
MP ELECTION 2018 : कर्मचारी सबसे ज्यादा, फिर भी यहां झुग्गी-बस्तियों के वोटर हैं निर्णायक
भोपाल@सुनील मिश्रा की रिपोर्ट..
दक्षिण-पश्चिम राजधानी का सबसे विकसित क्षेत्र है। यहां मुख्यमंत्री, अधिकांश मंत्री और नौकरशाह रहते हैं। शासकीय कर्मचारी भी यहीं रहते हैं। लगभग 7 हजार करोड़ रुपए की लागत से स्मार्ट सिटी इसी क्षेत्र में बन रही है। भारतीय जनता पार्टी जहां स्मार्ट सिटी को उपलब्धि बता रही है, वहीं कांग्रेस इससे कटने वाले पेड़ों और कर्मचारियों को होने वाली समस्याओं के कारण निंदा कर रही है।
हाई प्रोफाइल सीट होने के बावजूद इस क्षेत्र में कई समस्याएं हैं। न्यू मार्केट के साथ अन्य बाजार भी आते हैं, लेकिन सभी जगह पार्किंग की भीषण समस्या है। पॉश इलाकों में चमचमाती सडक़ें और आधुनिक सुविधाएं हैं तो भीम नगर, बाणगंगा जैसी बस्तियोंं में लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। श्यामला हिल्स की तराई में बढ़ते कब्जे भी समस्याओं को बढ़ा रहे हैं। राजनैतिक संरक्षण के कारण प्रशासन भी कार्रवाई से बचता है। इन्हीं तमाम कारणों के चलते पॉश क्षेत्र होने के बाद भी समग्र विकास नहीं हो पा रहा है।
जातिगत समीकरण : भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में लगभग 2 लाख 12 हजार मतदाता हैं। यहां सबसे ज्यादा सामान्य वर्ग के लोग रहते हैं। जातिगत समीकरण के हिसाब से यहां लगभग 35 हजार कायस्थ, 50 हजार ब्राह्मण और 30 हजार के करीब मुस्लिम आबादी है। शेष अन्य जातियों के लोग हैं।
क्या कहते हैं प्रत्याशी
पिछले चुनावों में जो वादे किए थे, पूरे किए। आज भी भाजपा का मुद्दा गरीब का कल्याण है। क्षेत्र में ब्यूरोक्रेट्स, कर्मचारी हैं तो व्यापारी, आम जनता भी रहती है। इनके लिए काम किया है।
उमाशंकर गुप्ता, भाजपा प्रत्याशी
15 सालों में ऐसा कोई काम नहीं हुआ जो दिखाई दे। मैंने क्षेत्र के लिए मास्टर प्लान बनाया है। इसमें महिला सुरक्षा, न्यू मार्केट का विकास, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा आदि शामिल है।
पीसी शर्मा, कांग्रेस प्रत्याशी
पॉश कॉलोनियों से लेकर गांव तक हैं
इस क्षेत्र में शामिल चार इमली, शिवाजी नगर, तुलसी नगर, कोटरा सुल्तानाबाद, नेहरू नगर में सबसे ज्यादा शासकीय आवास बने हुए हैं। यहां एक लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारी रहते हैं, लेकिन मतदान का प्रतिशत झुग्गी बस्तियों का सर्वाधिक है। यहां बिशनखेड़ी और सूरजनगर गांव भी शामिल हैं।
गुप्ता ने कांग्रेस से सीट छीनकर तोड़े मिथक
इस सीट पर वर्ष 1998 के चुनाव में कांग्रेस के पीसी शर्मा ने भाजपा के सुहास शैलेन्द्र प्रधान को 14 हजार वोटों से हराया था। 2003 में उमाशंकर गुप्ता ने शर्मा को 31 हजार 294 वोट से हराया। वर्ष 2008 में बसपा के टिकट पर संजीव सक्सेना ने टक्कर दी। कांग्रेस के दीपचंद यादव 13400 वोट हासिल कर सके। वर्ष 2013 में कांग्रेस ने संजीव सक्सेना को मैदान में उतारा। उन्होंने गुप्ता को कड़ी टक्कर दी और जीत का अंतर 26 हजार से 18 हजार पर ले आए।
ये हैं प्रमुख मुद्दे
- स्मार्ट सिटी के लिए कर्मचारियों शिफ्टिंग और पेड़ कटना।
- नेहरू नगर में घरों के सामने हाट बाजार से लोगों को परेशानी।
- काटजू अस्पताल के विस्तार में लेटलतीफी और बस्तियों में पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होना।
- बाजारों में पार्किंग की समस्या।
Published on:
16 Nov 2018 10:30 am
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