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क्षेत्रीय भाषाओं में भी डिस्टेंस लर्निंग के स्मार्ट टूल और डिजिटल पाठ्य सामग्री विकसित करें- राज्यपाल मंगुभाई पटेल

- एनईपी और ओडीएल पर मप्र राज्य भोज मुक्त विश्वविद्यालय की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में जुटे देशभर के ख्यात शिक्षाविद् - एनईपी में वर्ष 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के लक्ष्य पाने में पारंपरिक के साथ दूरस्थ शिक्षा भी साबित होगी निर्णायक

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क्षेत्रीय भाषाओं में भी डिस्टेंस लर्निंग के स्मार्ट टूल और डिजिटल पाठ्य सामग्री विकसित करें- राज्यपाल मंगुभाई पटेल

क्षेत्रीय भाषाओं में भी डिस्टेंस लर्निंग के स्मार्ट टूल और डिजिटल पाठ्य सामग्री विकसित करें- राज्यपाल मंगुभाई पटेल

भोपाल. भारत ने 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है, जिसे प्राप्त करने में दूरवर्ती शिक्षा सहायक सिद़ध होगी। मप्र में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने और उसे विद्यार्थीपरक बनाने में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली प्रभावी साधन बन सकती है। यह आरक्षित वर्ग और महिलाओं को मुख्यधारा में शामिल करने में भी निर्णायक साबित होगी। दूरस्थ शिक्षा के विस्तार में भाषा बाधक न बने इसलिए क्षेत्रीय भाषाओं में 'डिस्टेंस लर्निंगÓ के स्मार्ट टूल्स विकसित किए जाना चाहिए। ये सुझाव कुलाधिपति और राज्यपाल मंगुभाई पटेल शनिवार को प्रशासन अकादमी में मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा 'इंप्लीमेंटेशन आफ नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020: एप्रोचेस, ऑपच्र्युनिटीज एंड चैलेंजेस फॉर ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग एजुटेशनल इंस्टीट्यूट्स' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने सत्र की अध्यक्षता कहा कि जरूरतमंद विद्यार्थियों को आवश्यकतानुसार स्थानीय स्तर पर वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाए। इससे छात्रों को उनके आसपास के उद्योगों में रोजगार मिलेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस संगोष्ठी से ऐसी राह निकलेगी जो छात्रों को बेहतर प्लेसमेंट के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

दूरवर्ती शिक्षा की पाठ्य व अभ्यास सामग्री की डिजिटल उपलब्धता हो
राज्यपाल पटेल ने कहा कि डिस्टेंस एजुकेशन में पुस्तकों, अभ्यास सामग्री की डिजिटल उपलब्धता को विस्तारित किया जाना चाहिए। इस प्रणाली को यूजर फ्रेंडली बनाने के लिए शोध और अनुसंधान किया जाना चाहिए। आवश्यकता यह भी है कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली को छात्र हितकारी बनाया जाए। पाठ्यक्रम रोजगार मूलक और ज्ञान सम्पन्न करने वाले होने चाहिए।

इग्नू की तरह भोज विवि भी शुरू करे एजुकेशन चैनल- डॉ. यादव
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पांच हजार वर्षों का इतिहास देखें तो भारत में मुक्त विश्वविद्यालय की परंपरा रही है। हम कह सकते हंै कि एकलव्य इसी विवि के विद्यार्थी थे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा, विद्या के बल पर विशिष्ट पहचान बनाई। भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने भी 64 दिनों के शॉर्ट टर्म कोर्स में 64 कला, 14 विद्या प्राप्त की। भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवत का ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग ने सीमित संसाधनों के बावजूद कोविड काल में एनईपी लागू की। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने में भोज मुक्त विवि की भी भूमिका है। उन्होंने कहा कि इग्नू की तरह भोज विवि भी उच्च शिक्षा के लिए चैनल प्रारंभ करे।

मुक्त और दूरस्थ शिक्षा संस्थान भी नेक ग्रेडेशन में अच्छी रैंक ला रहे- प्रो. राव
कार्यक्रम के सारस्वत वक्ता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि भारत में 1.35 करोड़ विद्यार्थी 1100 पारंपरिक विश्वविद्यालयों और 40 हजार से अधिक महाविद्यालयों में पढ़ रहे हैं। वहीं 19 लाख यानी 11 प्रतिशत विद्यार्थी ओपन यूनिवर्सिटीज के मार्फत शिक्षा प्राप्त कर रहे है। मुक्त और दूरस्थ शिक्षा संस्थान भी नेक ग्रेडेशन में अच्छी रैंक ला रहे हैं जो किसी नजरिये से नियमित संस्थानों से कम नहीं हैं। एनईपी में डिजिटल एजुकेशन को अधिक महत्व दिया है। डॉ. राव ने बताया कि स्वयं पोर्टल पर ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध हैं, जिनमें चार करोड़ से अधिक विद्यार्थियों ने पंजीयन है। मध्य प्रदेश के प्राध्यापकों ने एनईपी ट्रेनिंग में सभी राज्यों से अधिक रुचि ली है।

दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों को भी मिले छात्रव़ृत्ति
मप्र प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति के अध्यक्ष प्रो. रविंद्र कान्हरे ने कहा कई नियामक संस्थाओं ने अपने कई पाठ्यक्रम दूरस्थ और मुक्त शिक्षा के माध्यम से संचालित करने से मना कर दिया है जिससे दूरस्थ शिक्षा संस्थानों को काफी दिक्कतों का सामना करना होगा। जिस प्रकार अन्य राज्यों में दूरस्थ शिक्षा के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है, उसी प्रकार मध्यप्रदेश में भी दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करने पर विचार किया जाना चाहिए। असम राज्य मुक्त विवि के कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद दास ने कहा कि एनईपी में वर्ष 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के लक्ष्य को केवल पारंपरिक शिक्षा पद्धति से पूरा नहीं कर सकते। इसकी अपनी सीमाएं हैं। इस लक्ष्य को पाने में मुक्त और दूरस्थ शिक्षा ही सहायक होगी।

दूरस्थ शिक्षा में एनईपी लागू करने में मील का पत्थर साबित होगी संगोष्ठी- प्रो. संजय तिवारी
स्वागत भाषण देते हुए भोज विवि के कुलपति प्रो. संजय तिवारी ने कहा कि हमारा विवि बहुत न्यूनतम शुल्क में गरीब और वंचित वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। यह संगोष्ठी दूरस्थ शिक्षा में एनईपी लागू करने में मील का पत्थर साबित होगी। इस अवसर पर स्मारिका का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. रतन सूर्यवंशी ने किया तो आभार कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने माना। इस अवसर पर अतिथियों ने डॉ. किशोर जॉन और डॉ. बिंदिया तांतेड़ द्वारा लिखित 'एडेप्टिंग आईसीटी टू द एनईपी-2020 इन हायर एजुकेशन' और 'लाइब्रेरी एंड इनफार्मेशन सर्विसेज इन न्यू नार्मल' पुस्तकों का विमोचन भी किया।

पहले दिन दो सत्रों में नौ शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए
सीका के निदेशक और कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ. किशोर जॉन ने बताया कि कार्यशाला के पहले दिन दो तकनीकी सत्र हुए, जिनमें दूरस्थ शिक्षा से संबंधित शिक्षाविदें ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। पहले सत्र की अध्यक्षता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी अहमदाबाद की कुलपति प्रो. अमी उपाध्याय ने की। इस सत्र में पांच शोधार्थियों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। दूसरे सत्र की अध्यक्षता मप्र लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एसपी गौतम ने की। इस सत्र में चार विशेषज्ञों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए और विस्तृत विचार विमर्श किया।