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भोपाल। कोरोना महामारी की वजह से तमाम लोगों ने तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक परेशानियों का सामना किया। इसके गंभीर प्रभाव प्रदेश के मेडिकल स्टूडेंट्स में भी देखे गए। 46 फीसदी मेडिकल स्टूडेंट्स में सीवियर डिप्रेशन के लक्षण देखे गए। वहीं 36 फीसदी छात्रों में माइल्ड से सीवियर स्ट्रेस पाया गया। यह खुलासा हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस में छपी एक रिपोर्ट से हुआ है। रिसर्च टीम में खंडवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के रमेश अग्रवाल और पैथोलॉजी विभाग के अनिल सिंह शामिल थे। इनके साथ ही राजस्थान के डूंगरपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के हर्षुल पाटीदार और गुजरात के एक निजी मेडिकल कॉलेज के फिजियोलॉजी विभाग से अंशुल अखानी ने मिलकर यह रिसर्च की।
रिसर्च की खास बातें
- मेडिकल छात्र डिप्रेशन, चिंता और ठीक से नींद नहीं आने जैसी परेशानी से जूझ रहे हैं।
- मेडिकल छात्र संक्रमण का खतरा, फोबिया, अजीब-अजीब ख्याल, जरा सी बात पर पैनिक होने जैसे लक्षण खुद में महसूस कर रहे हैं।
- रिसर्च में शामिल 8 से 10 फीसदी मेडिकल छात्रों में अत्याधिक डिप्रेशन होने की बात सामने आई।
- रिसर्च में शामिल 12 फीसदी मेडिकल छात्रों में अत्यधिक एंग्जायटी और स्ट्रेस देखने को मिला।
- डिप्रेशन एंग्जायटी स्ट्रेस स्केल की मदद से रिसर्च
मनोचिकित्सक बोले- अधिक तनाव चुपचाप न झेलें
ऑनलाइन क्लास प्रमुख वजह
जीएमसी के मनोचिकित्सक विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुचि सोनी के अनुसार कोरोना के दौरान हुई ऑनलाइन क्लास इसकी प्रमुख वजहों में से एक है। जैसे मेडिकल की पढ़ाई के पहले साल में एनाटॅामी सब्जेक्ट होता है। जिसमें जो क्लास में पढ़ाया जाता है, उसको बाद में प्रेक्टिकल के जरिए समझाया जाता है। मगर कोरोना काल के दौरान यह नहीं हो सका। इससे स्टूडेंट्स में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक परेशानियां बढ़ी हैं।
कॉलेज में काउंसलिंग सेल जरूरी
जेडीए यूजी विंग मप्र के मुख्य सलाहकार डॉ. आकाश सोनी के अनुसार मेडिकल छात्र पहले भी डिप्रेशन व चिंता से जूझते रहे हैं। मगर कोविड-19 के बाद यह बढ़ गया है। कई छात्र व चिकित्सक इससे जूझ रहे हैं, इसे सुधारने के लिए सरकार मेंटल हेल्थ इंस्टिट्यूशन बना रही है। मगर इन्हें पूर्ण रूप से फंक्शनिंग होने में समय लगेगा। ऐसे में हर मेडिकल कॉलेज में प्रॉपर काउंसलिंग सेल होना चाहिए।
वर्तमान दौर मेंटल हेल्थ पैंडेमिक का
जीएमसी के मनोचिकित्सक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जेपी अग्रवाल के अनुसार पैंडेमिक के बाद के कुछ साल तक मेंटल हेल्थ पैंडेमिक माना जाता है। इस दौरान डेढ़ से दो गुना मरीज मानसिक रोगों के बढ़ते हैं। ऐसे में जरूरी है कि लोग अधिक तनाव में रहने पर चुपचाप न झेलें। ऐसे में यह समस्या कम होने की जगह और बढऩे लगेगी।
Published on:
20 Jan 2023 05:58 pm
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