
MP News: मध्यप्रदेश में कैग यानी राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। हद तो यह है कि प्रदेश में 72 एसपीएसई में से लेखा परीक्षा के लिए सिर्फ 32 ने दस्तावेज दिए। 32 में से 11 ही लाभ में रहे। बाकी 21 घाटे में। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने आइटी पार्क बनाए, लेकिन निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं की।
कई गैर आइटी फर्मों को भी प्लॉट आवंटित कर दिए। जहां कॉल सेंटर बनना था वहां नर्सिंग कॉलेज मिला। जहां सॉफ्टवेयर बनने थे, वहां दवाओं का स्टॉक किया जा रहा था। सोलर पैनल बनाने वाली फर्म ने उपकरणों की जो सूची दी उसमें एक भी चीज ऐसी नहीं थी जिसका सोलर पैनल बनाने में उपयोग होता हो। एमपीएसईडीसी ने कार्रवाई के बजाय 4.57 करोड की सब्सिडी भी दे दी।
यह खुलासा गुरुवार को विधानसभा में पेश भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के राज्य सार्वजनिक क्षेत्र (CAG) के उद्यमों पर मार्च 2023 को समाप्त रिपोर्ट में हुए हैं। बताया गया कि जबलपुर आइटी पार्क में नोकनिल फार्मा को जमीन दे दी गई। अनुबंध में उसने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सॉफ्टवेयर निर्माण करना बताया। निरीक्षण में दवाओं के भंडारण मिला। जबलपुर में ही साई ग्राफिक्स को बीपीओ, कॉल सेंटर, डेटा प्रोसेसिंग संबंधी गतिविधियां संचालित करना थीं, लेकिन वहां स्मिता कॉलेज ऑफ नर्सिंग मिला। भोपाल आइटी पार्क में ग्रीन सर्फर फर्म को एलईडी लाइट्स और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद मिश्रण का विनिर्माण करना था। यहां एलईडी बल्बों की असेंबलिंग होते हुए मिली।
कैग ने लिखा है कि एमपीएसईडीसी ने आईटी पार्कों के विकास के लिए दीर्घकालिक या रणनीतिक योजना तैयार नहीं की। नतीजतन 240 भूखंडों में से केवल 26 में ही उत्पादन शुरू किया गया। मार्च 2023 तक अपेक्षित रोजगार का चार फीसदी ही रोजगार मिल पाया। प्लॉट आवंटन के तीन साल बाद 6536 रोजगार सृजित होने थे। 96 ही हो पाए। भोपाल, इंदौर के आइटी पाकों की 13.57 एकड जमीन पर कब्जे हो गए। 5 करोड से ज्यादा का नुकसान हुआ। एमपीएसईडीसी ने फर्मों से 9.81 करोड़ की किराया वसूली नहीं की। कैग ने इकाइयों की नियमित निगरानी और नियमित निरीक्षण की अनुशंसा की है।
Published on:
05 Dec 2025 11:13 am
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