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परशुराम जन्मोत्सव कब और इनसे जुड़ी कुछ खास बड़ी बातें, जानिये इस दिन कौन से काम देते हैं अशुभ फल

भगवान विष्णु के छठे अवतार...

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परशुराम जन्मोत्सव कब और इनसे जुड़ी कुछ खास बड़ी बातें, जानिये इस दिन कौन से काम देते हैं अशुभ फल

भोपाल। 'परशु' प्रतीक है पराक्रम का। 'राम' पर्याय है सत्य सनातन का। इस प्रकार परशुराम का अर्थ हुआ पराक्रम के कारक और सत्य के धारक। परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं।

इनके जन्मोत्सव को अक्षय तृतीया भी कहा जाता है, इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

सनातन परंपरा में सात ऐसे चिंरजीवी देवता हैं, जो युगों-युगों से इस पृथ्वी पर मौजूद हैं। इन्हीं में से एक भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम भी हैं। इस वर्ष यानि 2019 में सात मई को अक्षय तृतीया के दिन ही इनका जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

भगवान परशुराम के संबंध में पंडित सुनील शर्मा कहते हैं कि वैसे तो उनसे जुड़ी कई कथाएं हैं, लेकिन उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बड़ी बातें भी हैं जो शायद अधिकांश लोग नहीं जानते हैं।

1. विष्णु के आवेशावतार:
परशुराम के संबंध में कहा जाता है कि वे भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। उनका जन्म भगवान श्रीराम के जन्म से पहले हुआ था। मान्यता है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था।

परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है। भगवान शिव के परमभक्त परशुराम जी को न्याय का देवता भी माना जाता है।


2. भगवान शिव ने दिया था परशु अस्त्र :
भगवान परशुराम जी की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम जमदग्नि ॠषि था। वह अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। परशुराम जी से बड़े तीन भाई थे।

उन्होंने पिता की आज्ञा पर अपनी मां का वध कर दिया था। जिसके कारण उन्हें मातृ हत्या का पाप लगा, जो भगवान शिव की तपस्या करने के बाद दूर हुआ। भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया, जिसके कारण वे परशुराम कहलाए।

3. 21 बार किया क्षत्रियों का नाश
भगवान परशुराम कभी अकारण क्रोध नहीं करते थे। जब सम्राट सहस्त्रार्जुन का अत्याचार व अनाचार अपनी चरम सीमा लांघ गया तब भगवान परशुराम ने उसे दंडित किया।

भगवान परशुराम को जब अपनी मां से पता चला कि ऋषि-मुनियों के आश्रमों को नष्ट और अकारण उनका वध करने वाले दुष्ट राजा सहस्त्रार्जुन ने उनके आश्रम में आग लगा दी और कामधेनु छीन कर ले गया। तब उन्होंने पृथ्वी को दुष्ट क्षत्रियों से रहित करने का प्रण किया।

इसके पश्चात् उन्होंने सहस्त्रार्जुन की अक्षौहिणी सेना व उसके सौ पुत्रों के साथ ही उसका भी वध कर दिया। भगवान परशुराम ने 21 बार घूम-घूमकर दुष्ट क्षत्रियों का विनाश किया।


4. भगवान कृष्ण को दिया था चक्र:
रामायण काल में सीता स्वयंवर में धनुष टूटने के पश्चात् परशुराम जी जब क्रोधित हुए और उनका लक्ष्मण से संवाद हुआ तो उसके बाद भगवान श्रीराम ने परशुराम जी को अपना सुदर्शन चक्र सौंपा था। वही सुदर्शन चक्र परशुराम जी ने द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण को वापस किया।

5. कर्ण को दिया था यह श्राप
परशुराम जी ने कर्ण और पितामह भीष्म को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी दी थी। कर्ण ने भगवान परशुराम से झूठ बोलकर शिक्षा ग्रहण की थी। जब यह बात परशुराम जी को पता चली तो उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि जिस विद्या को उसने झूठ बोलकर प्राप्त की है, वही विद्या युद्ध के समय वह भूल जाएगा और कोई भी अस्त्र या शस्त्र नहीं चला पाएगा। भगवान परशुराम का यही श्राप अंतत: कर्ण की मृत्यु का कारण भी बना।

6. गणपति को बनाया एकदंत
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम के क्रोध से स्वयं गणेश जी भी नहीं बच पाये थे। ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, एक बार जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो भगवान गणेश जी उन्हें शिव से मुलाकात करने के लिए रोक दिया।

इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। जिसके बाद भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे।

7. चिंरजीवी: हर युग में रहे मौजूद...
रामायण और महाभारत दो युगों की पहचान हैं। रामायण त्रेतायुग में और महाभारत द्वापर में हुआ था। पुराणों के अनुसार एक युग लाखों वर्षों का होता है। ऐसे में देखें तो भगवान परशुराम ने न सिर्फ श्री राम की लीला बल्कि महाभारत का युद्ध भी देखा।

अक्षय तृतीया: इस दिन 5 काम देते हैं अशुभ फल,भूलकर भी न करें ये...


इस वर्ष यानि 2019 में 7 मई को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाएगा। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो इस दिन खरीदारी और मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन की कभी कमी नहीं होती है। लेकिन इस दिन कुछ काम वर्जित बताए गए हैं जिनका करना अशुभ फल देता है।

1. पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस दिन तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए। यह दिन भगवान विष्णु का भी होता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय होती है। इसलिए इस दिन तुलसी तोड़ना अशुभ माना जाता है।

2. कहते हैं इस दिन घर में लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए इस दिन साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। घर के हर कोने को साफ करना चाहिए। गंदे स्थान पर पूजा नहीं करनी चाहिए। माता के लिए नया स्थान भी लगा सकते हैं।

3. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन मन में द्वेष की भावना नहीं रखनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन व्रत और पूजन कर अगर कोई किसी व्यक्ति का बुरा सोचता या करता है तो यह अशुभ होता है।

4. शास्त्रों के अनुसार खरीदारी का इस दिन विशेष महत्व माना गया है। इसलिए ध्यान रहे कि इस दिन अपनी साम्र्थय के अनुसार सोना-चांदी, कपड़े, बर्तन या कोई भी वस्तु जरूर घर लाएं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। बिना नई वस्तु के पूजन अशुभ फल दे सकता है।


5. इस दिन अपने बड़ों का निरादर करना, घर के बार आए व्यक्ति को खाली हाथ वापस लौटाना अशुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन जरूरी है कि आप अपनी साम्र्थय के अनुसार कुछ भी वस्तु दान करें और बुजुर्गों का का सम्मान करें।