स्कूलों में बच्चों की उर्दू की ये हालत उस समय है जब इसे बढ़ावा देने वाली संस्था उर्दू अकादमी ने हाल में उर्दू के लिए जश्र का आयोजन किया था। पुराने शहर में करीब एक दर्जन सरकारी स्कूल हैं। इन सभी में अतिरिक्त विषय के रूप में या उर्दू माध्यम से पढऩे वालों की संख्या ज्यादा है। इसके बाद भी यहां शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं किया जा रहा है। ये हालात राजधानी ही नहीं पूरे प्रदेश में हैं। इस संबंध में कई बार शासन से मांग की जा चुकी है लेकिन इस कमी को पूरा नहीं किया जा सका। जमीयत उलेमा ने सरकारी स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की भर्ती की मांग की है। शिक्षकों की कमी के कारण इस विषय में रूचि रखने वालों की संख्या भी कम हो रही है। ऐसे में उर्दू को बढ़ावा देने संस्थाओं के जश्न केवल औपचारिकता साबित होंगे।
हाल में उर्दू के लिए मनाया गया जश्न उर्दू को बढ़ावा देने के लिए हाल में उर्दू अकादमी ने जश्ने उर्दू मनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य उर्दू साहित्य से जुड़े लोगों को बढ़ावा देना था। इस जश्न के बीच प्राथमिक स्तर पर उर्दू पढ़ाने वालों की कमी पर चिंता जताई गई। स्कूलों में शिक्षक न होने से कई बच्चे इस विषय को छोड़ रहे हैं। इससे उर्दू सीखने और पढऩे वालों की संख्या में कमी आने की आशंका जताई जा रही है। इसी को देखते हुए कई लोगों ने अपने स्तर पर इसके लिए प्रयास शुरू किए हैं।