
फोन बजता है। कॉल रिसीव करते ही आवाज आती है...
'राज्य विधानसभा के चुनावों में आप किसे वोट देना चाहेंगे।' आपके विकल्प हैं...
A. भारतीय जनता पार्टी B. राष्ट्रीय कॉंग्रेस पार्टी C. आम आदमी पार्टी D. समाजवादी पार्टी E. बहुजन समाज पार्टी विधान सभा चुनावों की तैयारियों के बीच राजधानी भोपाल समेत पूरे मध्यप्रदेश में इन दिनों इस तरह के कॉल मतदाताओं के मोबाइल फोन पर आ रहे हैं।
इस कॉल के माध्यम से पार्टियां मतदाताओं से उनका रुझान जानने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन यह महज रुझान का मामला नहीं बल्कि मतदाताओं की निजता का सीधा-सीधा उल्लंघन है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या भारत निर्वाचन आयोग इससे वाकिफ है?
निजता या गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन
आपको बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक भारतीय को एक नागरिक के तौर निजता या गोपनीयता का अधिकार है। इसी निजता या गोपनीयता में मतदान की निजता का अधिकार भी शामिल है। इस तरह कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति से आधिकारिक तौर उसके उम्मीदवार की पसंद को नहीं पूछ सकता। लेकिन वर्तमान में पार्टियां टेक्नोलॉजी का पूरा-पूरा फायदा उठाना चाहती हैं और वो भी नियम-कायदे हाशिए पर रखकर। इसी का उदाहरण यह कॉल भी है। जिसे एआई के माध्यम से करवाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि उक्त मोबाइल नंबर से मतदाता की लोकेशन, उसके क्षेत्र में जनप्रतिनिधि के प्रति रुझान व पार्टी के प्रति रुझान को पार्टियां आंक रही हैं। अब सवाल उठता है कि इन फोनिक सर्वें अथवा पूछताछ को इन राज्यों में रोकेगा कौन? इसका सीधा जवाब है भारतीय निर्वाचन आयोग। लेकिन हैरत की बात यह है कि आयोग को इसकी जानकारी भी है, लेकिन अब तक इस मामले पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
इनका कहना है...
ऐसे कॉल के बारे में सुनने में तो आ रहा है। इस पर अधिकारियों से चर्चा करेंगे कि क्या कार्रवाई की जा सकती है। ये तो वोटर की गोपनीयता का उल्लंघन है।
- मुकुल गुप्ता, उप सचिव, मप्र राज्य निर्वाचन आयोग
Updated on:
17 Oct 2023 05:17 pm
Published on:
17 Oct 2023 05:13 pm
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