
मध्यप्रदेश: सूचना मांगी तो आयुक्त का तुगलकी फरमान-जानकारी दो, विभागीय जांच भी करो, हाईकोर्ट ने लगाई रोक
भोपाल. मध्यप्रदेश में राज्य सूचना का अधिकार अधिनियम ने एक शिक्षक की परेशानी बढ़ा दी। शिक्षक ने डीईओ से जानकारी मांगी तो पहले उन्होंने सूचना नहीं दी। शिक्षक ने पहली अपील की तो यहां भी जानकारी नहीं मिली। मध्यप्रदेश में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेना आसान काम नहीं है। एक शिक्षक को उसके ही डीईओ ने विभागीय जानकारी नहीं दी। पहली अपील में भी सूचना नहीं मिली तो शिक्षक सूचना आयुक्त के दरवाजे तक जा पहुंचा। यहां सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने सूचना अधिकारी को 30 दिन में जानकारी देने के आदेश तो दिए, लेकिन साथ ही अजीबोगरीब फरमान भी जारी कर दिया। सूचना आयुक्त तिवारी ने कलेक्टर को यह कहते हुए आदेश जारी किया कि शिक्षक होते हुए भी सूचना के अधिकार का दुरुपयोग कर रहा है। शिक्षक की विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए।
दरअसल, यह अजीबोगरीब फरमान टीकमगढ़ के शिक्षक विवेकानंद मिश्र के लिए जारी किया गया था। आदेश से परेशान शिक्षक ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट सख्त
हाईकोर्ट में लगी इस याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सूचना आयुक्त से शपथ पत्र पर जवाब-तलब किया है कि यह आदेश कैसे पारित किया। क्यों न इसके लिए उनपर जुर्माना लगाया जाए। कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब मांगा है। सूचना आयुक्त के आदेश पर भी रोक लगा दी।
वकील बोले-सूचना आयुक्त को दंडित करने का अधिकार नहीं
याचिकाकर्ता शिक्षक विवेकानंद मिश्र के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि आरटीआइ के तहत सूचना आयुक्त को आवेदक को दंडित करने का अधिकार नहीं है। उनका आदेश मनमाना व कानून का उल्लंघन है। यह पद का दुरुपयोग है। वकील के इस तर्कसे हाईकोर्ट सहमत हुआ। कोर्ट ने नोटिस जारी कर कहा, क्यों ना सूचना आयोग पर हर्जाना लगाकर आवेदक को क्षतिपूर्ति दिलाई जाए।
ये है पूरा मामला
शिक्षक ने दायर याचिका में कहा कि डीईओ टीकमगढ़ से आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। जानकारी नहीं मिलने पर जिला पंचायत सीईओ से पहली अपील की। यहां भी जानकारी नहीं मिली तो सूचना आयोग मध्यप्रदेश के समक्ष द्वितीय अपील की। इस पर सुनवाई कर तत्कालीन सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने सूचना अधिकारी को 30 दिन में जानकारी देनेे के लिए निर्देशित किया था। हालांकि, इस आदेश में सूचना आयुक्त ने टीकमगढ़ कलेक्टर को यह आदेश भी दिया कि आवेदनकर्ता शिक्षक होते हुए सूचना के अधिकार नियम का दुरुपयोग कर रहा है। उसके खिलाफ विभागीय जांच की जाए।
Published on:
09 Dec 2022 02:11 am
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