भोपाल. इंजीनियरिंग संस्थानों की कम होती गुणवत्ता और इसके डिग्रिधारियों को नौकरी नहीं मिलने से सबकी चिंता बड़ा दी है। इसके लिए केंद्रीय स्तर पर एग्जिट टेस्ट पास करना अनिवार्य करने की कवायद चल रही है। लेकिन आरजीपीवी प्रशासन एंड सेमेस्टर एग्जाम में 31 प्रतिशत अंक लाने की बाध्यता खत्म कर एआईसीटीई की इस मंशा पर पतीला लगा रहा है। एआईसीटीई द्वारा एग्जिट टेस्ट कराने के पीछे स्टूडेंट की काबलियत को परखना है। लेकिन आरजीपीवी उन सभी छात्रों को पास करेगा जो सिर्फ परीक्षा में शामिल होंगे। आरजीपीवी के ही ग्रेडिंग और नॉन ग्रेडिंग सिस्टम के तहत एंड सेमेस्टर एग्जाम में न्यूनतम अंक लाने की शर्त है। इसलिए स्टूडेंट को न चाहते हुए भी पढऩा पड़ता है। यही कारण है कि इंजीनियरिंग कोर्स की थोड़ी-बहुत गुणवत्ता बची हुई है। लेकिन च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) से यह शर्त हटाने से इसके उद्देश्य पर सवाल खड़े किए जाने लगे हैं। अब सीनियर स्टूडेंट भी इसके खिलाफ हैं। पांचवे और सातवें सेमेस्टर के स्टूडेंट्स का कहना है कि इस तरह के नियम बनाने से अच्छा कि स्टूडेंट को बिना परीक्षा के डिग्री दे दी जाए।