INTERVIEW: PM मोदी की नोटबंदी पर ये क्या बोल गए संतूर वादक शिव शर्मा
देश में बहुत बड़ा कैंसर फैल रहा था। उस कैंसर को खत्म करने के लिए अब तक कोई प्रयास नहीं किया गया। कैंसर को निकालने के लिए सर्जरी होगी तो तकलीफ तो होगी ही।
भोपाल । जम्मू-कश्मीर जितना खूबसूरत वादियों के लिए मशहूर है उतना ही विभिन्नताओं से भरपूर संस्कृति और आकर्षक कला के लिए भी। इसी संस्कृति और कला को भारत भवन में गुरुवार से शुरू हुए 'जम्मू-कश्मीर महोत्सव' में प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में आए देश के मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा ने पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कई मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने नोट राग भी छेड़ा। पढ़ें...पंडित शिवकुमार शर्मा का ये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू...
0 मोदी के फैसले पर बतौर नागरिक आप क्या सोचते हैं?
देश में बहुत बड़ा कैंसर फैल रहा था। उस कैंसर को खत्म करने के लिए अब तक कोई प्रयास नहीं किया गया। कैंसर को निकालने के लिए सर्जरी होगी तो तकलीफ तो होगी ही। लेकिन, तकलीफ को सहकर ही हम इस बीमारी से आजाद हो सकते हैं। रही बात नोट की तो वो बंद नहीं किया जा सकता। क्योंकि मेरे जैसे कलाकार को तो अंगे्रजी भाषा में नोट का मतलब स्वर ही पता है संगीत में (मजाकिया लहजे में)। गरीब वर्ग को मोदी जी के इस फैसले का दिक्कत हो रही है। जिनके पास आज खाने के लिए पैसे हैं, लेकिन कल के लिए नहीं। इस बारे में जल्द से जल्द सरकार को प्रयास करना चाहिए।
आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है। एक जमाना था जब घोड़े पर चलते थे। अब चांद पर पहुंच गए हैं, लेकिन आज तक कोई ऐसा संगीतकार नहीं आया जिसने आठवां स्वर बनाया हो। विज्ञान की नई खोजें की जा सकती हैं, संगीत की एक खोज करने के लिए एक सदी भी कम है। मेरी कोशिश हमेशा यह रहती है कि मुझे सुनने में अ'छा लगना चाहिए। मैं श्रोताओं के अ'छा लगने के बारे में नहीं सोचता। मुझे जब सुनकर सूकून मिलता है, तब ही जाकर मैंने श्रोताओं के सामने बजाता हूं।
संगीत जगत में मैं आज भी खुद को इतना परिपक्व नहीं मानता कि नए रागों को ईजाद कर सकूं। 1968 से ही दुनिया के अलग-अलग देशों में जाता रहा। कई बार लोगों ने कहा कि हम क्लीनिक में पेशंट को ट्रीटमेंट के बाद म्यूजिक सुनाते हैं। यह एक थैरेपी की तरह काम करता है। तब उन्होंने मुझसे एक ऐसा आलाप बनाने को कहा जिसमें तबला न हो, सिर्फ संतूर का राग हो। मैंने ऐसी एक कंपोजीशन बनाई। लोगों ने उस राग को बहुत पसंद किया। जब मैंने वह राग सुना तो मुझे शांति महसूस हुई। मैंने 2-3 महीने उसकी रूपरेखा बनाई और एक म्यूजिक कंपनी से पूछा कि आप इसे सुनेंगे। उन्होंने उसे रिकॉर्ड कर लिया। जब उन्होंने पूछा कि उसका नाम क्या है तो मैंने इसका नाम 'अंर्तध्वनि' रखा। जब मैं सुरों का साज करता हूं, तो अंर्तमुखी हो जाता हूं। यही मेरा एक राग था, जो कब ईजाद हो गया, मुझे भी नहीं मालूम।
0 शुरुआत किन रागों से की? आज भी वही राग बजाते हैं?
पहले शुरुआत मैंने यमन राग से की थी। मेरे पिताजी को रागों की जानकारी थी। 5 साल की उम्र में ही उन्होंने ही मुझे दे दी थी। राग शुरु करने से पहले पिताजी ने ही समझाया कि पकडऩा कैसे है, ट्यून कैसे निकलेगी, साज कैसे स्थापित होगा। आज भी मैं पिताजी द्वारा सिखाए रागों को बजाता हूं।