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खतरे में राजधानी का तमगा: नगर निगम के लचर इंतजामों के कारण छिन सकता है हमारा दूसरा नंबर

स्वच्छ सर्वेक्षण: 7 स्टार रेटिंग से दूर हुए हम, इंदौर मजबूत, भोपाल को उज्जैन-जबलपुर से चुनौती

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खतरे में राजधानी का तमगा: नगर निगम के लचर इंतजामों के कारण छिन सकता है हमारा दूसरा नंबर

भोपाल@हर्ष पचौरी की रिपोर्ट...
स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान के नए फॉर्मेट में भी इंदौर ने 4043 शहरों को पीछे छोड़ दिया है। देश की पहली फीकल मैनेजमेंट सिटी यानी मल-मूत्र का वैज्ञानिक निष्पादन करने वाले शहर का दर्जा मिलने के बाद चौथे स्वच्छ सर्वेक्षण की सेवन स्टार रेटिंग, ओडीएफ प्लस जैसे पड़ाव इंदौर ने पार कर लिए हैं।

इंदौर की तुलना में जनजागरुकता में कमजोर स्थिति और कचरे के वैज्ञानिक निष्पादन में पिछडऩे की वजह से भोपाल दूसरे पायदान से नीचे आ सकता है। सेवन स्टार रेटिंग की रिपोर्टिंग में भोपाल को उज्जैन और जबलपुर से कड़ी चुनौती मिली।

भोपाल सफाई पर सालाना 177 करोड़ रु. खर्च कर रहा है, लेकिन फीकल मैनेजमेंट सिस्टम आज भी नहीं है। निगम फिलहाल राजनीतिक रस्साकशी और भ्रष्टाचार के मामलों में ही उलझा है।

सर्वे फॉर्मेट और पास होने के लिए जरूरी अंक...


विषय : कुल अंक : पास होने चाहिए
वेस्ट कलेक्शन ट्रांसपोर्टेशन : 360 : 40%
सॉलिड-लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट : 180 : 20%
पब्लिक कम्युनिटी टॉयलेट : 135 : 15%
पर्सनल टॉयलेट : 135 : 15%
खुले में शौच से मुक्त शहर : 45 : 05%
सूचना, शिक्षा, जागरुकता : 45 : 05%

भोपाल में वेस्ट मैनेजमेंट ढंग से नहीं हुआ
वेस्ट टू एनर्जी: 177 करोड़ रुपए का सफाई बजट खर्च कर शहर का कचरा आदमपुर साइट पर डंप हो रहा है। जनवरी 2020 से यहां कचरे से 20 मेगावॉट बिजली बनाने की योजना है।
ग्रीन एनर्जी प्लांट: बिट्टन सब्जी मार्केट के पास सब्जी, मांस-मछली के कचरे से बिजली बनाने वाला ग्रीन एनर्जी प्लांट को रोजाना 500 टन कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है।

वेस्ट मैनेजमेंट: 85 वार्डों से प्रतिदिन 750 मीट्रिक टन गीला-सूखा कचरा निकलता है। बीएमसी केवल 70 प्रतिशत कचरा उठा पाता है। बाकी 30 प्रतिशत शहर में मौके पर ही नष्ट कर दिया जाता है।


वैज्ञानिक निष्पादन: गिनती के वार्डों से डोर-टू-डोर कलेक्शन के नाम पर एस्सेल गु्रप से 1710 रु. प्रति मीट्रिक टन की दर पर कचरा उठवाने का अनुबंध किया है। वैज्ञानिक निष्पादन नहीं हो रहा है।


फीकल मैनेजमेंट: सेप्टिक टैंक के मलबे को जमा करने के बाद बीएमसी के सक्शन वाहन इसे गोविंदपुरा एसटीपी ले जाते हैं। खुले नालों में भी इसे बहा दिया जाता है।

प्रदेश में सेवन स्टार रेटिंग की पहली दावेदारी इंदौर से आई है। स्वच्छ सर्वेक्षण के बदले हुए फॉर्मेट में जानकारी देने वाला उज्जैन दूसरा शहर है। भोपाल-जबलपुर तीसरे नंबर पर हैं। भोपाल को कई बार प्रदर्शन में सुधार लाने के निर्देश दिए थे, अंतिम परिणाम केंद्र तय करेगा।
- नीलेश दुबे, संयुक्त संचालक, स्वच्छ सर्वेक्षण, नगरीय प्रशासन