
भोपाल। राज्य सरकार की जिद और अफसरशाही के कारण वर्ष 2017-18 में प्रवेश पा चुके मेडिकल के 150 छात्र-छात्राओं का भविष्य दांव पर लगा है। सुप्रीमकोर्ट के निर्देश के बाद भी आरकेडीएफ के इन छात्र-छात्राओं को अन्य कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जा रह है। यह सीधे-सीधे कोर्ट की अवमानना है। अब छात्रहित में कांग्रेस कोर्ट जाएगी। यह बात प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने मीडिया से चर्चा में कही।
मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं की मौजूदगी में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इन विद्यार्थियों को प्रवेश परीक्षा नीट 2017 में प्राप्त अंकों के आधार पर आरकेडीएफ में विभिन्न दिनांकों में हुई काउंसलिंग के माध्यम से प्रवेश दिया गया। उन्होंने कहा कि इसी तरह की स्थितियां दो बार गुजरात और एक बार हरियाणा राज्य में भी हुई थीं, तो उस दौरान इन सरकारों ने अपने राज्यों के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिए थे।
मध्यप्रदेश सरकार सर्वोच्च न्यायालय के पारित आदेश की अवमानना क्यों और किसलिए कर रही है? कॉलेज में खामियों के चलते मान्यता समाप्त कर दी गई तो इसमें विद्यार्थियों का क्या दोष है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि सुप्रीमकोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए विद्यार्थियों को अन्य कॉलेजों में प्रवेश दिया जाए और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
मंत्री से मुलाकात
पत्रकारों से चर्चा के बाद कांग्रेस प्रवक्ता के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरद जैन से मुलाकात की। मंत्री ने उनकी समस्या का शीघ्र निराकरण का आश्वासन दिया। कांग्रेस प्रवक्ता छात्र-छात्राओं के साथ मंत्री के बंगले पर पहुंचे तो वे कैबिनेट बैठक में थे। सूचना पर मंत्री वहां पहुंचे और पीडि़तों से मुलाकात की।
प्रदर्शन पर मेडिकल छात्र
मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं की मौजूदगी में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इन विद्यार्थियों को प्रवेश परीक्षा नीट 2017 में प्राप्त अंकों के आधार पर आरकेडीएफ में विभिन्न दिनांकों में हुई काउंसलिंग के माध्यम से प्रवेश दिया गया है। जिसके बाद यदि छात्र-छात्राओं को निकाला जाता है तो मेडिकल छात्राएं प्रदर्शन करेंगे। छात्रों का कहना है कि मेहनत के बल पर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिला है।
Published on:
10 Jan 2018 01:01 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
