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पीएचक्यू आज भेजेगा एडीजी के पिता की रिपोर्ट

मिश्रा के हाईकोर्ट जाने पर रिपोर्ट सबमिट करने के लिए पीएचक्यू ने आयोग से मांगा था सात दिन का समय

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पीएचक्यू आज भेजेगा एडीजी के पिता की रिपोर्ट

भोपाल. भर्ती एवं चयन शाखा के एडीजी सीनियर आइपीएस राजेन्द्र मिश्रा के पिता के मामले में पीएचक्यू उसी रिपोर्ट को भेज रहा है, जो रिपोर्ट एसपी के नेतृत्व में छह सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने तैयार की है। यह रिपोर्ट सोमवार देर शाम तक मानव अधिकार आयोग नहीं पहुंच सकी, लेकिन यह रिपोर्ट मंगलवार को मानव अधिकार आयोग पहुंच जाएगी। रिपोर्ट सबमिट होने के बाद मानव अधिकार आयोग के निर्देश पर पीएचक्यू अगला कदम उठाएगा।
23 तक भेजनी थी रिपोर्ट: एडीजी आरके मिश्रा के पिता की स्थिति पर आयोग ने 23 फरवरी को ही रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे, लेकिन पीएचक्यू के अधिकारी 25 फरवरी को भी रिपोर्ट नहीं भेज सके। मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन दिन भर इस रिपोर्ट का इंतजार करते रहे। देर शाम तक मानव अधिकार आयोग में रिपोर्ट की जगह एक सप्ताह की मोहलत संबंधी पत्र पहुंचा। हालांकि, सोमवार को आयोग ने इस पत्र पर कोई निर्णय नहीं लिया और न ही डीजीपी को मोहलत दी गई। आयोग के अध्यक्ष इस पर विचार करेंगे कि समय देना उचित हैं या नहीं। कार्यालयीन समय खत्म होने के कारण सोमवार को कोई जवाब नहीं दिया जा सका। मंगलवार को ही इस पर जवाब दिया जाएगा।

अध्यक्ष नरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि जब तक लिखित में रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि आयोग के निर्देशों की अवहेलना हुई या नहीं इस बारे में भी जब तक लिखित में कुछ पत्राचार नहीं किया जाता, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है। आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने बताया कि आयोग के अधिनियम की धारा 13 में आयोग को विभिन्न शक्तियां दी गई हैं। आयोग इनका इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन पहले आयोग को किसी तरह का जवाब तो मिले।

पीएचक्यू ने क्यों मांगा था सात दिन का समय
डीजीपी वीके सिंह का कहना है कि मानव अधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद एडीजी मिश्रा ने हाईकोर्ट में स्टे के लिए याचिका दायर की थी। यदि उन्हें स्टे मिलता तो जांच में विलंब होता, इसलिए रिपोर्ट सबमिट करने के लिए सात दिन का समय मांगा गया था। लेकिन मिश्रा को स्टे नहीं मिला। लिहाजा, अब जो रिपोर्ट डॉक्टरों के दल ने बनाई है, वही रिपोर्ट आयोग को पेश की जा रही है। बताया जा रहा है कि सात दिन का समय लेने वाली चिट्टी जांच टीम के मौके पर पहुंचने के पूर्व की है, जो आयोग में सोमवार को पहुंची।

एडीजी आरके मिश्रा भी पहुंचे आयोग
इधर, मानव अधिकार आयोग ने जब इस मामले में दो बार रिपोर्ट पेश करने के लिए डीजीपी को लिखा तो एडीजी आरके मिश्रा खुद आयोग पहुंचे और अपना पक्ष रखते हुए गुजारिश की है कि यह व्यक्तिगत और आस्था का मामला है। इसमें किसी के मानव अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है। मिश्रा ने आयोग को अपना पक्ष भी लिखकर दिया है और कहा है कि उनके पिता जीवित है।

पुलिस अफसर के लिए बदला कानून
समाजसेवी और मनोविश्लेषक मल्लिका जैन का कहना है कि पुलिस की नजर में एक अफसर के लिए क्या दो नियम-कायदे हैं। यह मुद्दा इतना संवेदनशील है कि मानव अधिकार आयोग के बिना संज्ञान के ही पुलिस को कार्रवाई करना थी। अगर यही मामला किसी आमजन से जुड़ा होता, तो पुलिस उसके घर के अंदर जबरन घुसकर कार्रवाई करती।

एडीजी की मां ने लगाया पद के दुरुपयोग का आरोप
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार मिश्रा के पिता के मामले में सोमवार को नया मोड़ आ गया। मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन पर एडीजी मिश्रा की मां शशिमणि मिश्रा ने गंभीर आरोप लगा दिए। शशिमणि ने आयोग को एक शिकायती पत्र भेजा जिसमें आयोग अध्यक्ष के बारे में कहा गया है कि वे पद और कार्यालय का दुरुपयोग कर रहे हैं। गौरतलब है कि आयोग ने एडीजी मिश्रा के पिता कुलामणि मिश्रा के संबंधी जांच रिपोर्ट मांगी थी। इसके लिए आयोग ने दो बार पुलिस के जरिए जांच करवाकर वस्तु स्थिति जानना चाही थी।