11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Navratri 2023: यहां हर अर्जी सुनती हैं मां दुर्गा, मन्नत पूरी होते ही देश-विदेश के श्रद्धालु जलाते हैं 9 दिन की अखंड ज्योति

Navratri 2023 Chamatkari Durga Mandir : राजधानी भोपाल समेत प्रदेशभर में ऐसे कई दुर्गा मंदिर हैं, जिन्हें लेकर श्रद्धालुओं की आस्था है कि ये चमत्कारी मंदिर हैं, मां दुर्गा के इन मंदिरों में मन्नत मांगते हैं और आते खाली हाथ हैं, लेकिन खाली हाथ कभी नहीं जाते। आज हम आपको बता रहे हैं राजधानी भोपाल के नेहरू नगर स्थित मनोकामेश्वरी मंदिर की...

2 min read
Google source verification
navratri_maa_durga_pujan_in_manokameshwari_mandir_bhopal.jpg

Navratri 2023 Chamatkari Durga Mandir : 15 अक्टूबर से नवरात्रि का पर्व शुरू होने जा रहा है। मां दुर्गा का यह नौ दिवसीय पर्व शारदीय नवरात्र का पर्व है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के भक्त न केवल घरों में बल्कि उनके मंदिरों में भी उनके दर्शन पूजन-अर्चना करने पहुंचते हैं। आपको बता दें कि राजधानी भोपाल समेत प्रदेशभर में ऐसे कई दुर्गा मंदिर हैं, जिन्हें लेकर श्रद्धालुओं की आस्था है कि ये चमत्कारी मंदिर हैं, मां दुर्गा के इन मंदिरों में मन्नत मांगते हैं और आते खाली हाथ हैं, लेकिन खाली हाथ कभी नहीं जाते। आज हम आपको बता रहे हैं राजधानी भोपाल के नेहरू नगर स्थित मनोकामेश्वरी मंदिर की।

माना जाता है कि यहां अखंड ज्योति जलती है, वो भी एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों। ये अखंड ज्योति किसी एक श्रद्धालु के नाम की नहीं बल्कि सैकड़ों भक्तों के नाम की होती है और मां दुर्गा की कृपा से उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं में केवल भोपाल या उसके आसपास के ही नहीं बल्कि दूसरे शहरों, राज्यों के साथ ही दूसरे देशों से यहां आकर अखंड ज्योति जलाने वाले भी शामिल हैं। शहर के नेहरू नगर स्थित मनोकामेश्वरी मंदिर के एक कमरे में नवरात्रि में लगातार अखंड ज्योति जलाई जाती है। इस कमरे में बड़े दीपकों को घड़े पर रखकर और कतारबद्ध कर मां दुर्गा के सामने समर्पित की जाती है। यह सिलसिला पूरे नवरात्र में चलता है। आमतौर पर जब किसी श्रद्धालु की मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वह अपनी ओर से अखंड ज्योति मंदिर में जलाता है। मंदिर के पुजारी कहते हैं कि इसमें देश के कई शहरों के श्रद्धालु शामिल हैं, साथ ही कुछ ऐसे भी श्रद्धालु हैं, जो अब विदेश में है और नवरात्र में उनके परिवार की ओर से बराबर अखंड ज्योति जलाने की व्यवस्था की जाती है।

11 ज्योति से हुई थी शुरुआत

इस मंदिर की स्थापना हुए 30 साल से अधिक समय बीत चुका है। यहां नवरात्र में अखंड ज्योति जलाने की शुरुआत 25 साल पहले हुई थी, तब पहली बार 11 ज्योति जलाई गई थी, तब मंदिर के एक छोटे से कमरे में इसकी शुरुआत की थी। धीरे-धीरे संख्या बढ़ती गई। बाद में अखंड ज्योति के लिए एक अलग से बड़ा कमरा बनाया गया। सैकड़ों अखंड ज्योति का संचालन करने के लिए मंदिर में चार पंडितों को जिम्मेदारी सौपी गई है, जो इस व्यवस्था की देखरेख करते हैं। पीली अक्षर घी, तो सफेद तेल के इस अखंड ज्योति कक्ष में जिन श्रद्धालुओं के नाम से अखंड ज्योति जलाई जाती है, उनके नाम दीपकों पर दो अलग-अलग रंगों के पेंट से लिखे जाते हैं। जो श्रद्धालु घी की ज्योति जलाते हैं उन दीपकों पर पीले पेंट से उनका नाम लिख दिया जाता है। वहीं जो श्रद्धालु तेल की अखंड ज्योति जलाते हैं, उनका नाम सफेद पेंट से लिखा जाता है। अखंड ज्योति की देखरेख करने वाले पं. लखपत प्रसाद दुबे का कहना है कि दो रंगों के पेंट का यूज सिर्फ इसलिए किया जाता है, ताकि पहचाना जा सके कि कौन सी ज्योति घी से और कौन सी ज्योति तेल से जलेगी।

ये भी पढ़ें : Navratri 2023: अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तरह सोने से सजा है माता रानी का यह मंदिर, गर्भगृह से शिखर तक सोना ही सोना

ये भी पढ़ें :इस समय और इस दिशा में दीपक जलाने से आती है गरीबी, घेरती हैं बीमारियां, जानिए दीपक जलाने का सही तरीका