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पेड़ बनने के लिए बीज को जमीन में गाड़ना होता है, मां है वही बीज: गुलाब कोठारी

Stree Deh Se Aage : 'स्त्री: देह से आगे' विषय विवेचन कार्यक्रम में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने स्त्री के मातृत्व स्वरूप को समझाया। दिए कई अहम सवालों के जवाब।

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Stree Deh Se Aage

'स्त्री: देह से आगे' विषय पर विवेचन कार्यक्रम (Photo Source- Patrika Input)

Stree Deh Se Aage :मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित 'स्त्री: देह से आगे…' विषय विवेचन कार्यक्रम में बोलते हुए पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी स्त्री के दायित्व और भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि, जो बीज अपने फल खाना चाहता है, वह कभी पेड़ नहीं बन सकता। पेड़ बनने के लिए बीज को जमीन में गाड़ना पड़ता है। मां भी वही बीज है, जो जमीन में गड़कर पेड़ बनती है। मां साधारण हस्ती नहीं हो सकती।

कोठारी ने कहा कि, कन्या के हिस्से का बीज उसके पिता में रह जाता है, जबकि पुरुष का बीज पिता पुत्र को दे देता है। इसलिए विवाह के समय पिता बैठकर मंत्रों के जरिए यह बीज दूल्हे के प्राणों से जोड़ता है। प्रश्नोत्तर सत्र में गुलाब कोठारी ने जिज्ञासाओं का समाधान किया। कार्यक्रम के अंत में विभिन्न समूहों ने गुलाब कोठारी का सम्मान किया।

संवाद कार्यक्रम में सवाल-जवाब सत्र

कार्यक्रम में आईं महिलाओं ने रखे विचार

लेखिका चित्रा चतुर्वेदी ने कहा कि, सवाल सृष्टि का मूल आधार स्त्री और पुरुष है, ये बात हम जानते तो थे, लेकिन कोठारी जी ने उद्बोधन में हमारे आर्ष ग्रंथों सहित वैज्ञानिक पहलू के उदाहरण से भी इसे समझाया।

एंटरप्रेन्योर रेनू नायक ने कहा कि, कोठारी जी ने बताया कि, एक संस्कारित समाज के निर्माण की जिम्मेदारी स्त्री की है। स्त्री को अपनी क्षमताएं समझकर संतान को सुसंस्कारित करना होगा।

सीहोर से आईं सावरिया समिति की सदस्य रश्मी खेरा ने कहा कि, कोठारी जी को सुनना अपने आपमें अद्भुत अनुभव रहा। उनके उद्बोधन के बाद महिलाओं के असल स्वरूप को समझा।

प्रो. अनु श्रीवास्तव के अनुसार, डॉ. गुलाब कोठारी ने अपने उद्बोधन में भारतीय दर्शन, संस्कारवान पीढ़ी के निर्माण में एक स्त्री की भूमिका के बारे में बताया। उनकी बताई बातों पर अगर नई पीढ़ी अमल करे तो एक सुसंस्कृत समाज बन सकता है।

निर्भया महिला आश्रम की सदस्य गुलशाद बेगम ने कहा कि, 'स्त्री: देह से आगे…' एक ऐसा विषय है, जिसपर कभी भी बात नहीं होती। हम स्त्रियों के अधिकारों पर कार्य करते हैं और इस कार्यक्रम ने हमें और शक्ति के साथ कार्य करने की प्रेरणा दी।

स्वर्णकार महिला मंडल सीहोर अध्यक्ष सुनीता सोनी का कहना है कि, मुझे ये बात पसंद आई कि स्त्री को अपनी आत्मा से संतान की आत्मा को जोडऩा होगा। हमें देखना होगा कि जन्म तो पशु-पक्षी भी देते हैं, लेकिन मनुष्य में चेतना है। वह अपनी संतान को संस्कारित बना सकता है।

सीहोर से आईं सामाजिक कार्यकर्ता उषा शर्मा के अनुसार, 'स्त्री: देह से आगे…' यह विषय कोई नहीं पढ़ाता, ना इसपर घर में चर्चा होती है। ऐसे में इस विषय पर गुलाब कोठारी जी को सुनना अद्भुत अनुभव रहा।

सीहोर की ही अन्य सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमलता राठौर के अनुसार, स्त्री के स्वभाव, उसकी जिम्मेदारी, बच्चों के प्रति उसकी भूमिका, जैसे विभिन्न विषयों पर आज बहुत अच्छी-अच्छी बातें सुनने को मिली।

महिला अधिकार मंच की सीहोर जिला अध्यक्ष प्रीति सोनी ने कहा कि, गुलाब कोठारी ने बताया- शादी यानी दो प्राणों का मिलन और मंत्रों द्वारा ही दो प्राणों को एक किया जा सकता है।