18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सटीक सैम्पलिंग से ज्यादा मिलावटखोरी पकड़ में आई, दस माह में 17921 सैम्पल में 3380 अवमानक, 304 पर एफआईआर

- भोपाल संभाग के विदिशा, रायसेन, राजढग में दिए जाएंगे मैजिक बॉक्स, इससे सटीक सैम्पलिंग का प्रतिशत और बढ़ेगा

2 min read
Google source verification
सटीक सैम्पलिंग से ज्यादा मिलावटखोरी पकड़ में आई, दस माह में 17921 सैम्पल में 3380 अवमानक, 304 पर एफआईआर

सटीक सैम्पलिंग से ज्यादा मिलावटखोरी पकड़ में आई, दस माह में 17921 सैम्पल में 3380 अवमानक, 304 पर एफआईआर

भोपाल. मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिए अभियान तो कई चले, लेकिन लीगल सैम्पल लेने में बरती गई लापरवाही से कई बार मिलावटखोर बच निकले। इससे उनके हौसले बुलंद होते गए। प्रदेश में पहली बार सटीक सैम्पलिंग के लिए अधिकारियों को मैजिक बॉक्स देकर मैदान में उतारा। उन्हें अत्याधुनिक मोबाइल लैब दी गईं, टीम को सैम्पल लेने के तरीके सिखाए तो पिछले अभियानों के मुकाबले इस बार मिलावटखोरी ज्यादा पकड़ में आई। राजधानी सहित प्रदेश में मात्र 10 माह में ही लिए गए 17931 सैम्पलों में से 3380 सैम्पल अवमानक पाए गए। अधिकारियों की मानें तो किसे अभियान में मिलावटखोरी पकड़े जाने का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। सटीक सैम्पल लेने की वजह से रिजल्ट भी सही आया। इससे मिलावटखोरों में से 304 पर एफआईआर और 33 पर एनएसए लगा। अधिकारियों का मानना है कि मिलावटखोरों पर जुर्माने और एफआईआर से ही मिलावटखोरी रुकेगी और उन पर शिकंजा कसेगा। नवंबर 2020 से शुरू हुए इस अभियान में पहली बार सटीक सैम्पलिंग पर जोर दिया है। क्योंकि सैम्पल लेकर जांच कराने में एक सैम्पल पर करीब 5900 रुपए का खर्च होता है। अगर इसमें लापरवाही की गई तो सरकार का ये रुपया व्यर्थ जाता है।

एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्रधिकरण ) की तरफ से मप्र को करीब 12 हजार सैम्पल एक वर्ष में करने का लक्ष्य था। लेकिन मिलावटअभियान के तहत 10 माह में ही लक्ष्य से कहीं ज्यादा सैम्पलिंग प्रदेश में हुई है।

पहले एक माह में 600 अब 1700 सैम्पल

पूर्व के अभियानों में हर माह करीब 600 लीगल सैम्पल लिए जाते थे। लेकिन इस बार करीब 1700 सैम्पल प्रतिमाह लिए गए। इनकी जांच के लिए भोपाल स्थित राज्य स्तरीय लैब के अलावा, इंदौर स्थित निजी लैब से भी जांचें कराई गईं। इस अभियान में मोबाइल फूड लैब की मदद से करीब 1 लाख 47 हजार 760 सर्विलांस सैम्पल भी लिए गए। स्पॉट पर मैजिक बॉक्स से जांचा गया, इसमें शक होने पर लीगल सैम्पल जब्त कर लैब में भेजा गया।

मिलावट पर 7 प्रतिष्ठान तोड़े, 141 सील किए

इस अभियान में दूध, मावा, पनीर व अन्य दूध से बने खाद्य पदार्थों में भिंड, मुरैना, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, भोपाल में सबसे ज्यादा असुरक्षित और अनसेफ सैम्पल मिले जो इंसानों के खाने योग्य नहीं थे। प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 7 प्रतिष्ठानों को तोड़ा और 141 प्रतिष्ठानों को सील कर दिया। इसके बाद भी प्रदेश में मिलावटखोरी जारी है। जरा सोचिए इस अभियान से पहले आप क्या खा रहे थे।

अनसेफ पाए सैम्पलों में दर्ज एफआईआर--

मुरैना--33

इंदौर--28

जबलपुर--23

भिंड--20
ग्वालियर--17

भोपाल--10

प्रदेश में स्थिति
राज्स स्तरीय लैब और निजी लैब में जांचे गए सैम्पल--17921

फेल हुए सैम्पलों की संख्या--3380
- अवमानक--1478

- मिस ब्रांडेड--1441
- प्रतिबंधित--146

- एडल्ट्रेड--158
- असुरक्षित--157

- अर्थदंड लगाया गया--9.04 करोड़
- अर्थदंड की वसूली हुई--2.71 करोड़

- एफआईआर दर्ज की गईं--304
- एनएसए में कार्रवाई--33