
त्योहार और वल्र्ड कप के दौरान मध्य प्रदेश में प्रदूषण के हालात बदतर हो चले हैं। खासकर भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन में रहने वालों को एक्सपट्र्स ने इन दिनों सांस से संबंधित परेशानियां होने की आशंका जताई है। दरअसल इन शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब स्थिति में है। वहीं पिछले दिनों सबसे स्वच्छ स्थिति का तमगा जीतने वाला इंदौर भी पॉल्यूशन की गिरफ्त में आ गया है और आज इस शहर की स्थिति सबसे खराब है। इन दिनों ग्वालियर, भोपाल सबसे प्रदूषित शहरों की गिनती में हैं। वर्तमान में हालात खराब हाल ही में यह स्थिति और भी खराब हो गई है।
एक्सपर्ट का कहना है कि दिवाली की आतिशबाजी के अलावा, क्षतिग्रस्त सड़कें, कच्चे पड़े रोड, वाहनों से उडऩे वाली धूल और बारिश के बाद निर्माण गतिविधियों में वृद्धि के कारण प्रदूषण के स्तर में तेजी से वृद्धि होती है। इसके अलावा सर्दियों में अलाव का जलाना भी वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। पांच साल कम हो सकती है लाइफ इंडेक्स आपको बता दें कि इस साल अगस्त में शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) द्वारा जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया था कि मध्य प्रदेश में वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा पांच साल तक कम हो सकती है। पीएम 2.5 सांद्रता के मामले में भारत में दसवें सबसे प्रदूषित स्थान पर मध्य प्रदेश है।
एक्सपर्ट कहते हैं कि हवा की गुणवत्ता का आकलन सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nox), रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर 10 (RSPM10), और फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) के स्तर के आधार पर किया जाता है। वाहन उत्सर्जन मुख्य रूप से सल्फर डाइऑक्साइड में वृद्धि में योगदान देता है, जबकि वाहन और सीवेज निर्वहन सहित मानव गतिविधियां, नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर में वृद्धि में योगदान करती हैं।
यहां जानें मप्र के पांच बड़े शहरों की आज की स्थिति 10.30 AM तक
इंदौर की स्थिति सबसे खराब
1. भोपाल - 113
2. इंदौर - 168
3. ग्वालियर - 166
4. जबलपुर - 154
5. उज्जैन - 152
जबलपुर. शहर की वायु गुणवत्ता सुधर नहीं रही है। हालांकि रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स ढाई सौ के नीचे आ गया, लेकिन अभी भी हवा में पीएम 2.5, पीएम 10 से लेकर अन्य प्रदूषक कण बढ़े हुए हैं। बीच शहर में हवा की गुणवत्ता सबसे खराब है। ठंड के सीजन की शुरुआत के साथ यहां हवा में प्रदूषक कण बढ़ने लगे थे। रानीताल, मदनमहल, दमोहनाका क्षेत्र में निर्माण साइटस पर धूल के कण लगातार बढ़े हुए हैं। यहां नाक, मुंह ढंके बगैर आवाजाही करने पर राहगीर बीमार हो रहे हैं। लोगों को सूखी सर्दी-एलर्जी हो रही है।
पटाखों से भी प्रदूषण
शहरी एरिया में हवा में कार्बन डाईऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड के कण बढ़े हुए है। विशेषज्ञों की मानें तो इससे स्पष्ट है कि हवा में प्रदूषक कण बढ़ने का कारण केवल कंस्ट्रक्शन साइट नहीं हैं। हवा में प्रदूषक कण बढ़ने के पीछे वाहनों से होने वाला प्रदूषण और पटाखों के जलने से निकले प्रदूषक कण भी जिम्मेदार हैं।
शहर में एक्यूआई
- 236 मढ़ाताल
- 176 गुप्तेश्वर
- 184 सुहागी
- हवा में प्रदूषक कण
- 414 पीएम 2.5
- 438 पीएम 10
- 72 नाइट्रोजन ऑक्साइड
- 169 कार्बन डाई ऑक्साइड
जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
* हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 के बढ़ने के कारणों में कंस्ट्रक्शन साइट है, लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड बढ़ने के पीछे वाहनों का धुआं, पटाखे जलाने से निकले प्रदूषक कण जिम्मेदार हैं।
- डॉ. पीआर देव, वैज्ञानिक
* हवा में प्रदूषक कण पहले के मुकाबले कम हुए हैं। धीरे-धीरे वायु गुणवत्ता और सुधरेगी। वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर काम करेंगे।
- आलोक जैन, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
ऐसे समझें AQI
- अच्छा (Good)- 0-50
- ठीक (Moderate)- 51–100
- बुरा/प्रदूषित (Poor) - 101-200
- अस्वास्थ्यकर (Unhealthy) - 201-300
- गंभीर (Severe)- 301-400
- खतरनाक (Hazardous)- 401–500
Updated on:
21 Nov 2023 10:40 am
Published on:
21 Nov 2023 10:38 am
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