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जनजाति कहा, हक नहीं दिया, 14 साल से फंसी 51 जातियों की पहचान, अब तक नहीं मिला किसी योजना का लाभ

no scheme benefits: मध्य प्रदेश सरकार ने 2011 में विमुक्त-घुमंतू जातियों को जनजाति कह दिया, जबकि इनमें कोई एसटी नहीं। इससे आरक्षण और योजनाओं में उलझन बढ़ी, कई लाभार्थी संकट में फंसे। (MP News)

भोपाल

Akash Dewani

Jun 21, 2025

tribes tagged no scheme benefits for 14 years in MP News (फोटो सोर्स- MP Tourism)
tribes tagged no scheme benefits for 14 years in MP News (फोटो सोर्स- MP Tourism)

MP News: मध्य प्रदेश में विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ जनजातियों के कल्याण के लिए सरकार ने अलग विभाग बनाया। सरकारी विभाग और आम नागरिक घुमंतू अर्थ घुमंतू को जनजाति मान रहे हैं, लेकिन हैरत यह है कि इसमें शामिल 51 जातियों में से एक भी अनुसूचित जनजाति श्रेणी में नहीं है। इसमें शामिल 51 जातियों में से 27 सामान्य वर्ग में हैं। 14 जातियां अनुसूचित जाति वर्ग तो 10 ओबीसी श्रेणी में हैं। नतीजा, उन्हें अनुसूचित जनजाति श्रेणी के आरक्षण समेत अन्य लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। (tribes tagged no scheme benefits for 14 years)

2011 में जारी हुआ था नोटिफिकेशन

राज्य सरकार ने 22 जून 2011 को विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्ध घुमक्कड़ जाति कल्याण विभाग बनाने का गजट नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें चार बिंदुओं को शामिल किया। पहला-विमुक्त, घुमक्कड़, अर्ध घुमक्कड़ जनजाति के लिए कल्याण कार्यक्रम बनाने व क्रियान्वयन। दूसरा उनके शैक्षणिक-आर्थिक विकास योजनाओं को जमीन पर उतारना। तीसरा-विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ जाति से जुड़े विभागों की योजनाओं का पर्यवेक्षण व सलाह। चौथा- इन जातियों से संबंधित नियमों और विनियमों को बनाना। इस तरह नोटिफिकेशन में ही इन्हें जनजाति लिखा, जबकि हकीकत में कोई जनजाति नहीं है। (tribes tagged no scheme benefits for 14 years)

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योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ

विभागीय भ्रम की स्थिति का ताजा उदाहरण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश में हेल्थ एंड वेलनेस कार्यक्रम में संविदा कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की नियुक्ति है। इस पद पर बलराज पाल ने एसटी वर्ग में आवेदन दिया। घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ जनजाति का जाति प्रमाण पत्र भी दिया। 2021 में एसटी वर्ग में पाल का चयन सीएचओ के लिए किया गया। बाद में एसडीएम ने उसका दूसरा जाति प्रमाण-पत्र जारी किया। इमसमें जाति गड़रिया लिखी। इसे ओबीसी श्रेणी में बताया। बलराज ने सीसीएच की परीक्षा पास की और 2022 में उप स्वास्थ्य केंद्र सराई (सतना) में तैनाती कर दी। बाद में पता चला, घुमक्कड़ जाति एसटी में शामिल नहीं है। उसकी नियुक्ति रद्द की गई।

बलराज को एनएचएम अफसरों ने सुनवाई के लिए बुलाया तो उसने कहा, 2018 के पहले उनकी जाति ओबीसी में थी। राज्य सरकार के पत्र एफ-12/02/2018/62 के अनुसार 2018 के बाद घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ जनजाति में शामिल की गई। इसलिए उसने एसटी श्रेणी में आवेदन किया। बाद में पता चला तो उसने सीएमएचओ कार्यालय में अपना चयन एसटी श्रेणी से हटाकर ओबीसी में करने का आवेदन दिया। इसे अमान्य कर दिया गया।

मंत्री बोलीं- करा रहे सर्वे

विमुक्त घुमंतु और अर्धघुमंतु कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर ने बताया, इस समुदायों के परिवार के समेकित विकास के लिए सर्वे करा रहे हैं। जानकारी के आधार पर इन समुदायों के विकास के लिए कार्यक्रम बनाएंगे। अनुसूचित जनजाति संबंधी फैसले केंद्र से होते हैं।

विमुक्त, घुमंतु अर्धघुमंतु समुदायों में कौन सी जाति किस श्रेणी में

ये 10 जाति ओबीसी में

भाट, गोंधली, कसाई (शेफ्ड), नायकड़ा (नायकड़ा भील), शिकलीगर (अर्दिया सेगुल्गोर सरानिया शिकलीगर), धनगर, बंजारा, बेरागी, लोहार पिट्टा (गाड़िया लोहार), गोसांई।

ये 27 जाति सामान्य में

बल्दिया, बछोबालिया, भन्तु, दुर्गीमुरागी, घिसाड़ी, ईरानी, जोगी, जोशी, काशीकापड़ी, कलंद, कामद, करोला, सिंरंगीवाला कुचबंद (कचबंद), शुदबुदु सिवन (बहरूपिया), बनीयंथर राजौड़, गद्दीज, रेभारी (पशुपालक), गोलर्स (गोलम्स, गोलस बालाघाट, गोक्करी), भराडी हरदास-हरबोला, हेजरा, हाबुडा, भाटू, बिजोरिया, संधियां, चंद्रबेदिया, सनोरिया।

ये 14 अनुसूचित जाति में

देसर, कंजर, सांसी, बांछड़ा, मोघिया, कालबेलिया, बगरी, नट, पारधी, बेदिया, कचबंदिया, कबूतरी (कबूतर), पासी (पासौया), भानमत।