नृत्यांगना सुर और लय का आलंबन लेकर आंगिक मुद्राओं का त्रि-आयामी विस्तार करती है और विलंबित से दु्रत में आकर पूरी तरह से पल्लवित होती है।
राग बिहाग में निबद्ध ये पल्लवी ओडिसी के दृष्टा गुरु केलुचरण महापात्र की अद्वितीय रचनात्मकता का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे भुबनेश्वर मिश्र ने संगीतबद्ध किया। इसके बाद मैथिली कवि विद्यापति कि रचना पर आधारित अभिनय, जिसमें एक ओडशी के काम के प्रथम प्रस्फुटन का विनोदपूर्ण और मार्मिक चित्रण है। इसे संगीतबद्ध मीरा राव ने और नृत्य संरचना बिंदु जुनेजा की रही।
ओडिसी में मोक्ष और कथक में उपोदघात
कार्यक्रम का समापन मोक्ष प्रस्तुति कर किया। भारतीय 'जीवन संस्कृति' कि चरम परिणिति है। मोक्ष परम तत्व से एकाकार हो जाना है। मोक्ष नृत्य में मोक्ष की कामना परिकल्पित है।
श्री कृष्ण के मनोहरी रूप में विलीन हो जाना। परम तत्व ही है कृष्ण 'कृष्णात परम किमपि तत्वं अहं न जाने'। इसमें स्वर रचना मीरा राव एवं अभय फगरे और नृत्य संरचना केलुचरण महापात्र एवं बिंदु जुनेजा की रही। इसके बाद मार्गी संस्थान द्वारा कथक गुरु अल्पना वाजपेयी की शिष्याओं ने कथक में 'उपोदघात' की प्रस्तुति दी।
यह चक्रधर महाराज की कथक शब्द रचना है। उपोदघात के अंतर्गत कथक नृत्य प्रस्तुति में शिव-कृष्ण को नृत में और नृत्य में दर्शाया गया। इसे पारुल सिंह, हिमांशी साहू और मानसी शर्मा ने प्रस्तुत किया।
Published on:
25 Feb 2019 08:40 am
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