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33 आरोपियों को सजा दिलाने में MP को मिले 5 अवॉर्ड, लेकिन किसी को नहीं हुई फांसी

दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के अलग-अलग प्रकरणों में मृत्यु दंड व आजीवन कारावास की सजा देने में अव्वलनिर्भया के हत्यारों को फांसी के बाद मप्र के मामलों पर एक नजर

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भोपाल/ मप्र में 3 साल में बलात्कार, हत्या, नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्संग व हत्या के 33 मामलों में ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को फांसी व आजीवन कारावास की सजा सुनाई हैं। त्वरित निराकरण को लेकर लोक अभियोजन प्रबंधन व मप्र को 5 अवॉर्ड भी मिले और देशभर में प्रशंसा हुई। लेकिन अब तक किसी भी मामले में दोषियों की सजा पर अमल नहीं हो पाया है-

बलात्कार के मामलों में मप्र पुलिस व लोक अभियोजन पक्ष की मजबूती के कारण कम समय में हुए फैसलों पर अलग-अलग संस्थाओं ने 5 अवॉर्ड दिए। इधर, कोर्ट ने जिन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई, उनमें से अब तक एक भी आरोपी फंदे पर नहीं चढ़ पाया है। सबसे पहले जिला अदालत भोपाल ने अफजल खान को 6 साल की बालिका के साथ बलात्कार कर हत्या करने के मामले में मृत्यू दंड दिया, लेकिन फांसी नहीं हो सकी।

इसके बाद वर्ष 2018 में 21 प्रकरणों में यह सजा अलग-अलग कोर्ट ने सुनाई। इनमें से 19 प्रकरण सिर्फ बलात्कार व हत्या के थे, दो ही प्रकरण अलग थे, जिनमें मृत्यु दंड दिया गया। इनमें किसी भी प्रकरण में सुनाई गई सजा पर अमल नहीं हुआ। जघन्य अपराधों में दरिंदों को ट्रायल कोर्ट व नीचली अदालतों ने फांसी का दंड तो मिला, लेकिन फांसी के फंदे पर नहीं झूलाए जा सके। उलट कानूनी मदद लेकर नीचली अदालतों के निर्णय को चुनौती देने के लिए इन्होंने हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा रखी है।


ये अवॉर्ड मिले

- गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड अवॉर्ड 21 मुत्युदंड की सजा के लिए दिया गया।
- गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड अवॉर्ड सबसे तेज गति से मृत्यु दंड की सजा सुनाने पर मिला। 5 दिन में सजा सुनिश्चत होने पर यह अवॉर्ड मिला।
- इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, सर्वाधिक तीव्र गति से आजीवन कारावास की सजा दिलवाने के लिए।
- इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, सर्वाधिक तीव्र गति से 21 मामलों में आजीवन कारावास की सजा के लिए मिला।
- स्कोच अर्वाड- गर्वनेंस गोल्ड फॉर प्रोजेक्ट सेफ दिया गया।

सबसे अधिक मामले यहां

भोपाल, श्योपुर, निवाडी, हरदा, उमरिया, डिंडोरी, रेल भोपाल, रेल जलबपुर, इंदौर रेल में सबसे अधिक जघन्य अपराध दर्ज किए गए हैं। अब तक भोपाल के अफजल खान, विष्णु बामोरे, जबलपुर के आनंद कुशवाह, रतलाम के वारिस खान, कटनी के कल्लू श्याम व राजकुमार कोल, मंदसौर के कन्हैयालाल मीणा व भय्यू इरफान व आसिफ, रायसेन के जीतेंद्र उईके, सतना के महेंद्र सिंह गौर, सागर के रब्बू,भागी ऊर्फ भागीरथ,

सुनील आदिवासी व नरेश परिहार, बुरहानपुर के बडू व विजय पिंट्या, दतिया के नंद किशोर गुप्ता, छतरपुर के तोहिद मोहम्मद व अकबर खान, ग्वालियर के जीतेंद्र कुशवाह, मनोज प्रजापति, योगेश नाथ ऊर्फ जोगेश नाथ, धार के करण फिते, इंदौर के नवीन अजय, हनी ऊर्फ कुक्कु, शहडोल के विनोद राहुल छोटे, रामनाथ केवट को मृत्यूदंड दिया गया हैं। होशंगाबाद के दीपक नन्हू, विदिशा के रवि मालवीय व सिंगरौली के रामजग को सजा सुनाई गई हैं। लेकिन कोई भी फंदे पर नहीं झूला।