
भोपाल। 'मां, बहन, बेटियों को उनके जीवन का अधिकार दिलाना ही मेरी जिंदगी का लक्ष्य है। मध्यप्रदेश ऐसा पहला प्रदेश है, जहां तय किया गया कि अगर बिटिया को किसी ने गलत नजर से देखा, गलत हरकत की तो सीधे फांसी के फंदे पर चढ़ाया जाएगा। 87 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। दुराचारी को बख्शेंगे नहीं, इनके घर तोड़ दो...।' यह बातें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिला बाल विकास विभाग के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। यहां विभाग के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि 'प्रदेश में पहले 1 हजार बेटों पर 912 बेटियां जन्म लेती थीं। अब यह संख्या बढ़कर 956 हो गई है। मेरी इच्छा है कि एक हजार बेटे पैदा हों, तो एक हजार बेटियां भी जन्म लें।'
अच्छा काम करने वाली आंगबाड़ी कार्यकर्ताओं को किया सम्मानित
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि 'मुझे ये बात कहने में कोई संकोच नहीं कि मैं 18 घंटे काम करता हूं। सुबह से देर रात तक लगा रहता हूं। सोचता हूं कि मप्र की साढ़े आठ करोड़ जनता के लिए काम करना है। उसी तरह हमारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं और सहायिका बहनें बच्चों को सुपोषित करने के लिए जी-जान से लगी रहती हैं।' कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान, महिला बाल विकास विभाग के संचालक रामाराव भोंसले के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाएं उपस्थित थीं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर अच्छा काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का सम्मान भी किया।
प्रदेश के माथे पर कलंक है कुपोषण
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर कुपोषण को लेकर भी चर्चा की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा, 'कुपोषण मुझे मप्र के माथे पर कलंक लगता है। कुपोषण रोकने के मामलों में हमने प्रगति की है। इसमें कोई दो मत नहीं है। कुपोषण कम किया है। आंकड़े गवाह हैं, लेकिन बाकी राज्यों की तुलना में हम पीछे हैं। सरकार इस मामले में काम कर रही है। समाज भी मदद के लिए तैयार बैठा है।'
समाज बहुत कुछ देना चाहता है
सीएम ने यह भी बताया कि एक दिन वे भोपाल की सड़कों पर निकले तो लोगों ने दिल खोलकर मदद की। इंदौर में सिर्फ एक घंटे के लिए निकले तो साढ़े 8 करोड़ के चेक मिल गए। इसका मतलब है, समाज बहुत कुछ देना चाहता है। 'हमने एडॉप्ट इन आंगनबाड़ी अभियान चलाया। हम इसे और भी बेहतर करेंगे।'
सीएम ने पूछा ये चैलेंज स्वीकार है क्या?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम में उपस्थित कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि 'किसान की फसल आ गई। एक-आधा क्विंटल आंगनबाड़ी को दे दो। लोगों का विश्वास पैदा होना चाहिए। पहली बात वही, बच्चे कुपोषित न रहें। ये संकल्प हम कर सकते हैं।' उन्होंने आगे पूछा कि 'क्या महिला बाल विकास विभाग ये संकल्प ले सकता है कि सालभर के अंदर एक भी बच्चा अंडरवेट नहीं रहेगा? विभाग की योजनाओं का लाभ लेंगे और हम भी मदद करेंगे। उन्होंने पूछा- ये चैलेंज स्वीकार है क्या...। बहुत डर गए... चैलेंज लें न... हो मंजूर तो बोलो हां... उसके लिए बकायदा आंगनबाड़ी की जरूरतों को सरकार और समाज से पूरा कराएंगे।'
आंगनबाड़ी में अब प्री-स्कूलिंग भी
कार्यक्रम में सभी को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बोले, कि 'आंगनबाड़ी में अब प्री-स्कूलिंग होगी। उसके अनुसार जरूरत का आकलन करके फिर हाथ ठेले पर निकलेंगे। सीएसआर का बहुत पैसा पड़ा है, इच्छाशक्ति होनी चाहिए। पहले एक जमाना था, बेटियों से कहा जाता था, घूंघट करो, घर में बैठो। जब 50 प्रतिशत आरक्षण हुआ, तब बहनें घर से बाहर आईं। पुरुष बोले- हम क्या करेंगे, उनका बैग लेकर घूमेंगे क्या? हमारी बहनें जब जनप्रतिनिधि बनीं, तब पुरुषों को कहा गया पार्षद पति, सरपंच पति। बाल विवाह से मप्र को मुक्त करना है। मप्र में कोई भी बच्चा अनाथ न रहे। मप्र में कोई बिना माता-पिता का बेटा-बेटी है, तो हम उसके माता-पिता हैं। किसी आश्रम में रहने वाला बच्चा 18 साल का हो गया है तो उसकी पढ़ाई पूरी होने और रोजगार मिलने तक उसे आश्रय मिलता रहेगा।' सीएम बोले, 'महिला बाल विकास मेरे लिए विभाग नहीं मेरा अपना परिवार है। मेरे मन में हमेशा से ये बात थी मैदानी क्षेत्र में जो अमला है, जो मेहनत से काम करके परिणाम देता है, उनसे बात हो। हमारी बहनें जिन्होंने अच्छा काम किया है उनको पुरस्कृत करना चाहिए। महिलाओं और बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की सुरक्षा करने का जिम्मा आंगनबाड़ी के अमले पर होता है। कोरोना के संकट में भी हमारी बहनों ने बखूबी फर्ज निभाया है। सीएम ने कहा दिसंबर के पहले आंगनबाडिय़ों की रैंकिंग कर जिला स्तरीय पुरस्कार की शुरुआत करें।'
प्रदेश में 97,135 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित
महिला बाल विकास विभाग के संचालक रामाराव भोंसले ने इस अवसर पर जानकारी देते हुए बताया कि विभाग 1985-86 से बना हुआ है। महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य पर काम कर रहे हैं। प्रदेश में 97,135 आंगनबाड़ी केंद्र और 453 परियोजनाएं संचालित हैं। पिछले सालों में विभाग ने कई बड़े काम किए हैं। कोविड के दौरान आंगनबाड़ी के अमले ने स्वास्थ्य अमले के साथ मिलकर अच्छा काम किया। टीकाकरण में आंगनबाड़ी के अमले ने सक्रिय भूमिका निभाई। कोरोना काल में कई नई योजनाएं बनीं। मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना में 18 साल से ऊपर होने वाले बच्चों को हम छोड़ देते हैं। 18 साल से ऊपर वाले बच्चों के लिए नई योजना शुरू की गई। महिला उद्यम शक्ति योजना, चाइल्ड बजटिंग की गई। सुपोषण नीति 2020 बनाई गई, प्री-स्कूल एजुकेशन के साथ एडॉप्ट इन आंगनबाड़ी जैसे कई बड़े काम किए गए हैं।
Updated on:
12 Nov 2022 06:07 pm
Published on:
12 Nov 2022 04:36 pm
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