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एमपी में 20 साल बाद चलेंगी राज्य परिवहन बसें, पत्रिका अभियान का बड़ा असर

MP News: मध्यप्रदेश में 20 साल बाद सड़कों पर राज्य परिवहन की बसें दौड़ती नजर आएंगी। कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लग गई है।

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MP News: मध्यप्रदेश में 20 साल बाद राज्य परिवहन बसों का संचालन होने जा रहा है। पिछले दो दशकों से बंद पड़ी राज्य सड़क परिवहन निगम की सेवाओं को चालू कराने में पत्रिका ने जनअभियान छेड़ा था। इसके परिणामस्वरूप, सरकार ने नई लोक परिवहन नीति को मंजूरी दी है, जिसके तहत बस सेवाओं को फिर से शुरू किया जाएगा। पत्रिका ने इस मुद्दे को लगातार उठाया और जनता की मांग को सरकार तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी।

बीते सोमवार को सीएम हाउस में परिवहन सेवा को लेकर बैठक हुई थी। जिसमें परिवहन सेवा के प्रस्ताव पर सहमति बन गई थी। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लग गई।

इस अभियान के तहत अखबार और डिजिटल के जरिए लोगों की समस्याओं को प्रकाशित किया। ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन की बदहाल स्थिति पर रिपोर्ट प्रकाशित की और जनता की मांग को सरकार तक पहुंचाया। इस अभियान में जनता की भी सक्रिय भागीदारी रही। लोगों ने अपने अनुभव को साझा किए और राज्य सरकार से सरकारी बस सेवाओं को फिर से शुरू करने की गुहार लगाई। इसके दबाव में आकर सरकार को इस दिशा में कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

वहीं, पत्रिका के 78.7 फीसदी पाठकों ने माना था कि सरकारी बसें नहीं होने से सफर में परेशानी होती है। बस सेवाएं फिर शुरू होने से यात्रियों के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय विकल्प मिलेगा।

कैबिनेट बैठक में लगी मुहर


मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि परिवहन गरीबों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसकी आवश्यकता को समझते हुए सरकार ने पॉलिसी तैयार की है। इसके तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में परिवहन सुगम करने पर विचार किया जाएगा। सरकार बस नहीं खरीदेगी लेकिन बस ऑपरेटर्स को इंगेज करेगी। किसी भी प्रकार की हानि की संभावना नहीं होगी। आधुनिक तकनीक पर काम किया जाएगा। पीपीपी मॉडल पर बसों का संचालन होगा। इसके लिए कैमरा निगरानी और कंट्रोल रूम से निगरानी की व्यवस्था भी की जाएगी।

मंत्री विजयवर्गीय ने बताया कि सवारी के साथ - साथ कार्गो की भी अनुमति होगी। जिले में भी सलाहकार समिति होगी, जिसमें मंत्री, कलेक्टर और अन्य जनप्रतिनिधि शामिल रहेंगे, जो समय-समय पर होल्डिंग कंपनी को सलाह देंगे। बस संचालकों को नुकसान न हो, इसका भी ध्यान रखा जाएगा। सवारी के साथ बस का उपयोग के कार्गो के लिए भी होगा।

मध्यप्रदेश के कई शहरों और गांवों को जोड़ने वाली बस सेवाएं व्यवस्थित, सुविधाजनक और सुरक्षित नहीं है। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने ग्रामीण और साधारण रास्तों पर सर्वे कराकर बसों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है।

PPP मॉडल पर चलाई जाएंगी बसें


पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के जरिए बस चलाई जाएंगी। जिसमें सरकार निजी बस ऑपरेटरों से अनुबंध करेगी। साथ ही बसों की देखभाल इन्हीं के हाथ में होगी। पीपीपी मॉडल के तहत एक सॉफ्टवेयर बनाया जाएगा। जिसके जरिए नियंत्रण रखा जाएगा।

7 संभागों में चलेंगी बसें


प्रदेश के 20 शहरों में सार्वजनिक परिवहन के तहत SPVs यानी विशेष उद्देश्य वाहन गठित है। जिसमें 16 कार्यरत हैं और 4 कार्यरत नहीं है। उन सभी कंपनियों को भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और रीवा में मर्ज किया जाएगा।

ऐप के जरिए मिलेंगी ये सुविधाएं


शहरों और गांवों में चलाई जाने वाली बसों की जानकारी ऐप में होगी। जिसके जरिए यात्रियों को कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। यात्रियों को ऐप में ही ई-टिकट, ट्रैकिंग, सीट की जानकारी मिला पाएगी। साथ कैशलेस भुगतान भी किया जा सकेगा। इसके अलावा बस, ऑटो, टैक्सी, मेट्रो की बुकिंग भी ऐप से ही हो पाएगी।