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शरीर में जमी अंदुरूनी गंदगी साफ करना है बेहद जरुरी, इस तरह करें सफाई

शरीर में जमी अंदुरूनी गंदगी साफ करना है बेहद जरुरी, इस तरह करें सफाई

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शरीर में जमी अंदुरूनी गंदगी साफ करना है बेहद जरुरी, इस तरह करें सफाई

भोपालः धर्म हो या विज्ञान, आयुर्वेद हो या योग सभी मानते हैं कि, लगभग सभी रोगों की जड़ शरीर में जमी गंदगी होती है। स्नान करके हम शरीर को बाहरी ओर से तो साफ कर लेते हैं, लेकिन शरीर को अंदुरूनी तरफ से कैसे साफ किया जाए, ये कुछ ही लोगों को पता होता है। तो आइये आयुर्वेद, योग, विज्ञान और धर्म के आधार पर जानते हैं कि, शरीर में जमी गंदगी कैसे निकाली जा सकती है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक शरीर में सबसे पहले गंदगी तीन जगहों पर जमती है। पहली खाने की नली में, दूसरी पेट में और तीसरी आंतों में। अगर लंबे समय तक शरीर के इन तीनों में से किसी एक स्थान पर भी गंदगी जमी रहे तो इसका संक्रमण शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसका नुकसान किडनी, फेंफड़े, दिल आदि महत्वपूर्ण अंगों में फैलने लगता है। अंत में इसका नुकसान व्यक्ति के रक्त में भी होने लगता है, जो खून को पूरी तरह गंदा कर सकता है। इसलिए हमें शरीर की अंदुरूनी गंदगी को साफ करना बेहद जरूरी है।


ये भी स्पष्ट है कि, शरीर में पहुंचने वाली ये गंदगी खाने के माध्यम से पहुंचती है। हम क्या खा रहे हैं इस पर ध्यान देने की जरूरत है। हम दो तरह के खाद्य पदार्थ खाते हैं पहला वह जो हमें सीधे प्रकृति से प्राप्त होता है और दूसरा वह जिसे मानव ने निर्मित किया है। प्रकृति से प्राप्त फल और सब्जियां हैं। फल को पचने में 3 घंटे लगते हैं। सब्जियों को पचने में 6 घंटे लगते हैं। उपरोक्त दोनों के अलावा मानव द्वारा पैदा किया गया, बनाया या उत्पादित किए गए खाद्य पदार्थों में आते हैं- अनाज, दाल, चना, चावल, दूध, मैदा, सोयाबीन आदि और इन्हीं से बने अन्य खाद्य पदार्थ। जैसे ब्रेड, सेंडविच, चीज, बर्गर, चिप्स, पापड़, आदि होते हैं, जिन्हें पचने में करीब 18 घंटे तक लग सकते हैं। अब आप सोचिए कि आपको क्या ज्यादा खाना चाहिए।

इस तरह शरीर को अंर से साफ किया जा सकता है

16 घंटे उपवास करें

कम से कम 16 गंटे बिना खाए पिये रहकर हम शरीर को अंदुरुनी ओर से साफ कर सकते हैं। इसे धार्मिक तौर पर हम उपवास या रोजा कह सकते हैं। जैसे अगर आप रात को आठ बजे भोजन करते हैं तो फिर अगले दिन सुबह 12 बजे ही भोजन करें। इस बीच आपको कुछ भी खाना या पीना नहीं है। सुबह पानी, नारियल पानी या सब्जी का ज्यूस पी सकते हैं। ऐसा करने लगेंगे तो शरीर स्थित नया-पुराना भोजन पूर्णत: पचकर बाहर निकलने लगेगा।

धौति कर्म

महीन कपड़े की चार उंगल चौड़ी और सौलह हाथ लंबी पट्टी तैयार कर उसे गरम पानी में उबाल लें। कर धीरे-धीरे खाना चाहिए। खाते-खाते जब पंद्रह हाथ कपड़ा कण्ठ मार्ग से पेट में चला जाए, मात्र एक हाथ बाहर रहे, तब पेट को थोड़ा चलाकर, पुनः धीरे-धीरे उसे पेट से निकाल देना चाहिए। इससे आहार नाल और पेट में जमा गंदगी, कफ आदि ठीक तरह से बाहर निकल आता है। हालांकि, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, ये क्रिया किसी योग्य योग शिक्षक से सीखकर ही करें। खुद से करने का प्रयास ना करें।


बस्ती

योग के जरिये बस्ती करने के लिए पहले गणेशक्रिया का अभ्यास करना बेहद जरूरी है। गणेश क्रिया में अपनी मध्यम उंगली तेल में भिगोकर उसे गुदा-मार्ग में घुमाते हैं। इससे गुदा-मार्ग की गंदगी साफ हो जाती है और गुदा संकोचन और प्रसार का भी अभ्यास हो जाता है।

शंख प्रशालन

रात को सोने से पहले दो-तीन या चार गिलास गुनगुना पानी पीने के बाद वक्रासन, सर्पासन, कटिचक्रासन, विपरीतकरणी, उड्डियान एवं नौली का अभ्यास करें। इससे अपने आप शौच का वेग बन जाएगा। शौच से आने पर पुनः उसी प्रकार पानी पीकर उक्त आसनादिकों का अभ्यास कर शौच को जाएं। इस प्रकार बार-बार पानी पीना, आसनादि करना तथा शौच को जाना सात-आठ बार हो जाने पर अंत में जैसा पानी पीते हैं, वैसा ही पानी जब स्वच्छ रूप से शौच में निकलता है, तब समझ लें कि, पेट पूरी तरह साफ हो गया है। इसके बाद कुछ विश्राम करें और भोजन में सिर्फ पतली खिचड़ी, घी, या कुछ हल्का ही खाएं, ज्यादा समय आराम करने में ही बिताएं। दूसरे दिन से सभी काम दौबारा से शुरु किये जा सकते हैं। इस क्रिया को दो-तीन महीने में एक बार करने से आपके पेट में कभी भी गंदगी नहीं बनेगी, जिसके चलते आप आजीवन निरोगी रहेंगे। याद रखें कि, यह क्रिया किसी जानकार से परामर्श से ही करें। इस अभ्यास से आंतों में जमा गंदगी साफ होगी। कई लोग इसकी जगह एनिमा भी ले लेते हैं।

गीली पट्टियां लगाना

इसे जल पट्टी कहते हैं। पेट पर, गले में और सिर पर सूती पट्टी को ठंडे पानी में भिगोकर, निचोड़कर लपेटने से रक्त संचार ठीक तरह से चलने लगता है जिसके चलते रक्त में जमा गंदगी बाहर हो जाती है। आयुर्वेद में तो सूत की गीली पट्टियों में मिट्टी लपेटकर उसे पेट पर लपेटा जाता है जिससे पेट की गर्मी दूर होती है। साथ ही कब्ज, पेचिस, अजीर्ण, गैस, कोलायिटिस, पेट की नई-पुरानी सूजन, अनिद्रा, बुखार जैसे रोगों में राहत मिलती है। इस विधि का नियमित पालन करने से पेट की चर्बी भी छटती है। यह स्त्रियों के गुप्त रोगों की रामबाण चिकित्सा है। हालांकि, इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि, हमें ये क्रिया किसी आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करना चाहिए। क्योंकि, पट्टी कितनी गीली और ठंडी होना चाहिए, किस मौसम में लपेटना है इस सब की जानकारी होना बेहद जरूरी है।

इस बात का रखें खास ध्यान

उपरोक्त नियमों में से हर नियम में पहले नियम को मानना बेहद जरूरी है। उपवास रखने वाले नियम को ना मानने पर बाकी नियमों का कोई खास मतलब नहीं रहेगा। यह भी जरूरी है कि आप बाकी नियम छोड़ दें बस पहला ही नियम मान लें तो भी शरीर की गंदगी बाहर निकलना तो शुरु हो ही जाएगी। अन्य नियमों का पालन करने से पहले आपको किसी योग्य योग और आयुर्वेद के ज्ञानी की सलाह लेना काफी आवश्यक है।