परिवार के लिए यह फैसला बेहद मुश्किल भरा था अनमोल के भाई गौरव जैन ने बताया कि यह फैसला परिवार के लिए बेहद मुश्किल था, मगर हमें पता था कि हम सही कर रहे हैं। साथ ही परिवार को इस बात की जानकारी थी कि ऐसे मामलों में अंगदान किया जा सकता है। अस्पताल के डॉक्टरों के साथ चर्चा के बाद परिवार ने सहमति जताई। इसके बाद युवक के अंग उन रोगियों को दान किए जा रहे हैं, जिन्हें उनकी सख्त जरूरत है। आवश्यक मंजूरी के बाद प्रत्यारोपण टीम को तुरंत सक्रिय कर दिया गया। सूचना जोनल ट्रांसप्लांट कोर्डिनेशन सेंटर को भेज दी गई।
कई मरीजों को अंग प्रत्यारोपित किए गए 27 नवंबर को किडनी, लंग जैसे अंगों को प्रत्यारोपण के लिए निकाला गया। जानकारी के अनुसार किडनी भोपाल के मरीजों को ही लगाई जानी है। वहीं लिवर इंदौर के मरीज के लिए भेजा गया। इस तरह से गंभीर रूप से बीमार चार से पांच रोगियों को नया जीवन मिल सकेगा। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना हैं कि एक युवा के द्वारा किए गए योगदान ने हमारे विश्वास को मजबूत किया है।
बनेंगे तीन ग्रीन कॉरीडोर अंगों को जल्द से जल्द सुरक्षित तरीके से बाहर के मरीजों को पहुंचाने के लिए भोपाल में सोमवार सुबह तीन ग्रीन कॉरिडोर बनेंगे। पहला कॉरीडोर सिद्धांता अस्पताल से एयरपोर्ट तक बनेगा। इसमें हार्ट को अहमदाबाद ले जाया जाएगा। दूसरा ग्रीन कॉरिडोर सिद्धांता अस्पताल से चिरायु अस्पताल तक बनेगा, इसमें किडनी को लेकर जाया जाएगा। वहीं तीसरा कॉरीडोर लिवर के लिए बनेगा। जो सिद्धांता अस्पताल से इंदौर लेकर जाया जाएगा।
अच्छा क्रिकेटर था अनमोल
अनमोल को करीब से जानने वाले क्षेत्रवासियों ने बताया कि वह बचपन से ही प्रतिभाशाली था। क्रिकेट के प्रति समर्पण के चलते उसने इंदौर के यशवंत क्रिकेट क्लब में ट्रेनिंग ली, जहां वह 135 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकता था और अच्छे फास्ट बॉलर के रूप में चर्चित हो चुका था। भारतीय टीम के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर वेंकटेश अय्यर के प्रशिक्षक से अनमोल ने क्रिकेट का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था। इंदौर से अनमोल भोपाल आया और एमबीए का विद्यार्थी था।