
गो-संवद्र्धन बोर्ड के कार्याध्यक्ष ने सूबे के सभी 52 जिला कलक्टर्स को दिए निर्देश, सीमावर्ती जिलों में तुरंत रोकें भूसे का अवैध परिवहन
श्याम सिंह तोमर
भोपाल. प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में एक बार फिर राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश के उद्योगों और ईंट-भट्टे वालों के दलाल डेरा डाले हुए हैं। वे बड़े पैमाने पर रोजाना ट्रकों में भूसे का अवैध परिवहन कर इंडस्ट्रीज में ईंधन के साथ जलाने के लिए भेज रहे हैं। मार्च से मध्य प्रदेश में शुरू हुई फसलों की कटाई के साथ ही ये सीधे किसानों के खलिहालों में ट्रक लेकर पहुंचने लगे थे। हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के तहत गो-संवद्र्धन बोर्ड के कार्याध्यक्ष अखिलेश्वरानंद महाराज ने सभी 52 जिलों के कलेक्टरों को भूसे का अवैध परिवहन रोकने के लिए निर्देश दिए हैं। साथ ही लिखा है कि गेहूं-चने का भूसा गो-वंश व अन्य पशुओं का आहार है, इसे इंडस्ट्रीज में ईंधन के रूप में उपयोग करना अपराध है।
पिछले साल की तरह संकट जैसे हालात होंगे
सूबे के सरहदी जिलों में प्रशासन ने दलालों की गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं किया तो पिछले साल की तरह गाय-भैंसों के लिए भूसा संकट गहराने लगेगा। सामान्यत: 3 से 4 रुपए प्रति किलो की दर पर मिलने वाले भूसे की दरें बढऩे लगे हंै। पिछले साल भूसे की कीमत अप्रत्याशित रूप से 14 से 15 रुपए किलो तक पहुंच गई थी। मालूम हो कि अभी राज्य में गेहूं के भूसे की दर प्रति क्विंटल 450 से 500 रुपए है। इसी तरह से पांच किलो की क्षमता वाली प्रति डलिया की दी 20 से 22 रुपए है।
प्रदेश के इन जिलों से भूसा दूसरे जिलों में भेजे जाने की शिकायतें
राज्य के करीब 15 जिले हैं, जिनमें से भूसा अवैध रूप से राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्यों में जलाने के लिए भेजा जा रहा है। इसकी जानकारी पुशपालन विभाग और गो-संवद्र्धन बोर्ड के पास भी पहुंच रही है। इनमें मालवा क्षेत्र के देवास, उज्जैन, रतलाम, आगरा-मालवा, मंदसौर तो महाकौशल क्षेत्र के बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, दमोह, सागर, टीकमगढ़ में उद्योगों के दलाल सक्रिय हैं।
कलक्टर, एसपी और विभाग के उप-संचालक की है सीधी जिम्मेदारी
कलक्टर पदेन जिला गोपालन एवं पशुधन संवर्धन समिति के अध्यक्ष होते हैं। वहीं जिलों में तैनात डेयरी एवं पशुपालन विभाग उप-संचालक की भूमिका सचिव की और पुलिस अधीक्षक की भूमिका उपाध्यक्ष की होती है। इन सभी की साझा जिम्मेदारी है कि जिले के बाहर भूसा न जाने दें, ताकि जिले की गोशालाओं में रहने वाले संरक्षित गोवंश को पर्याप्त भूसा मिले। मालूम हो कि इंडस्ट्रीज के दलाल किसानों से ऊंचे दामों पर भूसा खरीदकर गोवंश के आहार पर संकट ला रहे हैं।
विभाग ने पिछले साल के संकट से लिया सबक
मालूम हो कि वर्ष 2021-22 में किसानों-पशुपालकों से लेकर गोशालाओं तक में रहने वाले दुधारू पशुओं के लिए भूसे का संकट खड़ा हो गया था। भूसे की कीमत आसमान छूने लगी थी। इससे सबक लेते हुए पशुपालन विभाग ने इस बार पहले से कमर कस रखी है। विशेष रूप से प्रदेश के 52 जिलों की शासकीय और अशासकीय 1758 गोशालाओं के 2 लाख 78 हजार गोवंश को प्राथमिकता दी गई है। गो-संवद्र्धन बोर्ड ने इनको सालभर की आवश्यकता के लिए 202.34 करोड़ रुपए की अनुदान राशि दी है। मालूम हो कि राज्य में प्रतिदिन प्रति गोवंश के हिसाब से चारे-भूसे और स्वर्णदाना के लिए 20 रुपए (15 रुपए भूसा-चारा व 05 रुपए स्वर्णदाना) की राशि तय है।
कलेक्टर जिले की मांग अनुसार भूसा आपूर्ति को प्राथमिकता दें
हर जिले का कलेक्टर अपने जिले में मांग के अनुसार भूसे की आपूर्ति को प्राथमिकता दे। अपने जिले से अन्य विशेष रूप दूसरे राज्यों में किए जा रहे भूसा परिवहन को रोका जाए। सीमावर्ती जिले के कलेक्टर देखें कि इंडिस्ट्रयल उपयोग के लिए भूसा न जाने पाए। ईंट-भट्टे वालों को ईंधन की जरूरत हो तो भूसे की अपेक्षा गोकाष्ट और गोबर से बने कंडे का उपयोग करें। इससे गोशालाओं को आर्थिक लाभ मिलेगा तो भूसा जो पशुओं का आहार है, वह भी बच पाएगा। इसे भूसा संकट नहीं होगा और ईंट बनाने का काम भी नहीं रुकेगा।
- अखिलेश्वरानंद महाराज, अध्यक्ष, कार्यपरिषद्, मध्य प्रदेश गो-संवद्र्धन बोर्ड
सरकार बिना भूसा परिवहन पर प्रतिबंध लगा दें
सरकार को चाहिए कि पूरे प्रदेश के गोवंश की रक्षा के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाएं और भूसा परिवहन प्रतिबंध लगा दें। बहुत ही वेदना और दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में लाखों गाय भूखी-प्यासी सड़कों पर भटकती रहती हैं। उधर , दलाल सूकला यानी भूसा दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच रहे हैं। सरकार सख्ती बरते और ऐसा करते पकड़े जाने वालों पर कानूनी कार्रवाई करें। किसान भाई लालच में न आएं अपने राज्य के गोवंश के चारे की चिंता करें।
- क्रांतिकारी संत डॉ. अवधेशपुरी महाराज, पीठाधीश्वर, स्वस्तिक पीठ, उज्जैन
Published on:
28 Mar 2023 12:52 am
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