
4 लेन और 6 लेन ग्रीनफील्ड कॉरिडोर से जुड़ेंगे शहर (file photo)
MPPWD- मध्यप्रदेश में सड़क निर्माण पर फोकस किया जा रहा है। यही कारण है कि राज्य का सड़क नेटवर्क अब 77 हजार किमी को हो चुका है। प्रदेश के शहरों को अब 4 लेन और 6 लेन ग्रीनफील्ड कॉरिडोर से जोड़ने का प्लान है। प्रदेश के लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई। मंत्रालय में विभाग की समीक्षा करते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सड़कें केवल यातायात का माध्यम नहीं, बल्कि विकास, रोज़गार, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रगति का आधार हैं। उन्होंने लोक निर्माण विभाग द्वारा "लोक निर्माण से लोक कल्याण" की भावना को धरातल पर उतारने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की।
सिंहस्थ-2028 का भी बैठक में जिक्र हुआ। बताया गया कि इसके सभी कार्य प्राथमिकता से किए जा रहे हैं। सिंहस्थ-2028 के प्रस्तावित कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जा चुकी है। दिसम्बर माह के अंत तक काम प्रारंभ हो जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी कार्यों को जून-2027 तक पूर्ण करने के निर्देश दिए।
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने लोकपथ की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने बताया कि ऐप में आगे स्थलों के बीच की दूरी, सभी वैकल्पिक मार्ग, पर्यटन स्थल, चिकित्सा सेवाएं, ब्लैक स्पॉट, टोल शुल्क जैसी अन्य सुविधाओं को भी मैप किया जाएगा। लोकपथ ऐप में प्राप्त 12 हज़ार 212 शिकायतों में से 12 हज़ार 166 का निराकरण किया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) और मध्यप्रदेश भवन विकास निगम (बीडीसी) के संचालक मंडल की बैठक भी हुई। एमपीआरडीसी के एमडी भरत यादव और बीडीसी के एमडी
सिवी चक्रवर्ती ने कार्य और आगामी कार्ययोजनाएं बताईं।
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह ने बताया कि पीएम गतिशक्ति के उत्कृष्ट उपयोग पर विभाग को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। मुख्य सचिव अनुराग जैन, एसीएस नीरज मंडलोई, एसीएस मनीष रस्तोगी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
मध्यप्रदेश में दो साल में 12 हजार किमी सड़क निर्माण, उन्नयन और सुदृढ़ीकरण का काम हुआ। इससे राज्य का सड़क नेटवर्क 77 हजार 268 किमी का हो गया।
वित्तीय वर्ष 2024–25 में विभाग ने 99 प्रतिशत तक वित्तीय लक्ष्य हासिल किए।
"लोक पथ" मोबाइल ऐप से 12212 शिकायतों में से 12166 शिकायतों का निवारण किया। 99.6 प्रतिशत समाधान दर प्राप्त की।
जबलपुर में प्रदेश के सबसे लंबे 6.9 किमी के दमोह नाका–मदनमहल–मेडिकल रोड एलिवेटेड कॉरिडोर, भोपाल में 2.73 किमी का डॉ. अम्बेडकर फ्लाईओवर और 15.1 किमी लंबा श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर मार्ग जैसे बड़े शहरी कॉरिडोर के कार्य पूरे किए गए।
प्रदेश में 3 नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया। 136 स्कूल भवन बनाए। ग्वालियर और रीवा में नए जिला एवं सत्र न्यायालय भवनों का निर्माण किया।
केंद्रीय सहायता से 421 स्वीकृत सड़कों में से 378 का कार्य पूर्ण हुआ।
प्रदेश में 506 "लोक कल्याण सरोवर" का निर्माण किया गया।
गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित करने के लिए औचक निरीक्षण प्रणाली लागू की। इसमें 52 ठेकेदारों को नोटिस और 15 को ब्लैकलिस्ट किया गया।
एरियल डिस्टेंस आधारित सड़क योजना तकनीक को पहली बार लागू किया गया। इससे एक्सप्रेस वे और कनेक्टिविटी कॉरिडोर का चयन अधिक सटीक और किफायती हुआ।
पीएम गतिशक्ति आधारित जीआईएस मास्टर प्लान को अपनाते हुए सड़क निर्माण प्रक्रिया को पूर्णतः वैज्ञानिक, बहु-स्तरीय डेटा विश्लेषण पर आधारित और पारदर्शी बनाया।
लोक परियोजना प्रबंधन प्रणाली (LPMS) विकसित कर सभी परियोजनाओं—सर्वेक्षण, स्वीकृति, डीपीआर, निर्माण प्रगति और भुगतान-को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एकीकृत किया।
लोक निर्माण सर्वे ऐप के माध्यम से सभी सड़कों, पुलों और भवनों की जियो-मैपिंग की। विभाग के पास 100 प्रतिशत डिजिटल एसेट इन्वेंटरी उपलब्ध हुई।
सड़क निर्माण में एफडीआर, जेट पैचर, इंफ्रारेड रिपेयर जैसी आधुनिक मरम्मत तकनीकें अपनाईं।
जीपीएस -लॉक्ड बिटुमेन टैंकर प्रणाली और केंद्रीकृत गुणवत्ता प्रयोगशालाओं की स्थापना से निर्माण सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित की।
सौर ऊर्जा अपनाकर 10 भवनों में 269 kW क्षमता के प्लांट लगाए। 689 भवनों में 6.5 MW क्षमता की स्थापना की प्रक्रिया प्रारंभ की।
सड़क किनारे पौधारोपण के लिए जुलाई–अगस्त 2025 में 2.57 लाख पौधे लगाए।
ट्री ट्रांसप्लांटेशन तकनीक अपनाकर 1271 पेड़ों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया।
प्रदेश में 6-लेन एवं 4-लेन ग्रीनफील्ड कॉरिडोर का व्यापक नेटवर्क विकसित कर औद्योगिक क्षेत्रों, कृषि मंडियों, लॉजिस्टिक ज़ोन्स और प्रमुख शहरों को तेज़ गति से जोड़ा जाएगा।
राज्य वित्त पोषित एक्सप्रेस वे मॉडल के तहत उज्जैन–इंदौर, इंदौर–उज्जैन और भोपाल पूर्वी बायपास जैसे बड़े हाई-स्पीड कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे।
उज्जैन–सिंहस्थ 2028 के लिए 52 प्रमुख कार्यों पर 12 हज़ार करोड़ रुपए व्यय कर धार्मिक पर्यटन, आस्था स्थलों और शहरी कनेक्टिविटी को सुदृढ़ किया जाएगा।
एनएचएआई के सहयोग से सतना–चित्रकूट, रीवा–सीधी, बैतूल–खंडवा–इंदौर, जबलपुर–झलमलवाड़ जैसे राष्ट्रीय महत्व के हाईवे का विस्तार किया जाएगा।
अगले तीन सालों में 600 नए "लोक कल्याण सरोवर" का निर्माण किया जाएगा।
सड़क सुरक्षा पर केंद्रित रोड साइड एमेनिटीज़, ब्लैकस्पॉट सुधार और इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा।
जीआईएस आधारित रोड मास्टर प्लान को पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा।
मोबाइल लैब, त्वरित परीक्षण, AI आधारित रिपोर्टिंग और डिजिटल मॉनिटरिंग के माध्यम से निर्माण कार्यों की गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली को और सख्त किया जाएगा।
नए आरओबी,फ्लाईओवर, बायपास और स्मार्ट कॉरिडोर विकसित कर शहरों के ट्रैफिक प्रेशर को कम करने और कम्यूटिंग समय घटाने का लक्ष्य है।
अगले तीन सालों में पूरी विभागीय एसेट इन्वेंटरी को 100 प्रतिशत डिजिटल, जियो-रेफरेंस्ड और ऑटो-अपडेटिंग सिस्टम में परिवर्तित किया जाएगा।
मेट्रोपॉलिटन एरिया और समीपवर्ती क्षेत्रों में राजमार्गों का घनत्व बढ़ाएं। इसे राष्ट्रीय स्तर के समीप ले जाने के लिए विज़न डॉक्यूमेंट के आधार पर प्रस्ताव तैयार करें।
शहरी विकास की इंटीग्रेटेड पॉलिसी के निर्माण में लोक निर्माण विभाग को भी शामिल किया जाए।
एक्सप्रेस-वे के विकास में ग्रामीण क्षेत्र की सुविधाओं का ध्यान रखें।
Updated on:
10 Dec 2025 08:12 pm
Published on:
10 Dec 2025 08:11 pm
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