इस सड़क से जुड़ी लगभग सौ कॉलोनीज के मरीजों और आने-जाने वाले लोगों को बहुत परेशानी होती है। सीपीए ने यह सड़क करीब 12 वर्ष पहले बनाई थी और तब से अब तक स्ट्रीट लाइट के सिवा पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है। आशिमा मॉल से एम्स तक ऑटोरिक्शा वाला आमतौर पर 150 रुपए लेता है, जबकि इतनी दूरी के लिए अन्य स्थानों पर सिटी बस में 5-10 रुपए ही लगते हैं। दिन में अकसर लोगों को लिफ्ट मांगते देखा जा सकता है। मजबूरी में महिलाएं और स्टूडेंट्स को भी अन्य लोगों से लिफ्ट लेनी पड़ती है, जो परेशानी का कारण बन सकती है।
इस रूट के बारे में पता करवाता हूं कि कितने लोगों का आवागमन है, उसके बाद ही किसी बस रूट को बढ़ाया जा सकता है या नया शुरू किया जा सकता है।
– केवल मिश्रा, डायरेक्टर, बीसीएलएल
पहले इस रोड के लिए स्ट्रीट लाइट का प्रस्ताव सीपीए ने बनाया था, लेकिन फिर यह निर्णय हुआ कि स्ट्रीट लाइट का काम नगर निगम करेगा। अब नए सिरे से प्रस्ताव तैयार करना पड़ेगा।
– जवाहर सिंह, अधीक्षण यंत्री, सीपीए