
एनजीटी ने की मध्यप्रदेश के अधिकारियों पर तीखी टिप्पणी
भोपाल. केरवा-कलियासोत डैम के अतिक्रमण मामले में कार्रवाई नहीं होने और मुख्य सचिव द्वारा उचित जवाब नहीं दे पाने के मामले में एनजीटी ने तीखी टिप्पणी की है। ट्रिब्यूनल ने मंगलवार को जारी आदेश में कहा है कि अब अधिकारियों को यह एहसास होना जरूरी है कि कोर्ट और ट्रिब्यूनल केवल प्रकरणों की तारीखें बढ़ाने के लिए ही नहीं है। वे फैसला देने के लिए हैं, इसलिए सामान्य कारणों से तारीख आगे बढ़ाने से बचना चाहिए। अधिकारियों को इसमें सहायता करना चाहिए ताकि कोर्ट के सामने रखे गए प्रकरण बिना विलंब के निराकृत हो सकें। बार-बार तारीख बढ़ाने से न्याय विलंबित होता है। खासतौर पर पर्यावरण संबंधी मामलों में जहां नागरिकों को नुकसान होने से बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है। इसमें फैसला भी जल्दी होना चाहिए।
एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच ने डॉ सुभाष सी पांडे और राशिद नूर खान की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद जारी आदेश में यह टिप्पणी की है। ट्रिब्यूनल ने आगे कहा कि सभी तथ्याें और परििस्थतियों को देखते और समझते हुए भी मुख्य सचिव ने कोई भी जवाब पेश नहीं किया और उन्होंने तारीख आगे बढ़ाने की मांग की। सीएस को 5 लाख की कॉस्ट जमा करने के बाद एक माह आगे की तारीख दी जाती है। सीएस अब मांगा गया एफिडेविट जमा नहीं करने के लिए जिम्मेदार विभाग और एजेंसी के संबंध में फैसला खुद कर सकते हैं। लेकिन एक सप्ताह में 5 लाख की राशि मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा कराएं।
अब 20 सितंबर को होगा अंतिम फैसला
एनजीटी ने अपने आदेश में सुनवाई की अगली तारीख 20 सितंबर तय की है। इसमें मुख्य सचिव और पीएस नगरीय विकास को वर्चुअल मोड में पेश होने के निर्देश दिए गए हैं। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि उसी दिन इस मामले को निराकृत करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। जिन निजी लोगों को पार्टी बनाया गया है उन्हें भी अगली सुनवाई तक अपना जवाब पेश करने का समय दिया गया है।
Published on:
23 Aug 2023 01:14 am
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