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इस 10 मिनट की फिल्म की दुनियाभर में चर्चा, गैस त्रासदी का दर्द बयां करते हुए जीते 5 नेशनल अवॉर्ड

छोटी सी फिल्म ने जीते 5 नेशनल अवॉर्ड। बयां किया गैस त्रासदी झेलने वाले परिवारों का दर्द।

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इस 10 मिनट की फिल्म की दुनियाभर में चर्चा, गैस त्रासदी का दर्द बयां करते हुए जीते 5 नेशनल अवॉर्ड

भोपाल/ भोपाल में हुए गैस कांड को भले ही 36 साल हो गए हैं। लेकिन, शहर में आज भी कई गैस पीड़ित परिवार ऐसे हैं, जिनके उस भयानक रात के जख्म अब भी ताजा हैं। हजारों की तादाद में उस रात ही लोग मौत की आगोश में चले गए थे। लेकिन शहरवासियों का दर्द यहीं नहीं थमा। भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल बीत जाने के बाद भी ये दर्द बढ़ता जा रहा है। न ही सरकार और न ही समाज सेवी संस्थाएं पूर्ण रूप से इस दर्द का इलाज करने में सक्षम हुई हैं। भोपाल गैस त्रासदी का शिकार हुए पीड़ितों का ऐसा ही एक दर्द सरदार वल्लभभाई पॉलिटेक्निक के एप्लाइड वीडियोग्राफी के छात्रों ने एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के जरिये बयां किया है। फिल्म का नाम 'नासूर' है, जिसने कई गैस पीड़ित परिवारों में जन्में विकलांग बच्चों का दर्द बयां किया है। फिल्म की चर्चा दुनियाभर में की गई, जिसे अब तक 5 नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुके हैं।

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डॉक्यूमेंट्री फिल्म का उद्देश्य 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात हुई गैस त्रासदी के 36 साल बीत जाने के बाद भी गैस पीड़ित और प्रभावित परिवारों में जन्में विकलांग बच्चों में बहु विकलांगता आम परिवारों के मुकाबले अधिक देखने को मिल जाती है, जिसका मुख्य कारण मिक और मिथाइल आइसोसाइनेट गैस है। जिसके कारण इन विकलांग बच्चों का संघर्ष और भी बढ़ जाता है।

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फिल्म बनाने का उद्देश्य

इन बच्चों का इलाज गैस पीड़ितों के हित में काम करने वाले चिंगारी ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। लेकिन वो इलाज भी पूर्ण रूप से पर्याप्त नहीं है। इन्हें उम्मीद है की इन्हें पूर्णता इलाज सरकार द्वारा मुहैया कराया जाएगा। नासूर नामक इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को बनाने का उद्देश्य इन्हीं मुख्य प्रश्नों को उठाना है।

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फिल्म बनाने में इन लोगों का योगदान

फिल्म का मार्गदर्शन एवं क्रिएटिव डायरेक्टर आशीष भवालकर (lecture are in cinematography applied videography) एवं निर्देशन शाहरुख कुरैशी कैमरामैन विजय बोड़खे पॉस्ट प्रोडक्शन हेड अभिनव द्विवेदी संपादन शाहरुख कुरैशी के साथ विजय ने किया है।

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फिल्म को मिल चुका है 5 बार नेशनल पुरुस्कार

फिल्म के जरिये भोपाल गैस त्रासदी के बाद कई पीड़ित परिवारों का दर्द बयां किया गया है। फिल्म को देहरादून की आई.एम.एस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित मीडिया एवं फिल्म फेस्टिवल 2019 में सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री श्रेणी प्रथम पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। साथ ही, दिल्ली में आयोजित आर.के मीडिया एवं फिल्म फेस्टिवल 2020 में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके अलावा, कोलकाता में आयोजित होटोमेला इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2020 में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री अवार्ड भी मिला। वहीं, एनसीईआरटी द्वारा आयोजित ऑल इंडिया चिल्ड्रन एजुकेशन ऑडियो वीजुअल फिल्म फेस्टिवल 2020 में केरला में बेस्ट स्क्रिप्ट अवार्ड से भी नवाजा गया। यही नहीं हालही में विज्ञान प्रसार के नेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल 2020 नॉमिनेटेड और फिल्म को सराहा गया है।