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ब्रिज निर्माण में कोपरे की जगह डाली जा रही काली मिट्टी

सिंगारचोली फ्लाईओवर की तरह यहां भी ब्रिज के क्षतिग्रस्त होने की आशंका

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ब्रिज निर्माण में कोपरे की जगह डाली जा रही काली मिट्टी

ब्रिज निर्माण में कोपरे की जगह डाली जा रही काली मिट्टी

भोपाल / औबेदुल्लागंज. मिसरोद से बिनेका तक बनने वाली सडक़ में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। सडक़ के बाद अब फ्लाईओवर निर्माण में कोपरे की जगह काली मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है। एमपीआरडीसी द्वारा मिसरोद से औबेदुल्लागंज तक सिक्सलेन व औबेदुल्लागंज से बिनेका तक फोरलेन सडक़ का निर्माण किया जा रहा है।

जिसका ठेका दिल्ली की कंपनी सीडीएस इंफ्रा को सवा पांच सौ करोड़ रुपए में दिया गया है। सीडीएस कंपनी तामोट के पास फ्लाईओवर निर्माण में कोपरे की जगह काली मिट्टी का उपयोग कर रही है। जिससे भोपाल के सिंगारचोली फ्लाई ओवर की तरह यहां के ब्रिज के क्षतिग्रस्त होने की आशंका हैं, लेकिन एमपीआरडीसी के अधिकारी शिकायत के बावजूद आंखे बंद कर बैठे हुए हैं।

गौरतलब है कि सीडीएस कंपनी ने गौहरगंज के पास सडक़ निर्माण में भी काली मिट्टी का उपयोग किया था, जिसकी कई शिकायतें होने के बाद कुछ काली मिट्टी खानापूर्ति के लिए हटाई गई थी। जब भी एमपीआरडीसी के अधिकारियों से लोग घटिया निर्माण की शिकायत करते हैं तो वह आकर सडक़ देखने की बात करते हैं, लेकिन काली मिट्टी कर उपयोग फिर भी जारी है।

सडक़ के दोनों ओर काटे हजारों पेड़


कांग्रेस नेता व पूर्व नप अध्यक्ष सुरजीतसिंह बिल्ले का कहना है कि सीडीएस कंपनी ने सडक़ निर्माण के पहले सडक़ के दोनों तरफ खड़े हजारों पेड़ काटे थे, लेकिन यह पेड़ कहा गए, पता नहीं चला। जबकि इन पेड़ो की लकड़ी की नीलामी होनी थी। वहीं ठेकेदार अब सडक़ के बीच में व दोनों तरफ खानापूर्ति के लिए पेड़ लगा रहा है।

- यदि काली मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है तो मैं मौके पर आकर देखता हूं।
पवन आरोरा,
संभागीय प्रबंधक, एमपीआरडीसी
- हम क्षेत्र के सांसद व विधायक से मांग करेंगे कि घटिया सडक़ निर्माण के मुद्दे को विधानसभा व लोकसभा में उठाएं, क्योंकि मप्र व केंद्र दोनों की राशि से यहां सडक़ निर्माण हो रहा है।
सर्वेश गौर, सामाजिक कार्यकर्ता