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पांच दिसंबर तक पेश करें वन क्षेत्र में हुए निर्माण के दस्तावेज

एनजीटी ने जताई नाराजगी, दिए निर्देश

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भोपाल. एनजीटी ने केरवा से कलियासोत डैम के बीच वन क्षेत्र में हुए निर्माण कार्यों के दस्तावेज पेश नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है। मामले की सुनवाई भी आगे बढ़ा दी गई है। ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ता को 5 दिसंबर तक वहां हुए निर्माण कार्यों के खसरे और स्वामित्व संबंधी दस्तावेज राजस्व विभाग से लेकर पेश करने के निर्देश दिए हैं। इससे राजस्व रेकॉर्ड में दर्ज संबंधित जमीन का भू-उपयोग और स्वामित्व आदि स्पष्ट हो पाएगा। इसके बाद ही मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी।

एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच में मंगलवार को राशिद नूर खान की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई। शुरुआत में ही ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ता से संबंधित जमीनों का राजस्व रेकॉर्ड पेश करने के लिए कहा। इस पर उनके वकील ने बताया कि राजस्व विभाग के पास रेकॉर्ड निकालने के लिए आवेदन लगाए गए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें नहीं मिला है। इसके लिए उन्हें और समय चाहिए। इस पर एनजीटी ने नाराजगी जताते हुए फटकार लगाई कि 17 अक्टूबर को हुई सुनवाई में राजस्व रेकॉर्ड पेश करने के लिए कहा गया था,लेकिन एक माह बाद भी नहीं मिला। एनजीटी ने मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को तय की है। इसके साथ याचिकाकर्ता को पांच हजार रुपए एनजीटी बार एसोसिएशन भोपाल को देने के लिए भी कहा है।

दो कमेटियां भी नहीं जुटा सकीं दस्तावेज
याचिकाकर्ता ने केरवा के जंगलों में हुए निर्माण को वन भूमि पर बताया। एनजीटी ने जांच के लिए वकीलों की कमेटी बनाई थी, लेकिन वह राजस्व रेकॉर्ड और स्वामित्व संबंधी दस्तावेज नहीं जुटा सकी। इसे भंग कर नई कमेटी बनाई जिसमें एडीएम भोपाल भी थे। असफल होने पर इसे भी भंग कर दिया। एनजीटी के निर्देश पर एमओईएफ के रीजनल ऑफिस में एपीसीसीएफ डॉ. तेजिंदर सिंह ने सर्वे कर रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2003 में घने जंगल के बीच बसे मेंडोरा, मेंडोरी और चंदनपुरा गांवों में 45.99 हेक्टेयर जमीन पर नॉन फॉरेस्ट एक्टिविटी थी। वर्ष 2018 में 158.05 हेक्टेयर क्षेत्र में फैल गई। 15 साल में 112.06 हेक्टेयर अर्थात् 276 एकड़ जमीन पर जंगल उजाड़ दिया गया। अब वहां पक्के निर्माण, फार्म हाउस, रिसॉर्ट, खेती आदि चल रही है। इस पर याचिकाकर्ता को ही दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिए गए थे।